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घर देने वाले गणेश जी के नाम से मशहूर है जैसलमेर का चूंधी गणेश मंदिर

जैसलमेर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित चूंधी गणेश मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की घर बनाने की प्रार्थना स्वीकार होती है. गणेश चतुर्थी के दिन यहां भक्तों का मेला सा लगता (Devotees gathered in Chundhi Ganesh Mandir) है. भीड़ को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हैं.

Jaisalmer Chundhi Ganesh mandir is famous for this reason
घर देने वाले गणेश जी के नाम से मशहूर है जैसलमेर का चूंधी गणेश मंदिर
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Published : Aug 31, 2022, 8:25 PM IST

जैसलमेर. गणेश चतुर्थी का पर्व आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस साल गणेश चतुर्थी बुधवार, तिथि चतुर्थी, चित्रा नक्षत्र को है. शास्त्रों के अनुसार यही सारे संयोग गणेशजी के जन्म के समय बने थे. जैसलमेर के चुंधी गणेश मंदिर में बुधवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा कर गणपति बप्पा के दर्शन करने के लिए जा रहे (Devotees gathered in Chundhi Ganesh Mandir) हैं. अल सुबह 3:30 बजे से पैदल जाने वाले भक्तों का तांता लगा हुआ है. पैदल जाने वाले भक्तों में बड़े-बुजुर्गों से लेकर पुरुष, महिलाएं, युवाओं सहित बालक-बालिकाएं भी शामिल हैं.

अपना घर की प्रार्थना लेकर आते हैं भक्त: जैसलमेर से 15 किलोमीटर दूर स्थित भगवान गणेश के मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भक्तों के घर बनाने की इच्छा पूर्ण होती है. दूर दूर से भक्त यहां भगवान के दर्शनों के लिये आते हैं. भगवान के समक्ष अपने आशियाने की मनोकामना प्रकट करते हैं. इस मंदिर का इतिहास जैसलमेर की स्थापना से भी पुराना है. मंदिर करीब 1500 वर्ष से भी अधिक पुराना है. उस काल में चंवद ऋषि ने यहां 500 वर्ष तक तप किया था. इसलिए इस स्थान का नाम चूंधी पड़ा. इतना ही नहीं विभिन्न समय में ऋषि-मुनियों ने तपस्या कर इस स्थान के तप को बढ़ाया.

पढ़ें: Ganesh Chaturthi 2022: कोटा में सजेंगे 1000 से ज्यादा गणेश पांडाल, छोटी से लेकर बड़ी गणेश प्रतिमाओं से सजे बाजार

बरसाती नदी के बीच बना है मंदिर: बरसाती नदी के बीच बना यह मंदिर देश भर के मंदिरों में अपनी विशेष पहचान रखता है. इसका कारण यह भी है कि भारत में ऐसे कम ही मंदिर है जो कि किसी नदी के बीच बने हुए हों. चूंधी गणेश जी की मूर्ति के बारे में मान्यता है कि यह प्रतिमा स्वयं भू प्रकट हुई थी. नदी के बीच होने के कारण बरसात के दिनों में कई बार ऐसा होता है कि गणेश जी की प्रतिमा पानी में डूबी होती है. मंदिर के दोनों तरफ दो कुंए स्थापित हैं. कहा जाता है कि इन कुओं में मां गंगा का जल आता है.

पढ़ें: 165 करोड़ की देनदारी, 'ऋणहर्ता' गणेश की शरण में निगम

यहां करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के अनुमान को देखते हुए सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. कतारों के बीच में महिला व पुरुष पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. पैदल यात्रियों के साथ कोई अनहोनी नहीं हो, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस ने रूट डाइवर्ट कर वाहनों को दूसरे मार्ग से निकालने की व्यवस्था की है. कोरोनो की वजह से 2 वर्ष बाद आयोजित हुए मेले की तैयारियों को लेकर चूंधी गणेश मंदिर समिति ने माकूल व्यवस्था की है.

जैसलमेर. गणेश चतुर्थी का पर्व आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस साल गणेश चतुर्थी बुधवार, तिथि चतुर्थी, चित्रा नक्षत्र को है. शास्त्रों के अनुसार यही सारे संयोग गणेशजी के जन्म के समय बने थे. जैसलमेर के चुंधी गणेश मंदिर में बुधवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा कर गणपति बप्पा के दर्शन करने के लिए जा रहे (Devotees gathered in Chundhi Ganesh Mandir) हैं. अल सुबह 3:30 बजे से पैदल जाने वाले भक्तों का तांता लगा हुआ है. पैदल जाने वाले भक्तों में बड़े-बुजुर्गों से लेकर पुरुष, महिलाएं, युवाओं सहित बालक-बालिकाएं भी शामिल हैं.

अपना घर की प्रार्थना लेकर आते हैं भक्त: जैसलमेर से 15 किलोमीटर दूर स्थित भगवान गणेश के मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां भक्तों के घर बनाने की इच्छा पूर्ण होती है. दूर दूर से भक्त यहां भगवान के दर्शनों के लिये आते हैं. भगवान के समक्ष अपने आशियाने की मनोकामना प्रकट करते हैं. इस मंदिर का इतिहास जैसलमेर की स्थापना से भी पुराना है. मंदिर करीब 1500 वर्ष से भी अधिक पुराना है. उस काल में चंवद ऋषि ने यहां 500 वर्ष तक तप किया था. इसलिए इस स्थान का नाम चूंधी पड़ा. इतना ही नहीं विभिन्न समय में ऋषि-मुनियों ने तपस्या कर इस स्थान के तप को बढ़ाया.

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बरसाती नदी के बीच बना है मंदिर: बरसाती नदी के बीच बना यह मंदिर देश भर के मंदिरों में अपनी विशेष पहचान रखता है. इसका कारण यह भी है कि भारत में ऐसे कम ही मंदिर है जो कि किसी नदी के बीच बने हुए हों. चूंधी गणेश जी की मूर्ति के बारे में मान्यता है कि यह प्रतिमा स्वयं भू प्रकट हुई थी. नदी के बीच होने के कारण बरसात के दिनों में कई बार ऐसा होता है कि गणेश जी की प्रतिमा पानी में डूबी होती है. मंदिर के दोनों तरफ दो कुंए स्थापित हैं. कहा जाता है कि इन कुओं में मां गंगा का जल आता है.

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यहां करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के अनुमान को देखते हुए सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. कतारों के बीच में महिला व पुरुष पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं. पैदल यात्रियों के साथ कोई अनहोनी नहीं हो, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस ने रूट डाइवर्ट कर वाहनों को दूसरे मार्ग से निकालने की व्यवस्था की है. कोरोनो की वजह से 2 वर्ष बाद आयोजित हुए मेले की तैयारियों को लेकर चूंधी गणेश मंदिर समिति ने माकूल व्यवस्था की है.

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