जयपुर. राजधानी के सरकारी स्कूलों की हालत दयनीय हो गई है. भीषण गर्मी में पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण जिले के सरकारी स्कूल के बच्चों को पीने के पानी का संकट झेलना पड़ रहा है. जलदाय विभाग जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में पानी की व्यवस्था नहीं कर पा रहा. शहरी क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में पानी के कनेक्शन हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूल की व्यवस्था भामाशाहों और जनप्रतिनिधियों के सहयोग पर निर्भर है.
जयपुर शहर में सैंकड़ों सरकारी स्कूल हैं लेकिन यहां पेयजल की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. अधिकतर स्कूलों में पेयजल कनेक्शन हैं सप्लाई पर्याप्त नहीं होती जबकि कुछ स्कूलों में कनेक्शन ही नहीं है तो विभाग की ओर से टैंकरों व अन्य साधनों से पानी पहुंचाया जाता है. शहरी क्षेत्र में विभाग की ओर से पानी के बिल के लिए भी स्कूलों पर दबाव नहीं बनाया जाता है. उसी का नतीजा है कि स्कूलों के लाखों रुपये जलदाय विभाग पर बकाया चल रहे हैं.
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पानी के लिए भामाशाहों पर निर्भर स्कूल
ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों की स्थिति भी दयनीय है. आजादी के 70 साल बाद भी ग्रामीण क्षेत्र की अधिकतर स्कूल पेयजल के लिए भामाशाहों और जनप्रतिनिधियों पर निर्भर है. जलदाय विभाग ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए पेयजल की व्यवस्था सही नहीं कर पा रहा. अपने स्तर पर ही स्कूल स्टाफ और बच्चों के लिए पानी की व्यवस्था कर रहा है. कई स्कूलों में भामाशाह और जन प्रतिनिधियों की ओर से पानी की व्यवस्था कराई जा रही है. कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां बच्चों को घर से पानी लेकर आना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में गर्मी में स्थिति और भी परेशान करने वाली है. कई स्कूलों में पानी के केन मंगवाने पड़ रहे हैं.
अपने खर्च पर कर रहे पानी की व्यवस्था
जयपुर से 45 किलोमीटर दूर स्थित आसलपुर के सरकारी स्कूल में भी पानी को लेकर हालात ठीक नहीं हैं. आसलपुर में पानी की समस्या आज की नहीं है, वर्षों से गर्मी में लोगों को पेयजल के लिए परेशान होना पड़ता रहा है. सरकारी स्कूल की स्थिति तो और भी ज्यादा चिंताजनक है. यहां के प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ मिलकर अपने पैसों से बच्चों के लिए पेयजल की व्यवस्था कर रहे हैं. कई बार इन्हें भामाशाह और जनप्रतिनिधियों के सामने भी गुहार लगानी पड़ती है. इसके बाद जाकर कहीं बच्चों के लिए पीने का पानी उपलब्ध हो पाता है.
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जब ईटीवी भारत की टीम आसलपुर स्थित सरकारी स्कूल पहुंची तो बच्चों ने बताया कि स्कूल स्टाफ ने अपने खर्चे पर हर कक्षा के बाहर एक-एक पानी का केन रखवाया. कई बच्चे तो घर से ही पानी की बोतल लेकर आए थे. गर्मी शुरू होते ही गांव में पानी का संकट शुरू हो जाता है और यह संकट सरकारी स्कूलों में भी देखने को मिलता है. सरकारी स्कूलों में जो नल लगे हैं उससे पखवाड़े भर में एक या दो बार ही पानी निकलता है. टैंकरों एवं अन्य साधनों से ही पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. आसलपुर तो एक बानगी भर है. जयपुर जिले के ग्रामीण इलाकों के अधिकतर स्कूलों में ऐसी तस्वीर देखने को मिल जाएगी.
आसलपुर स्कूल के प्रिंसिपल रामनारायण ने बताया कि स्कूल में पानी की व्यवस्था के लिए भामाशाह को प्रेरित करने का काम कर रहे हैं. भामाशाहों की मदद से स्कूल में वाटर कूलर और आरओ लगवाया गया है ताकि बच्चों को शुद्ध पेयजल मिल सके. वहीं स्कूल स्टाफ मानवेंद्र सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में भामाशाह ही पानी की व्यवस्था कर रहे हैं. सरकार को भी स्कूलों में पेयजल व्यवस्था के बारे में सोचना चाहिए. सरकार को हर स्कूल में आरओ लगवाना चाहिए ताकि बच्चों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सके.
अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि जयपुर शहर में जलदाय विभाग की ओर से अधिकतर इलाकों में पानी पहुंचाया जा रहा है. अधिकतर स्कूलों में पीएचईडी की ओर से पेयजल कनेक्शन दिया गया है, जिसके जरिए पानी की व्यवस्था की गई है. राठौड़ ने बताया कि जो एरिया पीएचईडी की ओर से कवर नहीं है, वहां ट्यूबवेल और हैंडपंप के माध्यम से स्कूलों में पानी पहुंच रहा है. कुछ स्कूलों की मांग पर टैंकरों से पानी पहुंचाया जाता है.
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा कि ग्रामीण परिवेश के स्कूलों में पानी को लेकर हमेशा समस्या रहती है. यह समस्या पिछली सरकार में भी थी और इस सरकार में भी है. गांव-ढाणी दूर होने के कारण बच्चे घर से ही पानी की बोतल लेकर स्कूल आते हैं. वर्तमान सरकार ने पानी-बिजली और शौचालय को लेकर कुछ ठीक काम किया है. स्कूलों में पानी की व्यवस्था में सुधार लाने की जरूरत है.