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Lumpy Disease के बीच 6500 पशु चिकित्सालयों में तालाबंदी, टीकाकरण और इलाज ठप - राजस्थान में गोवंशों का टीकाकरण

राजस्थान में लम्पी वायरस (Lumpy virus in Rajasthan) से अब तक 38 हजार से ज्यादा गोवंशों की मौत हो चुकी है. इसी बीच पिछले चार दिनों से पशु चिकित्सक सामूहिक अवकाश (Veterinary workers on mass leave in Rajasthan) पर हैं. बीते 4 दिन से पशु चिकित्सकों की तालाबंदी के चलते न तो बीमार पशुओं की सुध ली जा सक रही है और न ही टीकाकरण अभियान गति पकड़ पा रहा है.

Lumpy Disease
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Published : Sep 1, 2022, 2:01 PM IST

जयपुर. राजस्थान में एक ओर लम्पी वायरस (Lumpy virus in Rajasthan) को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार से करते नजर आ रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार अपने ही राज्य में 4 दिनों से पशु चिकित्सकों की तालाबंदी नहीं खुलवा सकी है. हालात ये है कि लम्पी बीमारी (Lumpy Skin Disease) से प्रदेश में अब तक 38 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है. इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए टीकाकरण अभियान भी चल रहा है लेकिन बीते 4 दिन से पशु चिकित्सकों की तालाबंदी के चलते न तो बीमार पशुओं की सुध ली जा सक रही है और न ही टीकाकरण अभियान गति पकड़ पा रहा है.

6500 पशु चिकित्सालयों में तालाबंदी- राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ का दावा है कि प्रदेश में 6500 पशु चिकित्सा संस्थाओं पर फिलहाल तालाबंदी के हालात (Veterinary workers on mass leave in Rajasthan) हैं. तालाबंदी के कारण लम्पी बीमारी के नियंत्रण को लेकर चलाए जा रहे अभियान को बड़ा झटका लगा है. संघ का कहना है कि विभाग की गलत नीतियों के चलते मजबूरन सामूहिक अवकाश पर जाना पड़ा. उन्होंने कहा कि प्रदेश के 10 हजार चिकित्सा कर्मचारी सामूहिक अवकाश (Veterinary workers on mass leave in Rajasthan) पर हैं, क्योंकि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई वार्ता में 3 महीने पहले ही उनकी 11 सूत्री मांगों पर आदेश जारी किए जाने थे. लेकिन अब तक यह आदेश जारी नहीं किए गए हैं.

टीकाकरण और इलाज ठप

पढ़ें- CM गहलोत की केंद्र सरकार से मांग, Lumpy Skin Disease को राष्ट्रीय आपदा घोषित करें

पढ़ें- पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ को सरकार की चेतावनी, सस्पेंशन से लेकर बर्खास्तगी तक की होगी कार्रवाई

वहीं, विभाग के अधिकारी भी लगातार आंदोलन के खिलाफ सख्ती अपनाने की बात कहते दिखाई दे रहे हैं. लेकिन इसका असर भी कर्मचारियों पर नहीं पड़ रहा है. अब सरकार के पशुपालन विभाग और पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के बीच वह बेजुबान पीस रहा है, जो अगर बीमार हो तो किसी को कह भी नहीं सकता. पहले से ही प्रदेश में लम्पी बीमारी (lumpy disease in Rajasthan) ने 38 हजार गायों की जान ले ली है और करीब 10 लाख से ज्यादा गाय अभी इस संक्रमण की चपेट में हैं.

ऐसे में गायों पर आए संकट के साथ ही प्रदेश के सभी बीमार जानवरों पर पशुपालन विभाग और कर्मचारियों के बीच रस्साकशी के चलते संकट आ खड़ा हुआ है. आलम यह है कि लम्पी बीमारी के बाद पशु चिकित्सालय पर हुई तालाबंदी के बाद गौशालाओं की हालात खराब है. जिसके चलते प्रदेश के कई गौशालाओं ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले को सुलझाने की अपील की है.

जयपुर. राजस्थान में एक ओर लम्पी वायरस (Lumpy virus in Rajasthan) को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार से करते नजर आ रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार अपने ही राज्य में 4 दिनों से पशु चिकित्सकों की तालाबंदी नहीं खुलवा सकी है. हालात ये है कि लम्पी बीमारी (Lumpy Skin Disease) से प्रदेश में अब तक 38 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है. इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए टीकाकरण अभियान भी चल रहा है लेकिन बीते 4 दिन से पशु चिकित्सकों की तालाबंदी के चलते न तो बीमार पशुओं की सुध ली जा सक रही है और न ही टीकाकरण अभियान गति पकड़ पा रहा है.

6500 पशु चिकित्सालयों में तालाबंदी- राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ का दावा है कि प्रदेश में 6500 पशु चिकित्सा संस्थाओं पर फिलहाल तालाबंदी के हालात (Veterinary workers on mass leave in Rajasthan) हैं. तालाबंदी के कारण लम्पी बीमारी के नियंत्रण को लेकर चलाए जा रहे अभियान को बड़ा झटका लगा है. संघ का कहना है कि विभाग की गलत नीतियों के चलते मजबूरन सामूहिक अवकाश पर जाना पड़ा. उन्होंने कहा कि प्रदेश के 10 हजार चिकित्सा कर्मचारी सामूहिक अवकाश (Veterinary workers on mass leave in Rajasthan) पर हैं, क्योंकि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई वार्ता में 3 महीने पहले ही उनकी 11 सूत्री मांगों पर आदेश जारी किए जाने थे. लेकिन अब तक यह आदेश जारी नहीं किए गए हैं.

टीकाकरण और इलाज ठप

पढ़ें- CM गहलोत की केंद्र सरकार से मांग, Lumpy Skin Disease को राष्ट्रीय आपदा घोषित करें

पढ़ें- पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ को सरकार की चेतावनी, सस्पेंशन से लेकर बर्खास्तगी तक की होगी कार्रवाई

वहीं, विभाग के अधिकारी भी लगातार आंदोलन के खिलाफ सख्ती अपनाने की बात कहते दिखाई दे रहे हैं. लेकिन इसका असर भी कर्मचारियों पर नहीं पड़ रहा है. अब सरकार के पशुपालन विभाग और पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के बीच वह बेजुबान पीस रहा है, जो अगर बीमार हो तो किसी को कह भी नहीं सकता. पहले से ही प्रदेश में लम्पी बीमारी (lumpy disease in Rajasthan) ने 38 हजार गायों की जान ले ली है और करीब 10 लाख से ज्यादा गाय अभी इस संक्रमण की चपेट में हैं.

ऐसे में गायों पर आए संकट के साथ ही प्रदेश के सभी बीमार जानवरों पर पशुपालन विभाग और कर्मचारियों के बीच रस्साकशी के चलते संकट आ खड़ा हुआ है. आलम यह है कि लम्पी बीमारी के बाद पशु चिकित्सालय पर हुई तालाबंदी के बाद गौशालाओं की हालात खराब है. जिसके चलते प्रदेश के कई गौशालाओं ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले को सुलझाने की अपील की है.

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