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नए जिले बनने के बाद कांग्रेस के इन जिला अध्यक्षों के पास आ गई ढाई जिलों की जिम्मेदारी - congress district presidents work load

राजस्थान में नए जिले बनने के बाद कांग्रेस जिला अध्यक्षों का कार्यभार बढ़ गया है. कुछ अध्यक्ष ऐसे हैं जिनके पास ढाई जिलों का प्रभार है.

Nagaur congress district president
नागौर जिला अध्यक्ष जाकिर गैसावत
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 7, 2023, 5:46 PM IST

किस कांग्रेस नेता को मिली ढाई जिले की जिम्मेदारी...

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के संगठन के कई जिला अध्यक्ष ऐसे हैं जिनके पास ढाई जिलों का प्रभार है. सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन फिलहाल की हकीकत तो यही है. ऐसा हुआ है नए जिलों की घोषणा के बाद. खासकर उन नए जिलों में जो दो बड़े क्षेत्रों को मिलाकर बनाए गए हैं. इनका एक हिस्सा पुराने जिले और एक हिस्सा नए जिले में आ रहा है. इसी के चलते कांग्रेस जिला अध्यक्षों को ऐसे जिलों का आधा-आधा प्रभार आ गया है.

बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 6 अक्टूबर को तीन नए जिले कुचामन, मालपुरा और सुजानगढ़ बनाए, जिससे राजस्थान में अब जिलों की संख्या बढ़कर 53 हो गई. क्योंकि जिलों की घोषणा कांग्रेस सरकार ने की है, ऐसे में कांग्रेस को यह उम्मीद है कि जिले बनाने का फायदा उसे विधानसभा चुनाव में जरूर मिलेगा. अब फायदा किसे मिलेगा, किसे नहीं, यह तो चुनाव के बाद सामने आ जाएगा. लेकिन जिलों की घोषणा के बाद जहां जनता की सरकारी मुख्यालयों से दूरी कम होगी. हालांकि नए जिलों के बनने से कांग्रेस जिला अध्यक्षों का कार्यभार कम होने की बजाय बढ़ गया है.

पढ़ें: Rajasthan Assembly Election 2023: सीएम अशोक गहलोत का बड़ा दांव, घोषित किए 3 नए जिले

राजस्थान का नागौर जिला ऐसा जिला बन गया है जिसके जिला अध्यक्ष जाकिर गैसावत के पास अब तीन जिलों का प्रभाव हो गया है. नागौर में अब नागौर, डीडवाना और कुचामन जिले हैं. जो पहले नागौर जिला अध्यक्ष के कार्यक्षेत्र में आते थे, जबकि जयपुर ग्रामीण के जिला अध्यक्ष गोपाल मीणा और अलवर कांग्रेस जिला अध्यक्ष योगेश मिश्रा के पास ढाई जिलों की जिम्मेदारी आ गई है. दरअसल जयपुर ग्रामीण में जो जिले बने हैं, उनमें जयपुर ग्रामीण, दूदू और कोटपुतली-बहरोड़ जिला है.

पढ़ें: New Districts in Rajasthan: बीकानेर में बोले डोटासरा- नए जिले बनाना, टिपड़ा में काकड़िया जैसा

कोटपूतली क्योंकि जयपुर का हिस्सा था और बहरोड़ अलवर का हिस्सा. ऐसे में आधा-आधा जिला दोनों जिला अध्यक्षों में बांट दिया गया है. इसी तरह अलवर में अलवर खैरथल और कोटपूतली-बहरोड़ जिला आ रहा है. ऐसे में अलवर के जिला अध्यक्ष के पास भी ढाई जिलों का चार्ज है. जब कोटपूतली जिले के टिकट की बात आती है, तो आवेदन जयपुर ग्रामीण जिला अध्यक्ष गोपाल मीणा के पास जाता है. तो वहीं जब आवेदन बहरोड़ जिले का आता है, तो वह अलवर जिला अध्यक्ष योगेश मिश्रा के पास जाता है.

पढ़ें: Rajasthan New Districts : नेता प्रतिपक्ष राठौड़ बोले- सत्ता वापसी का पैंतरा बन गया सीएम गहलोत के गले की फांस

दरअसल वर्तमान में राजस्थान में कांग्रेस के 40 जिलाध्यक्ष हैं, जबकि राजस्थान के जिलों की संख्या अब 33 से बढ़कर 53 हो गई है. ऐसे में जहां संगठन के लिहाज से कांग्रेस के पहले कई जिला अध्यक्ष ऐसे थे, जो एक ही जिले में अलग-अलग विधानसभा के जिला अध्यक्ष बने हुए बैठे थे. वहीं अब नागौर जिला अध्यक्ष के पास तीन, अलवर और जयपुर ग्रामीण जिला अध्यक्ष के पास ढाई और कई जिला अध्यक्षों के पास दो जिलों की जिम्मेदारी आ गई है.

किस कांग्रेस नेता को मिली ढाई जिले की जिम्मेदारी...

जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के संगठन के कई जिला अध्यक्ष ऐसे हैं जिनके पास ढाई जिलों का प्रभार है. सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन फिलहाल की हकीकत तो यही है. ऐसा हुआ है नए जिलों की घोषणा के बाद. खासकर उन नए जिलों में जो दो बड़े क्षेत्रों को मिलाकर बनाए गए हैं. इनका एक हिस्सा पुराने जिले और एक हिस्सा नए जिले में आ रहा है. इसी के चलते कांग्रेस जिला अध्यक्षों को ऐसे जिलों का आधा-आधा प्रभार आ गया है.

बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 6 अक्टूबर को तीन नए जिले कुचामन, मालपुरा और सुजानगढ़ बनाए, जिससे राजस्थान में अब जिलों की संख्या बढ़कर 53 हो गई. क्योंकि जिलों की घोषणा कांग्रेस सरकार ने की है, ऐसे में कांग्रेस को यह उम्मीद है कि जिले बनाने का फायदा उसे विधानसभा चुनाव में जरूर मिलेगा. अब फायदा किसे मिलेगा, किसे नहीं, यह तो चुनाव के बाद सामने आ जाएगा. लेकिन जिलों की घोषणा के बाद जहां जनता की सरकारी मुख्यालयों से दूरी कम होगी. हालांकि नए जिलों के बनने से कांग्रेस जिला अध्यक्षों का कार्यभार कम होने की बजाय बढ़ गया है.

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राजस्थान का नागौर जिला ऐसा जिला बन गया है जिसके जिला अध्यक्ष जाकिर गैसावत के पास अब तीन जिलों का प्रभाव हो गया है. नागौर में अब नागौर, डीडवाना और कुचामन जिले हैं. जो पहले नागौर जिला अध्यक्ष के कार्यक्षेत्र में आते थे, जबकि जयपुर ग्रामीण के जिला अध्यक्ष गोपाल मीणा और अलवर कांग्रेस जिला अध्यक्ष योगेश मिश्रा के पास ढाई जिलों की जिम्मेदारी आ गई है. दरअसल जयपुर ग्रामीण में जो जिले बने हैं, उनमें जयपुर ग्रामीण, दूदू और कोटपुतली-बहरोड़ जिला है.

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कोटपूतली क्योंकि जयपुर का हिस्सा था और बहरोड़ अलवर का हिस्सा. ऐसे में आधा-आधा जिला दोनों जिला अध्यक्षों में बांट दिया गया है. इसी तरह अलवर में अलवर खैरथल और कोटपूतली-बहरोड़ जिला आ रहा है. ऐसे में अलवर के जिला अध्यक्ष के पास भी ढाई जिलों का चार्ज है. जब कोटपूतली जिले के टिकट की बात आती है, तो आवेदन जयपुर ग्रामीण जिला अध्यक्ष गोपाल मीणा के पास जाता है. तो वहीं जब आवेदन बहरोड़ जिले का आता है, तो वह अलवर जिला अध्यक्ष योगेश मिश्रा के पास जाता है.

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दरअसल वर्तमान में राजस्थान में कांग्रेस के 40 जिलाध्यक्ष हैं, जबकि राजस्थान के जिलों की संख्या अब 33 से बढ़कर 53 हो गई है. ऐसे में जहां संगठन के लिहाज से कांग्रेस के पहले कई जिला अध्यक्ष ऐसे थे, जो एक ही जिले में अलग-अलग विधानसभा के जिला अध्यक्ष बने हुए बैठे थे. वहीं अब नागौर जिला अध्यक्ष के पास तीन, अलवर और जयपुर ग्रामीण जिला अध्यक्ष के पास ढाई और कई जिला अध्यक्षों के पास दो जिलों की जिम्मेदारी आ गई है.

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