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जोधपुर में अपने पीछे झाड़ू बांधकर घूम रहा यह शख्स...पूछने पर दे रहा ये जवाब - Jodhpur

महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर यूं तो शहर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं लेकिन, एक एडवोकेट ज्योतिबा फुले को अलग तरीके से ही याद कर रहे हैं. तपती धूप में अपने पीछे एक झाड़ू लटकाए घूम रहे विजय राव का मानना है कि समाज में आज भी अत्याचार हो रहे हैं. महिलाओं के लिए आज भी असमानता है. इसके प्रति गुस्सा जाहिर करने के लिए वे इंसानियत यात्रा निकाल रहे हैं.

जोधपुर में अपने पीछे झाड़ू बांधकर घूम रहा यह शख्स.
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Published : Apr 11, 2019, 5:24 PM IST

जोधपुर. महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर यूं तो शहर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं लेकिन, एक एडवोकेट ज्योतिबा फुले को अलग तरीके से ही याद कर रहे हैं. तपती धूप में अपने पीछे एक झाड़ू लटकाए घूम रहे विजय राव का मानना है कि समाज में आज भी अत्याचार हो रहे हैं. महिलाओं के लिए आज भी असमानता है. इसके प्रति गुस्सा जाहिर करने के लिए वे इंसानियत यात्रा निकाल रहे हैं.

जोधपुर में अपने पीछे झाड़ू बांधकर घूम रहा यह शख्स

विजय राव का कहना है कि ज्योतिबा फूले ने सामाजिक एकरूपता को बढ़ावा देने के लिए काम किए थे, जिन्हें भीमराव अंबेडकर ने आगे बढ़ाया. लोगों को संविधान देकर सामाजिक अधिकार दिए. इसलिए विजय राव वर्तमान समय में समाज में हो रहे अत्याचारों पर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए इस रूप में तीन दिवसीय परिक्रमा कर रहे हैं, जिसका नाम इंसानियत परिक्रमा दिया है.

राव ये परिक्रमा 11 अप्रैल (ज्योतिबा फुले के जन्म दिवस) से 14 अप्रैल भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस तक रोज सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक करते हैं. राव बताते हैं कि यह जो झाड़ू उन्होंने बांध रखी है इसकी वजह यह है कि एक समय था जब अछूत जातियों को अपने पीछे झाडू बांधकर चलना पड़ता था ताकि उनकी परछाई और उनके पांव के निशान साफ हो जाएं.

जोधपुर. महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर यूं तो शहर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं लेकिन, एक एडवोकेट ज्योतिबा फुले को अलग तरीके से ही याद कर रहे हैं. तपती धूप में अपने पीछे एक झाड़ू लटकाए घूम रहे विजय राव का मानना है कि समाज में आज भी अत्याचार हो रहे हैं. महिलाओं के लिए आज भी असमानता है. इसके प्रति गुस्सा जाहिर करने के लिए वे इंसानियत यात्रा निकाल रहे हैं.

जोधपुर में अपने पीछे झाड़ू बांधकर घूम रहा यह शख्स

विजय राव का कहना है कि ज्योतिबा फूले ने सामाजिक एकरूपता को बढ़ावा देने के लिए काम किए थे, जिन्हें भीमराव अंबेडकर ने आगे बढ़ाया. लोगों को संविधान देकर सामाजिक अधिकार दिए. इसलिए विजय राव वर्तमान समय में समाज में हो रहे अत्याचारों पर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए इस रूप में तीन दिवसीय परिक्रमा कर रहे हैं, जिसका नाम इंसानियत परिक्रमा दिया है.

राव ये परिक्रमा 11 अप्रैल (ज्योतिबा फुले के जन्म दिवस) से 14 अप्रैल भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस तक रोज सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक करते हैं. राव बताते हैं कि यह जो झाड़ू उन्होंने बांध रखी है इसकी वजह यह है कि एक समय था जब अछूत जातियों को अपने पीछे झाडू बांधकर चलना पड़ता था ताकि उनकी परछाई और उनके पांव के निशान साफ हो जाएं.

Intro:जोधपुर महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर यूं तो शहर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं लेकिन एक एडवोकेट ज्योतिबा फुले को अलग तरीके से ही याद कर रहा है तपती धूप में अपने पीछे एक झाड़ू लटकाए घूम रहे विजय राव का मानना है कि समाज में आज भी अत्याचार हो रहे हैं महिलाओं के लिए आज भी असमानता है। इसके प्रति गुस्सा जाहिर करने के लिए वे इंसानियत यात्रा निकाल रहे है। ज्योतिबा फूले सावित्री फुले ने सामाजिक एकरूपता को बढ़ावा देने के लिए काम किए थे जिन्हें भीमराव अंबेडकर ने आगे बढ़ाया लोगों को संविधान देकर सामाजिक अधिकार दिए इसलिए विजय राव वर्तमान समय में समाज में हो रहे अत्याचारों पर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए इस रूप में तीन दिवसीय परिक्रमा कर रहे हैं, जिसका नाम इंसानियत परिक्रमा दिया है।


Body:विजयराव यह परिक्रमा 11 अप्रैल को ज्योतिबा फुले के जन्म दिवस है 14 अप्रैल भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस तक प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक करते हैं राव बताते हैं कि यह जो झाड़ू उन्होंने बांध रखी है इसकी वजह यह है कि एक समय था जब अछूत जातियों को अपने पीछे झाडू बांध कर चलना पड़ता था ताकि उनकी परछाई व उनके पांव के निशान साफ हो जाए। और आज यह उनका गुस्सा निकालने का प्रतीक है।


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