जयपुर. विश्व शांति दिवस की इस साल की थीम 'Climate Action for Peace' है. यह दिन सभी देशों और लोगों के बीच स्वतंत्रता, शान्ति और खुशी स्थापित करने का संदेश देता है. शान्ति सभी को प्यारी होती है. किन्तु आज इन्सान दिन-प्रतिदिन इससे दूर होता जा रहा है. आज चारों तरफ आतंकवाद, हिंसा, युद्ध, आपदा से घोर अशांति है. पृथ्वी,आकाश और सागर सभी अशांत है. स्वार्थ और घृणा ने मानव समाज को विखंडित कर दिया है. यूं तो विश्व शान्ति का संदेश हर युग और हर दौर में दिया गया है. लेकिन इसको अमल में लाने वालो की संख्या बेहद कम रही है. विश्व के कोने-कोने में शान्ति का संदेश फैले, यहीं इस दिवस को मनाने के पीछे का लक्ष्य है.
साल 1982 से शुरू होकर 2001 तक सितम्बर महीने का तीसरा मंगलवार अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति दिवस या विश्व शान्ति दिवस के लिए चुना जाता है. लेकिन साल 2002 से इसके लिए 21 सितम्बर का दिन स्थाई रूप से घोषित कर दिया गया. वहीं साल 2015 में विश्व शान्ति की थीम थी- 'शान्ति के लिए भागेदारी और सभी के लिए आत्म सम्मान'. इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय (न्यूयॉर्क) में संयुक्त राष्ट्र शांति घंटी बजाकर की जाती है. यह घंटी अफ्रीका को छोड़कर सभी महाद्वीपों के बच्चों द्वारा दान किए गए सिक्कों से बनाई गई है. जिसे जापान के युनाइटेड नेशनल एसोसिएशन ने उपहार में दिया था. ये घंटी युद्ध में मानव की कीमत की याद दिलाती है. इसके साइड में लिखा है विश्व में शांति हमेशा बनी रहे.
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कबूतर उड़ाकर दिया जाता है शांति का संदेश
सफेद कबूतर शान्ति का प्रतीक है. विश्व शान्ति दिवस के उपलक्ष्य में हर देश में जगह-जगह सफेद रंग के कबूतरों को उड़ाया जाता है. जो कही न कही पंच शील के ही सिधान्तो को दुनिया तक फैलाते है. विश्व शान्ति दिवस के अवसर पर सफेद कबूतर उड़ाने की परम्परा बहुत पुरानी है.
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विश्व में शांति स्थापित करने के लिए 5 मूल मंत्र दिए थे. जिन्हें 'पंचशील के सिद्धांत' भी कहा जाता है. यह पांच सिद्धांत इस प्रकार हैं-
- एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना.
- एक दूसरे के विरूद्ध आक्रमक कार्यवाही न करना.
- एक दूसरे के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप न करना.
- समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना.
- शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति में विश्वास रखना.