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अंतिम सांस तक कांग्रेस को मजबूत करने में जुटी रहीं 'दिल्ली की शिल्पकार' शीला दीक्षित

2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए जब शीला दीक्षित को एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान दी गई.

पूर्व CM शीला दीक्षित
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Published : Jul 21, 2019, 1:13 PM IST

Updated : Jul 21, 2019, 1:18 PM IST

नई दिल्ली. सीमा पर युद्ध के दौरान तैनात सिपाही जिस तरह जंग लड़ते-लड़ते शहीद हो जाता है. उसी तरह दिल्ली की शिल्पकार के रूप में मशहूर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित ने भी अंतिम सांस तक कांग्रेस के लिए लड़ती रही. उन्होंने कांग्रेस में जान फूंकने में कोई कसर नहीं छोड़ा.

The real heroine of congress sheila dikshit
पूर्व CM शीला दीक्षित

अंतिम सांस तक कांग्रेस की सेवा की

दिल्ली में विकास की राजनीति का चेहरा कही जाने वाली कांग्रेस की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अंतिम सांस तक कांग्रेस की सेवा और उसको पुनर्जीवित करने में जुटी रहीं. इस दौरान उन्हें अपनी ही पार्टी के अंतर्विरोध हो का भी सामना करना पड़ा. खासतौर से पार्टी के प्रभारी व महामंत्री पीसी चाको के साथ आखिरी समय तक उनके विचार नहीं मिले. यहां तक कि पीसी चाको ने उन्हें चंद रोज पहले पत्र लिखकर राजनीति छोड़ने तक की सलाह दे डाली थी.

The real heroine of congress sheila dikshit
पूर्व CM शीला दीक्षित

निधन से एक दिन पहले की पार्टी के लिए काम

इसके बाद भी शीला दीक्षित अपनी जिम्मेदारी से एक इंच भी पीछे नहीं हटीं. निधन से ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को राजनीतिक सक्रियता और कांग्रेस से उनका प्रेम इस कदर था कि वह दिल्ली में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कीं. अपने निधन से एक दिन पहले ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को सोनभद्र जाने से रोके जाने के विरोध में दिल्ली में उनकी अगुवाई में विरोध प्रदर्शन हुआ.शीला दीक्षित ने बतौर दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष के नाते गुरुवार को 3 प्रवक्ताओं की नियुक्ति की थी. उससे एक दिन पहले ही कार्यकारी अध्यक्षों का दायित्व का भी विभाजन किया था.

The real heroine of congress sheila dikshit
पूर्व CM शीला दीक्षित

पार्टी ने किया था दोबारा भरोसा

लगातार तीन बार तक मुख्यमंत्री रहने के बाद वर्ष 2013 में जब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी चुनाव मैदान में आई. उस समय वह नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव हार गई थीं. उसके बाद कुछ दिनों तक वह सक्रिय राजनीति से दूर रहीं. लेकिन दिल्ली में कांग्रेस का जनाधार जिस तरह से खिसकने लगा था, उसे देखकर पार्टी ने उन्हें दोबारा प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा.

The real heroine of congress sheila dikshit
पूर्व CM शीला दीक्षित

पार्टी में था विरोधाभास

इसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को भी मिला था. हालांकि 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए जब शीला दीक्षित को एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान दी गई, तो पार्टी के भीतर ही विरोधाभास था. क्योंकि दिल्ली में लंबे समय तक सीएम रहीं शीला दीक्षित को राजनीति में नौसिखए कहे जाने वाले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने सत्ता से दूर कर दिया था. फिर उन्हीं को नेतृत्व थमाना पार्टी के भीतर कुछ नेताओं को पच नहीं रहा था.

The real heroine of congress sheila dikshit
पूर्व CM शीला दीक्षित

राहुल गांधी ने किया था एक बार फिर भरोसा

यह उनके व्यक्तित्व का करिश्मा था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर 81 साल की शीला दीक्षित में भरोसा जताया था. पार्टी भले ही राष्ट्रीय राजधानी की एक भी सीट नहीं जीत पाई लेकिन चुनाव प्रचार में शीला की सक्रियता युवाओं के लिए प्रेरणादायक साबित हुई थी.

नई दिल्ली. सीमा पर युद्ध के दौरान तैनात सिपाही जिस तरह जंग लड़ते-लड़ते शहीद हो जाता है. उसी तरह दिल्ली की शिल्पकार के रूप में मशहूर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित ने भी अंतिम सांस तक कांग्रेस के लिए लड़ती रही. उन्होंने कांग्रेस में जान फूंकने में कोई कसर नहीं छोड़ा.

The real heroine of congress sheila dikshit
पूर्व CM शीला दीक्षित

अंतिम सांस तक कांग्रेस की सेवा की

दिल्ली में विकास की राजनीति का चेहरा कही जाने वाली कांग्रेस की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अंतिम सांस तक कांग्रेस की सेवा और उसको पुनर्जीवित करने में जुटी रहीं. इस दौरान उन्हें अपनी ही पार्टी के अंतर्विरोध हो का भी सामना करना पड़ा. खासतौर से पार्टी के प्रभारी व महामंत्री पीसी चाको के साथ आखिरी समय तक उनके विचार नहीं मिले. यहां तक कि पीसी चाको ने उन्हें चंद रोज पहले पत्र लिखकर राजनीति छोड़ने तक की सलाह दे डाली थी.

The real heroine of congress sheila dikshit
पूर्व CM शीला दीक्षित

निधन से एक दिन पहले की पार्टी के लिए काम

इसके बाद भी शीला दीक्षित अपनी जिम्मेदारी से एक इंच भी पीछे नहीं हटीं. निधन से ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को राजनीतिक सक्रियता और कांग्रेस से उनका प्रेम इस कदर था कि वह दिल्ली में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कीं. अपने निधन से एक दिन पहले ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को सोनभद्र जाने से रोके जाने के विरोध में दिल्ली में उनकी अगुवाई में विरोध प्रदर्शन हुआ.शीला दीक्षित ने बतौर दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष के नाते गुरुवार को 3 प्रवक्ताओं की नियुक्ति की थी. उससे एक दिन पहले ही कार्यकारी अध्यक्षों का दायित्व का भी विभाजन किया था.

The real heroine of congress sheila dikshit
पूर्व CM शीला दीक्षित

पार्टी ने किया था दोबारा भरोसा

लगातार तीन बार तक मुख्यमंत्री रहने के बाद वर्ष 2013 में जब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी चुनाव मैदान में आई. उस समय वह नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव हार गई थीं. उसके बाद कुछ दिनों तक वह सक्रिय राजनीति से दूर रहीं. लेकिन दिल्ली में कांग्रेस का जनाधार जिस तरह से खिसकने लगा था, उसे देखकर पार्टी ने उन्हें दोबारा प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा.

The real heroine of congress sheila dikshit
पूर्व CM शीला दीक्षित

पार्टी में था विरोधाभास

इसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को भी मिला था. हालांकि 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए जब शीला दीक्षित को एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान दी गई, तो पार्टी के भीतर ही विरोधाभास था. क्योंकि दिल्ली में लंबे समय तक सीएम रहीं शीला दीक्षित को राजनीति में नौसिखए कहे जाने वाले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने सत्ता से दूर कर दिया था. फिर उन्हीं को नेतृत्व थमाना पार्टी के भीतर कुछ नेताओं को पच नहीं रहा था.

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पूर्व CM शीला दीक्षित

राहुल गांधी ने किया था एक बार फिर भरोसा

यह उनके व्यक्तित्व का करिश्मा था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर 81 साल की शीला दीक्षित में भरोसा जताया था. पार्टी भले ही राष्ट्रीय राजधानी की एक भी सीट नहीं जीत पाई लेकिन चुनाव प्रचार में शीला की सक्रियता युवाओं के लिए प्रेरणादायक साबित हुई थी.

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Last Updated : Jul 21, 2019, 1:18 PM IST

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