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चौमू में प्रशासन की लापरवाही से नहीं मिल रहा गरीबों को राशन, लोगों ने लगाया भेदभाव का आरोप

जयपुर के चौमू में लॉकडाउन के दौरान राशन नहीं मिलने से गरीब मजदूर परेशान हैं. शुक्रवार को मजदूर महिलाओं ने नगर पालिका दफ्तर पहुंचकर राशन की मांग की. महिलाओं ने बताया कि उन्हें राशन नहीं मिल रहा है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि वार्ड पार्षद अपने चहेते लोगों को राशन दे रहे हैं.

Ration distribution in chaumu, चौमू न्यूज
चौमू में प्रशासन की लापरवाही से नहीं मिल रहा गरीबों को राशन
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Published : Apr 10, 2020, 6:51 PM IST

चौमू (जयपुर). लॉकडाउन का सबसे बुरा असर उन गरीब मजदूर लोगों पर पड़ रहा है, जिनको सरकार से वितरित होने वाला राशन नहीं मिल रहा है. दरअसल शहर में भामाशाह प्रतिदिन भोजन के पैकेट वितरित करते हैं, तो वहीं प्रदेश की सरकार भी प्रतिबद्ध है कि कोई भी व्यक्ति को भूखा नहीं सोए. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से राशन सामग्री वितरण करने के लिए उपखंड प्रशासन को जिम्मेदारियां दी गई है. लेकिन चौमूं कस्बे में जरूरतमंद लोगों को राशन सामग्री नहीं मिल पा रही है.

चौमू में प्रशासन की लापरवाही से नहीं मिल रहा गरीबों को राशन

शुक्रवार सुबह भी राशन सामग्री नहीं मिलने पर जरूरतमंद महिलाएं नगरपालिका दफ्तर पहुंच गईं और राशन की मांग करने लगी. उन्हें नगरपालिका में तैनात कर्मचारियों ने वापस भेज दिया और तहसील कार्यालय जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. ये महिलाएं इधर से उधर चक्कर काटती रहीं. नगरपालिका के बाहर खड़ी प्रशासन को दुत्कारती रही, लेकिन इन्हें राशन नहीं मिला.

ये तस्वीरें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है अधिकारियों की लापरवाही की वजह से सरकार की छवि को कैसे खराब किया जा रहा है. लापरवाह अधिकारियों की वजह से गरीब और मजदूरों को राशन नहीं मिल पा रहा है. पिछले 2 दिन से नगरपालिका में कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आ रही है.

पढ़ें- धौलपुर: लॉकडाउन की पालना करा रहे पुलिसकर्मियों का फूल मालाओं से स्वागत

महिलाओं ने अपने लोगों को लाभ पहुंचाने का आरोप भी लगाया है. वार्डों में वार्ड पार्षद अपने चहेते लोगों को सरकारी राशन दिलवा रहे हैं, लेकिन जरूरतमंद लोगों को इस राशन से महरूम रखा जा रहा है. ये तो गनीमत है कि शहर में भामाशाह और विधायक की मदद से भोजन के पैकेट बांटे जा रहे हैं, वरना हालत कुछ और ही होती.

सबसे महत्वपूर्ण बात जब पुलिस के जरिए शहर में भोजन की व्यवस्था थी तो ऐसी तस्वीरें भी सामने नहीं आती थी. किसी भी व्यक्ति की कोई शिकायत भी सामने नहीं आती थी, लेकिन जब से पुलिस को भोजन व्यवस्था से अलग किया गया है, तब से हालात बद से बदतर हो गए हैं. जब इस मामले को लेकर उपखंड अधिकारी हिम्मत सिंह से बात करने की कोशिश भी की गई, लेकिन उनका फोन नहीं लगता. क्योंकि SDM साहब ने मीडिया कर्मियों के मोबाइल नंबरों को ब्लैक लिस्ट में शामिल कर लिया है.

पढ़ें- जयपुर: अवैध खनन रोकने गई वन विभाग की टीम पर हमला, दो फॉरेस्टर घायल

SDM साहब ने मीडिया से पूरी तरह से दूरी बना रखी है. ऐसे में अब जिला कलेक्टर जोगाराम को ही इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की दरकार है, ताकि इन जरूरतमंद लोगों को समय पर राशन सामग्री मिल सके और ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई हो, ताकि शहर के लोगों को राहत मिले.

चौमू (जयपुर). लॉकडाउन का सबसे बुरा असर उन गरीब मजदूर लोगों पर पड़ रहा है, जिनको सरकार से वितरित होने वाला राशन नहीं मिल रहा है. दरअसल शहर में भामाशाह प्रतिदिन भोजन के पैकेट वितरित करते हैं, तो वहीं प्रदेश की सरकार भी प्रतिबद्ध है कि कोई भी व्यक्ति को भूखा नहीं सोए. इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से राशन सामग्री वितरण करने के लिए उपखंड प्रशासन को जिम्मेदारियां दी गई है. लेकिन चौमूं कस्बे में जरूरतमंद लोगों को राशन सामग्री नहीं मिल पा रही है.

चौमू में प्रशासन की लापरवाही से नहीं मिल रहा गरीबों को राशन

शुक्रवार सुबह भी राशन सामग्री नहीं मिलने पर जरूरतमंद महिलाएं नगरपालिका दफ्तर पहुंच गईं और राशन की मांग करने लगी. उन्हें नगरपालिका में तैनात कर्मचारियों ने वापस भेज दिया और तहसील कार्यालय जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. ये महिलाएं इधर से उधर चक्कर काटती रहीं. नगरपालिका के बाहर खड़ी प्रशासन को दुत्कारती रही, लेकिन इन्हें राशन नहीं मिला.

ये तस्वीरें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है अधिकारियों की लापरवाही की वजह से सरकार की छवि को कैसे खराब किया जा रहा है. लापरवाह अधिकारियों की वजह से गरीब और मजदूरों को राशन नहीं मिल पा रहा है. पिछले 2 दिन से नगरपालिका में कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आ रही है.

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महिलाओं ने अपने लोगों को लाभ पहुंचाने का आरोप भी लगाया है. वार्डों में वार्ड पार्षद अपने चहेते लोगों को सरकारी राशन दिलवा रहे हैं, लेकिन जरूरतमंद लोगों को इस राशन से महरूम रखा जा रहा है. ये तो गनीमत है कि शहर में भामाशाह और विधायक की मदद से भोजन के पैकेट बांटे जा रहे हैं, वरना हालत कुछ और ही होती.

सबसे महत्वपूर्ण बात जब पुलिस के जरिए शहर में भोजन की व्यवस्था थी तो ऐसी तस्वीरें भी सामने नहीं आती थी. किसी भी व्यक्ति की कोई शिकायत भी सामने नहीं आती थी, लेकिन जब से पुलिस को भोजन व्यवस्था से अलग किया गया है, तब से हालात बद से बदतर हो गए हैं. जब इस मामले को लेकर उपखंड अधिकारी हिम्मत सिंह से बात करने की कोशिश भी की गई, लेकिन उनका फोन नहीं लगता. क्योंकि SDM साहब ने मीडिया कर्मियों के मोबाइल नंबरों को ब्लैक लिस्ट में शामिल कर लिया है.

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SDM साहब ने मीडिया से पूरी तरह से दूरी बना रखी है. ऐसे में अब जिला कलेक्टर जोगाराम को ही इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की दरकार है, ताकि इन जरूरतमंद लोगों को समय पर राशन सामग्री मिल सके और ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई हो, ताकि शहर के लोगों को राहत मिले.

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