जयपुर. सीबीआई के निलंबित इंस्पेक्टर प्रकाश चंद ने गृह निर्माण सहकारी समिति के कुछ भूखंडों की जांच करते हुए एक परिवादी को परेशान करना शुरू किया और साथ ही उससे 1.50 करोड रुपए की रिश्वत राशि दलाल शांतिलाल के माध्यम से मांगी. जिस पर परिवादी ने 90 लाख रूपए दलाल के माध्यम से इंस्पेक्टर प्रकाश चंद्र को दे दिए, और शेष 60 लाख रुपए देने के लिए भी प्रकाश चंद ने परिवादी पर दबाव बनाया.
जिस पर परिवादी ने एसीबी मुख्यालय में पहुंच शिकायत दर्ज कराई और एसीबी ने शिकायत का सत्यापन करने के बाद ट्रैप की कार्रवाई को अंजाम देते हुए दलाल शांतिलाल को गिरफ्तार किया. ट्रैप की कार्रवाई के दौरान ही सीबीआई इंस्पेक्टर प्रकाश चंद फरार हो गया और लंबे समय से फरार होने के चलते उसे निलंबित भी कर दिया गया.
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गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रकाश चंद ने राजस्थान हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. उसके बाद प्रकाश चंद ने सुप्रीम कोर्ट में भी अग्रिम जमानत याचिका लगाई जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए 4 सप्ताह में एसीबी के सामने सरेंडर करने के आदेश दिए. इसके बाद निलंबित इंस्पेक्टर प्रकाश चंद ने एसीबी मुख्यालय पहुंच सरेंडर किया.