ETV Bharat / state

राजस्थान में इंटरनेट बंद के खिलाफ दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय का तत्काल सुनवाई से इनकार - राजस्थान लेटेस्ट न्यूज

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षा के दौरान (Supreme Court refuses urgent hearing) इंटरनेट बंद करने से जुड़ी जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है.

Supreme Court refuses urgent hearing,  Court refuses urgent hearing on petition
उच्चतम न्यायालय का तत्काल सुनवाई से इनकार.
author img

By

Published : Mar 1, 2023, 8:48 PM IST

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए राजस्थान के कुछ जिलों में इंटरनेट बंद करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ वकील विशाल तिवारी की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि याचिका पर तीन मार्च को तत्काल सुनवाई की जरूरत है. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने स्कूली शिक्षकों की भर्ती के लिए हाल में आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में नकल रोकने के उद्देश्य से इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी थी और इससे अदालतों के कामकाज पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.

इस पर पीठ ने कहा, हम शुक्रवार को इस पर सुनवाई नहीं करेंगे, हम इसे होली की छुट्टी के बाद रखेंगे. छाया रानी नाम की एक महिला ने दायर जनहित याचिका में इंटरनेट बंद करने को लेकर सरकार के आदेश को लागू करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की है. इसके अलावा, याचिका में अनुराधा भसीन मामले में दिए गए फैसले में शीर्ष अदालत की ओर से इंटरनेट शटडाउन पर जारी दिशानिर्देशों को लागू करने की भी मांग की गई है.

पढ़ेंः Special: राजस्थान में नेटबंदी से त्रस्त छोटे कारोबारी, 3 दिन में हुआ करोड़ों का नुकसान

याचिका में कहा गया कि परीक्षा में नकल की संभावना को कम करने के लिए इंटरनेट बंद करने का आदेश पारित किया गया था. यह राज्य सरकार और राजस्थान लोक सेवा आयोग की अक्षमता को दर्शाता है. धोखाधड़ी और कदाचार की आशंका अस्पष्ट और मनमानी है. इसमें कहा गया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इंटरनेट बंद करने से परीक्षा में नकल और कदाचार को रोकने का उद्देश्य पूरा हो जाएगा. याचिका में कहा गया है कि इसके विपरीत, इस तरह के फैसले थोपे जाने से बड़े पैमाने पर नागरिक प्रभावित हुए और न्याय तक पहुंच, पेशे को आगे बढ़ाने के अधिकार और इंटरनेट के माध्यम से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर असर पड़ा है. अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामला अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में इंटरनेट बंद करने से संबंधित था. इस मामले में शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि इंटरनेट सेवाओं पर एक अपरिभाषित प्रतिबंध अवैध है और इंटरनेट शटडाउन के आदेश आवश्यकता और आनुपातिकता की कसौटी पर खरे उतरने चाहिए.

(भाषा)

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए राजस्थान के कुछ जिलों में इंटरनेट बंद करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ वकील विशाल तिवारी की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि याचिका पर तीन मार्च को तत्काल सुनवाई की जरूरत है. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने स्कूली शिक्षकों की भर्ती के लिए हाल में आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में नकल रोकने के उद्देश्य से इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी थी और इससे अदालतों के कामकाज पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.

इस पर पीठ ने कहा, हम शुक्रवार को इस पर सुनवाई नहीं करेंगे, हम इसे होली की छुट्टी के बाद रखेंगे. छाया रानी नाम की एक महिला ने दायर जनहित याचिका में इंटरनेट बंद करने को लेकर सरकार के आदेश को लागू करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की है. इसके अलावा, याचिका में अनुराधा भसीन मामले में दिए गए फैसले में शीर्ष अदालत की ओर से इंटरनेट शटडाउन पर जारी दिशानिर्देशों को लागू करने की भी मांग की गई है.

पढ़ेंः Special: राजस्थान में नेटबंदी से त्रस्त छोटे कारोबारी, 3 दिन में हुआ करोड़ों का नुकसान

याचिका में कहा गया कि परीक्षा में नकल की संभावना को कम करने के लिए इंटरनेट बंद करने का आदेश पारित किया गया था. यह राज्य सरकार और राजस्थान लोक सेवा आयोग की अक्षमता को दर्शाता है. धोखाधड़ी और कदाचार की आशंका अस्पष्ट और मनमानी है. इसमें कहा गया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इंटरनेट बंद करने से परीक्षा में नकल और कदाचार को रोकने का उद्देश्य पूरा हो जाएगा. याचिका में कहा गया है कि इसके विपरीत, इस तरह के फैसले थोपे जाने से बड़े पैमाने पर नागरिक प्रभावित हुए और न्याय तक पहुंच, पेशे को आगे बढ़ाने के अधिकार और इंटरनेट के माध्यम से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर असर पड़ा है. अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामला अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में इंटरनेट बंद करने से संबंधित था. इस मामले में शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि इंटरनेट सेवाओं पर एक अपरिभाषित प्रतिबंध अवैध है और इंटरनेट शटडाउन के आदेश आवश्यकता और आनुपातिकता की कसौटी पर खरे उतरने चाहिए.

(भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.