जयपुर. हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष महत्व दिया गया है. अमावस्या तिथि हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि कहलाती है. इसके साथ ही सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. फाल्गुन महीने में सोमवती अमावस्या 20 फरवरी यानि सोमवार को है. इस बार अमावस्या पर 30 साल बाद सुखद संयोग बना है. यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं.
पितरों की भी पूजा- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन महादेव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन पितरों की भी पूजा की जाती है. क्योंकि माना जाता है कि पितर जब प्रसन्न होते हैं तो उनके वंशों की तरक्की होती है. साथ ही परिवार में सुख और शांति का वास होता है. ज्योतिषाचार्य की मानें तो सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का अनादर नहीं करना चाहिए. इस दिन स्नान करने के बाद पितरों को जल का तर्पण देना चाहिए, इससे पितर प्रसन्न होते हैं.
पढ़ें- Aaj Ka Rashifal 16 February : कैसा बीतेगा आज का दिन,जानिए अपना आज का राशिफल
पूजा और दान का शुभ मुहूर्त- मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन दही और कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. इसके साथ ही महादेव को काला तिल अर्पित करना चाहिए. सोमवती अमावस्या पूजा मुहूर्त की बात करें तो 20 फरवरी को प्रातः 09 बजकर 50 मिनट से सुबह 11 बजकर 15 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. इस मुहूर्त में आप पूजा कर सकते हैं. वहीं, 20 फरवरी को सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक दान का समय है. इस समय के बीच दान करना शुभ होगा.
विशेष फल के गायत्री मंत्र का करें जाप- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन 5 माला गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए. गायत्री मंत्र का जाप करने से विशेष और शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आज के दिन गंगाजल, शहद, दही, दूध और घी से शिवलिंग का अभिषेक करें, इससे शुभ फल की प्राप्ति होगी. साथ ही पीपल के पेड़ पर 108 बार कच्चा सूत लपेट परिक्रमा करना चाहिए. इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की करें पूजा- सोमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी आप कुछ उपाय कर सकते हैं. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान दामोदर अर्थात् विष्णु को 5 तरह के फल अर्पित करें. पूजा के समय 'ऊं लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः' का जाप करें. पूजा संपन्न होने के बाद फल कन्याओं को दान दे दें. इससे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आर्शीवाद मिलेगा.