जयपुर. प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने हाल ही में तीन नए संभाग बनाने की घोषणा की, जिनका परिसीमन होने के बाद राजस्थान में 10 संभाग हो जाएंगे. हालांकि, राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत के अनुसार 9 संभाग में बंटा हुआ है. इसी विरासत को एक छत के नीचे संजोने का काम शुरू किया गया है, ताकि जयपुर में आने वाले पर्यटक यहां की गौरवशाली इतिहास से रूबरू हो सकें.
कभी भैरों सिंह शेखावत, मोहनलाल सुखाड़िया और शिवचरण माथुर सरीखे नेताओं की राजनीति का गवाह रही पुरानी विधानसभा अब सांस्कृतिक विरासत का केंद्र बनेगी. हवा महल के नजदीक सवाई मानसिंह टाउन हॉल में विरासत संग्रहालय मनाया जा रहा है. यहां मेवाड़, वागड़, ब्रिज-मेवात, हाड़ौती, मारवाड़, शेखावाटी, ढूंढाड़, गोडवाड़ और मेरवाड़ा क्षेत्र की अलग-अलग संस्कृति कला पहनावा और भौगोलिक स्थितियों के साथ-साथ वहां की प्रसिद्ध कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. इससे जयपुर आने वाले पर्यटक एक ही स्थान पर राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों की विरासत में देखने को मिलेगी. पुरातत्व विभाग ने सवाई मानसिंह टाउन हॉल को संवारने की जिम्मेदारी आमेर विकास प्राधिकरण को सौंपी है.
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प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रवि गुप्ता ने बताया कि सवाई मानसिंह टाउन हॉल 4 मंजिला भवन है, जिसके दूसरे तल पर राजस्थान के नो कल्चर जोन विकसित किए जाएंगे. जिसमें संबंधित क्षेत्र से जुड़ी कलाकृतियों को डिस्प्ले किया जाएगा. वहीं, पहले तल पर टाइमलाइन गैलरी में योद्धाओं की शौर्य गाथा, राजपूताना इतिहास, हड़प्पा संस्कृति, अंग्रेजों का टाइम पीरियड, आजादी के समय की तस्वीरों और 36 कारखानों को प्रदर्शित किया जाएगा. इसके अलावा निचले तल पर किड्स गैलरी तैयार की जा रही है. इस इंटरएक्टिव एरिया में बच्चे खेल-खेल में अपने शहर को जानते हुए और यहां अपनी कला का प्रदर्शन कर सकेंगे.
उन्होंने बताया कि विरासत संग्रहालय बनाने का काम दो चरणों में होगा पहले चरण में ग्राउंड फ्लोर, फर्स्ट फ्लोर और निचले हिस्से में रिनोवेशन का कार्य किया जा रहा है. यहां पहले विधानसभा संचालित थी. ऐसे में उस स्ट्रक्चर को हटाते हुए हेरिटेज स्वरूप देने की कवायद की जा रही है. टारगेट यही है कि जून में पहले चरण का काम पूरा कर इसकी शुरुआत कर दी जाए.
वहीं, एसएमएस टाउन हॉल के रिनोवेशन का काम कर रही प्राइवेट फर्म से जुड़े मनीष शर्मा ने बताया कि पहले 2012-13 में इसका काम शुरू किया गया था. लेकिन किसी केस के चलते काम ठंडे बस्ते में चला गया और अब इसका रिटेंडर हुआ है और दिसंबर से रिनोवेशन का काम शुरू किया गया है. यहां म्यूजियम के साथ-साथ एक सुनियोजित पर्यटन स्थल बने, इसके मद्देनजर गार्डनिंग एरिया भी विकसित किया जा रहा है. फिलहाल, रिपेयरिंग का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है. इसके बाद आर्ट गैलरी काम के लिए अलग टेंडर होगा.
बहरहाल, जयपुर के नजरिए से अगर बात करें तो यहां आर्ट गैलरी में कछवाहा वंश का इतिहास, विरासत से विकास की ओर बढ़ते जयपुर, यहां के तीज-त्योहार, कला-संस्कृति देखने को मिलेगी. यानी जयपुर आने वाले पर्यटकों के पास अब अल्बर्ट हॉल और सिटी पैलेस की तर्ज पर एक और विरासत संग्रहालय होगा. जहां आकर लोग ना सिर्फ जयपुर और राजस्थान की संस्कृति को समझ सकेंगे, बल्कि यहां की विरासत से जुड़ी अपनी क्यूरोसिटी भी दूर कर सकेंगे.