ETV Bharat / state

2016 में शिलान्यास, 2022 में उद्घाटन, लेकिन अब तक डिजिटलाइज नहीं हो पाई सेंट्रल लाइब्रेरी, ये हैं हालात - Central library cost

राजस्थान विश्वविद्यालय में 12 करोड़ की लागत से तैयार स्मार्ट सेंट्रल लाइब्रेरी अब तक स्मार्ट नहीं बन पाई है. छात्रों के अध्ययन के लिए केवल एक कमरे की व्यवस्था है. गंदगी का आलम रहता है.

Smart Central Library in Rajasthan University
डिजिटलाइज नहीं हो पाई सेंट्रल लाइब्रेरी
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 9, 2023, 10:13 PM IST

सेंट्रल लाइब्रेरी के स्मार्ट बनने के इंतजार में विद्यार्थी

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े राजस्थान विश्वविद्यालय में 12 करोड़ की लागत से स्मार्ट सेंट्रल लाइब्रेरी तैयार की गई, लेकिन ये लाइब्रेरी उद्घाटन के एक साल बाद तक भी स्मार्ट नहीं बन पाई है. आलम ये है कि छात्रों के एक कमरे में बैठने की सुविधा के अलावा यहां और कुछ भी नहीं है. डिजिटल होना तो दूर लाइब्रेरी में किताबें तक मौजूद नहीं हैं. यही नहीं पूरी लाइब्रेरी में गंदगी पसरी हुई है. ऐसे में छात्रों ने सवाल उठाया कि ऐसी लाइब्रेरी का क्या मतलब?

7 जुलाई, 2016 को राजस्थान विश्वविद्यालय में तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ और कुलपति जेपी सिंघल ने स्मार्ट लाइब्रेरी का शिलान्यास किया था. इसके बाद दो सरकार बदल चुकी, चार शिक्षा मंत्री और पांच कुलपति बदल चुके हैं. लेकिन स्मार्ट लाइब्रेरी का सपना अभी भी सपना ही बना हुआ है. बीते साल नवंबर में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस लाइब्रेरी का उद्घाटन भी किया. साथ ही दावा किया गया कि यहां करीब 1000 छात्रों को न सिर्फ पढ़ने के लिए उपयुक्त वातावरण मिलेगा, बल्कि इस पूरी लाइब्रेरी को डिजिटलाइज किया जा रहा है. यहां आरएफआईडी तकनीक और ओपेक सेवाओं का इस्तेमाल किया जाएगा. ताकि एंट्री से लेकर एग्जिट तक छात्र निगरानी में रहे. 5000 से ज्यादा किताबें रखी जाएंगी.

पढ़ें: सवा लाख किताबों का संग्रहण, अब डिजिटलाइज होगी महारानी कॉलेज की लाइब्रेरी, जानें क्या है तैयारी

नेत्र बाधित छात्रों के लिए ब्रेल सेक्शन होगा. साथ ही छात्रों को डिजिटल कंटेंट भी निशुल्क उपलब्ध होगा. ताकि अलग-अलग लेखन की किताबें पढ़ने के लिए छात्रों को हजार रुपए खर्च नहीं करने पड़ें. इसके अलावा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं छात्रों को भी इसका लाभ मिलेगा और शोधार्थियों को भी अच्छा कंटेंट उपलब्ध हो पाएगा. लेकिन 12 करोड़ खर्च करने के बाद भी यहां छात्रों के लिए सिर्फ एक कमरा शुरू किया गया है. जिसमें छात्रों के पास बैठने के अलावा और कोई सुविधा नहीं. यही नहीं विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों ने बताया कि पूरी लाइब्रेरी में ना तो कोई कंप्यूटर सेक्शन बनाया गया और ना ही कोई बुक सेक्शन. यहां तक की पूरी लाइब्रेरी में गंदगी पसरी हुई है.

एमए स्टूडेंट मुकुल ने बताया कि जब ग्रेजुएशन के लिए राजस्थान कॉलेज में थे, तब डिजिटल लाइब्रेरी बनाने की कवायद शुरू हुई थी और आज वो एमए फाइनल ईयर में हैं. लेकिन अभी भी लाइब्रेरी का काम अधूरा ही है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक कमरा खोलकर इतिश्री कर ली. वहां पर भी किसी तरह की व्यवस्था और सुरक्षा नहीं है. आलम ये है की लाइब्रेरी की बात सुनते ही जहन में किताबों का कमरा आता है, उसकी तुलना में यहां एक किताब भी मौजूद नहीं है.

पढ़ें: 16 को लाइब्रेरी का उद्घाटन करेंगे गहलोत, एनएसयूआई ने खत्म किया धरना

वहीं एमए की छात्रा रेनू ने बताया कि डिजिटल लाइब्रेरी का जो सपना था वो अभी तक भी सपना ही बना हुआ है. क्योंकि लाइब्रेरी का उद्घाटन तो हो गया, लेकिन यहां फर्नीचर कमरों में लॉक्ड है. वहीं पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के छात्र साजिद खान ने बताया कि इस लाइब्रेरी को खोलकर सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई है. यहां किताबें नहीं है, हर जगह गंदगी पसरी हुई है. सुबह 9 खोलते हैं, शाम को 6 बजे बंद कर देते हैं. ऐसी लाइब्रेरी का क्या मतलब.

वहीं राजस्थान विश्वविद्यालय में ही अध्यनरत एक छात्र देवेंद्र ने बताया कि वो असिस्टेंट प्रोफेसर की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अपनी प्रिपरेशन पुरानी लाइब्रेरी से ही कर रहे हैं. क्योंकि नई लाइब्रेरी के नाम पर सिर्फ एक आउटर स्ट्रक्चर बना हुआ है. अंदर कुछ नहीं. जबकि खुद मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया था. छात्रों की आखिरी उम्मीद सीएम ही थी. जब उनके उद्घाटन करने के बावजूद कुछ नहीं हुआ, तो अब किससे कहें. यहां एक तरफ 2016 की शिलान्यास पट्टिका लगी हुई है, दूसरी तरफ 2022 की उद्घाटन पट्टिका लगी हुई है. इसके बीच सिर्फ भवन तैयार हुआ है और कुछ नहीं हुआ.

पढ़ें: RU को स्मार्ट सेंट्रल लाइब्रेरी का इंतजार, चार शिक्षा मंत्री और पांच कुलपति बदले फिर भी नहीं मिली सौगात

वहीं इस संबंध में एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश भाटी ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि गहलोत सरकार ने बड़ी मंशा से राजस्थान विश्वविद्यालय को डिजिटल लाइब्रेरी की सौगात दी थी. लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय के उदासीन रवैये की वजह से ये लाइब्रेरी अब तक डिजिटल नहीं हो पाई है. अभी भी पुराने ढर्रे पर एक कमरे में सीटिंग अरेंजमेंट कर लाइब्रेरी चल रही है. अब आचार संहिता हट चुकी है.

इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन से यही निवेदन है कि जल्द से जल्द इस लाइब्रेरी को डिजिटल किया जाए ताकि छात्र इसका उचित इस्तेमाल कर सकें. वहीं इस संबंध में जब विश्वविद्यालय प्रशासन से पूछा गया तो उन्होंने आचार संहिता लगने के कारण डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया अटकने का हवाला दिया और अब जब आचार संहिता हट चुकी है तो नए साल में छात्रों को डिजिटल लाइब्रेरी की सौगात दे दी जाएगी.

सेंट्रल लाइब्रेरी के स्मार्ट बनने के इंतजार में विद्यार्थी

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े राजस्थान विश्वविद्यालय में 12 करोड़ की लागत से स्मार्ट सेंट्रल लाइब्रेरी तैयार की गई, लेकिन ये लाइब्रेरी उद्घाटन के एक साल बाद तक भी स्मार्ट नहीं बन पाई है. आलम ये है कि छात्रों के एक कमरे में बैठने की सुविधा के अलावा यहां और कुछ भी नहीं है. डिजिटल होना तो दूर लाइब्रेरी में किताबें तक मौजूद नहीं हैं. यही नहीं पूरी लाइब्रेरी में गंदगी पसरी हुई है. ऐसे में छात्रों ने सवाल उठाया कि ऐसी लाइब्रेरी का क्या मतलब?

7 जुलाई, 2016 को राजस्थान विश्वविद्यालय में तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ और कुलपति जेपी सिंघल ने स्मार्ट लाइब्रेरी का शिलान्यास किया था. इसके बाद दो सरकार बदल चुकी, चार शिक्षा मंत्री और पांच कुलपति बदल चुके हैं. लेकिन स्मार्ट लाइब्रेरी का सपना अभी भी सपना ही बना हुआ है. बीते साल नवंबर में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस लाइब्रेरी का उद्घाटन भी किया. साथ ही दावा किया गया कि यहां करीब 1000 छात्रों को न सिर्फ पढ़ने के लिए उपयुक्त वातावरण मिलेगा, बल्कि इस पूरी लाइब्रेरी को डिजिटलाइज किया जा रहा है. यहां आरएफआईडी तकनीक और ओपेक सेवाओं का इस्तेमाल किया जाएगा. ताकि एंट्री से लेकर एग्जिट तक छात्र निगरानी में रहे. 5000 से ज्यादा किताबें रखी जाएंगी.

पढ़ें: सवा लाख किताबों का संग्रहण, अब डिजिटलाइज होगी महारानी कॉलेज की लाइब्रेरी, जानें क्या है तैयारी

नेत्र बाधित छात्रों के लिए ब्रेल सेक्शन होगा. साथ ही छात्रों को डिजिटल कंटेंट भी निशुल्क उपलब्ध होगा. ताकि अलग-अलग लेखन की किताबें पढ़ने के लिए छात्रों को हजार रुपए खर्च नहीं करने पड़ें. इसके अलावा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं छात्रों को भी इसका लाभ मिलेगा और शोधार्थियों को भी अच्छा कंटेंट उपलब्ध हो पाएगा. लेकिन 12 करोड़ खर्च करने के बाद भी यहां छात्रों के लिए सिर्फ एक कमरा शुरू किया गया है. जिसमें छात्रों के पास बैठने के अलावा और कोई सुविधा नहीं. यही नहीं विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों ने बताया कि पूरी लाइब्रेरी में ना तो कोई कंप्यूटर सेक्शन बनाया गया और ना ही कोई बुक सेक्शन. यहां तक की पूरी लाइब्रेरी में गंदगी पसरी हुई है.

एमए स्टूडेंट मुकुल ने बताया कि जब ग्रेजुएशन के लिए राजस्थान कॉलेज में थे, तब डिजिटल लाइब्रेरी बनाने की कवायद शुरू हुई थी और आज वो एमए फाइनल ईयर में हैं. लेकिन अभी भी लाइब्रेरी का काम अधूरा ही है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक कमरा खोलकर इतिश्री कर ली. वहां पर भी किसी तरह की व्यवस्था और सुरक्षा नहीं है. आलम ये है की लाइब्रेरी की बात सुनते ही जहन में किताबों का कमरा आता है, उसकी तुलना में यहां एक किताब भी मौजूद नहीं है.

पढ़ें: 16 को लाइब्रेरी का उद्घाटन करेंगे गहलोत, एनएसयूआई ने खत्म किया धरना

वहीं एमए की छात्रा रेनू ने बताया कि डिजिटल लाइब्रेरी का जो सपना था वो अभी तक भी सपना ही बना हुआ है. क्योंकि लाइब्रेरी का उद्घाटन तो हो गया, लेकिन यहां फर्नीचर कमरों में लॉक्ड है. वहीं पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के छात्र साजिद खान ने बताया कि इस लाइब्रेरी को खोलकर सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई है. यहां किताबें नहीं है, हर जगह गंदगी पसरी हुई है. सुबह 9 खोलते हैं, शाम को 6 बजे बंद कर देते हैं. ऐसी लाइब्रेरी का क्या मतलब.

वहीं राजस्थान विश्वविद्यालय में ही अध्यनरत एक छात्र देवेंद्र ने बताया कि वो असिस्टेंट प्रोफेसर की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अपनी प्रिपरेशन पुरानी लाइब्रेरी से ही कर रहे हैं. क्योंकि नई लाइब्रेरी के नाम पर सिर्फ एक आउटर स्ट्रक्चर बना हुआ है. अंदर कुछ नहीं. जबकि खुद मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया था. छात्रों की आखिरी उम्मीद सीएम ही थी. जब उनके उद्घाटन करने के बावजूद कुछ नहीं हुआ, तो अब किससे कहें. यहां एक तरफ 2016 की शिलान्यास पट्टिका लगी हुई है, दूसरी तरफ 2022 की उद्घाटन पट्टिका लगी हुई है. इसके बीच सिर्फ भवन तैयार हुआ है और कुछ नहीं हुआ.

पढ़ें: RU को स्मार्ट सेंट्रल लाइब्रेरी का इंतजार, चार शिक्षा मंत्री और पांच कुलपति बदले फिर भी नहीं मिली सौगात

वहीं इस संबंध में एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश भाटी ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि गहलोत सरकार ने बड़ी मंशा से राजस्थान विश्वविद्यालय को डिजिटल लाइब्रेरी की सौगात दी थी. लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय के उदासीन रवैये की वजह से ये लाइब्रेरी अब तक डिजिटल नहीं हो पाई है. अभी भी पुराने ढर्रे पर एक कमरे में सीटिंग अरेंजमेंट कर लाइब्रेरी चल रही है. अब आचार संहिता हट चुकी है.

इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन से यही निवेदन है कि जल्द से जल्द इस लाइब्रेरी को डिजिटल किया जाए ताकि छात्र इसका उचित इस्तेमाल कर सकें. वहीं इस संबंध में जब विश्वविद्यालय प्रशासन से पूछा गया तो उन्होंने आचार संहिता लगने के कारण डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया अटकने का हवाला दिया और अब जब आचार संहिता हट चुकी है तो नए साल में छात्रों को डिजिटल लाइब्रेरी की सौगात दे दी जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.