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Sardarshahar By Election: उपचुनावों में परम्परा बनेगी या टूटेगी इस पर नजर, क्या चलेगा कांग्रेस का Sympathy Card!

चूरू जिले के सरदारशहर विधानसभी सीट पर भाजपा के अशोक कुमार पिंचा के नाम का एलान हो चुका है (Sardarshahar By Election). उनके खिलाफ कांग्रेस के अनिल शर्मा चुनाव पर नजरें टिकीं हैं. ये सीट कांग्रेसी भंवरलाल शर्मा के असमय निधन से खाली हुई थी. अनिल उन्हीं के बेटे हैं. परम्परा टूटेगी या उसी ढर्रे पर रहकर कांग्रेस अनिल शर्मा पर भरोसा जताएगी इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं.

Sardarshahar By Election
परम्परा बनेगी या टूटेगी
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Published : Nov 16, 2022, 11:02 AM IST

Updated : Nov 16, 2022, 12:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान में पंडित भंवर लाल शर्मा के निधन के चलते 5 दिसंबर को सरदार शहर विधानसभा में चुनाव होने हैं (Sardarshahar By Election). भाजपा ने अशोक कुमार पींचा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. अब बारी कांग्रेस की है. नाम का एलान नहीं हुआ है लेकिन सूत्रों की मानें तो अनिल शर्मा का टिकट पक्का है. वजह Sympathy वेव बताया जा रहा है. अब तक का इतिहास बताता है कि कांग्रेस सहानुभूति वेव का फायदा उठाने से चूकती नहीं है और इसके जरिए ही उपचुनाव में जीत दर्ज करने का प्रयास करती है.

तय है कि कांग्रेस पंडित भंवर लाल शर्मा के नाम की सहानुभूति का ही इस्तेमाल करेगी और दिवंगत नेता के बेटे अनिल शर्मा का टिकट ही फाइनल करेगी. कांग्रेस के वर्तमान कार्यकाल से पहले राजस्थान की जनता ने परिवारवाद को नकार दिया था. लेकिन 2018 से अब तक का समय देखें तो Notion बदला सा लगता है. अशोक गहलोत के वर्तमान कार्यकाल में कांग्रेस हो या भाजपा जिसने परिवारवाद का कार्ड खेला उसने जीत दर्ज की है.

Sardarshahar By Election
गहलोत सरकार का वर्तमान दौर

कांग्रेस पार्टी की ओर से अभी सरदार शहर विधानसभा उपचुनाव के लिए टिकट की घोषणा नहीं की गई है. लेकिन जिस तरह से महाराष्ट्र से लौटते ही राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जो संकेत दिए वो अनिल शर्मा की उम्मीदवारी पर मुहर लगाते हैं. उन्होंने कहा - राजस्थान की कांग्रेस सरकार का 4 साल का गुड गवर्नेंस और पंडित भंवर लाल शर्मा का बेहतरीन काम कांग्रेस को जीत दिलाएगा. इन्हीं कामों के चलते कांग्रेस सरदारशहर में मजबूत है और सत्ता और संगठन में पूरी तरीके से चल रहे समन्वय ने हमारी जीत 100% तय कर दी है.

Sardarshahar By Election
वसुंधरा राजे सरकार

पढ़ें-सरदारशहर उप चुनाव: बीजेपी के लिए आंकलन का मौका, तो कांग्रेस सहानुभूति कार्ड का ले सकती है सहारा

डोटासरा ने कहा कि वैसे भी भाजपा अब यह मान चुकी है कि उपचुनाव में चाहे वह सत्ताधारी दल हो या फिर विपक्ष जीत कांग्रेस पार्टी को ही मिलती है, ऐसे में सरदारशहर विधानसभा में कांग्रेस पार्टी को ही जीत मिलेगी. डोटासरा का ये बयान ही दर्शाता है कि वो भंवर लाल शर्मा के कामों को भी वोट का आधार मान रहे हैं. साफ है कि पंडित भंवर लाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा के टिकट की घोषणा महज औपचारिकता बची हुई है.

Sardarshahar By Election
मिले जुले रहे थे नतीजे
Sardarshahar By Election
भाजपा की सरकार में भाजपा जीतती रही उपचुनाव
उपचुनावों के नतीजों से Sympathy कार्ड पर मुहर: वैसे तो राजस्थान में अब तक हुए उपचुनाव में सत्ताधारी दल का पलड़ा हमेशा भारी रहा है . भले ही सिंपैथी के आधार पर सही कांग्रेस को इस बार भी सत्ताधारी दल होने का लाभ मिला है और ज्यादातर चुनाव कांग्रेस पार्टी ने ही जीते हैं.
Sardarshahar By Election
तीन दशक पहले की तस्वीर
Sardarshahar By Election
कांग्रेस ने लहराया जीत का परचम
Sardarshahar By Election
तब जनता पार्टी का दौर था

1998 के उपचुनावों पर निगाह डालें तो पाएंगे कि जो दल सत्ता में होता था उपचुनाव में 100% जीत उसी के प्रत्याशी को मिलती थी. 1998 के बाद परंपरा में बदलाव आया और विपक्षी दल भी कुछ सीटों पर चुनाव जीतने लगे.

वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल में 8 में से 6 चुनाव विपक्ष में होते हुए भी कांग्रेस पार्टी ने जीते और पुरानी परंपरा को पूरी तरीके से कांग्रेस पार्टी ने विपक्षी दल होते हुए भी तोड़ दिया. गहलोत के कार्यकाल में पुरानी परम्परा फिर टूटी. कांग्रेस पार्टी को इस बार सत्ताधारी दल होने पर भी जनता ने पसंद किया और अब तक हुए 7 उपचुनाव में से 5 उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाई.

जयपुर. राजस्थान में पंडित भंवर लाल शर्मा के निधन के चलते 5 दिसंबर को सरदार शहर विधानसभा में चुनाव होने हैं (Sardarshahar By Election). भाजपा ने अशोक कुमार पींचा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. अब बारी कांग्रेस की है. नाम का एलान नहीं हुआ है लेकिन सूत्रों की मानें तो अनिल शर्मा का टिकट पक्का है. वजह Sympathy वेव बताया जा रहा है. अब तक का इतिहास बताता है कि कांग्रेस सहानुभूति वेव का फायदा उठाने से चूकती नहीं है और इसके जरिए ही उपचुनाव में जीत दर्ज करने का प्रयास करती है.

तय है कि कांग्रेस पंडित भंवर लाल शर्मा के नाम की सहानुभूति का ही इस्तेमाल करेगी और दिवंगत नेता के बेटे अनिल शर्मा का टिकट ही फाइनल करेगी. कांग्रेस के वर्तमान कार्यकाल से पहले राजस्थान की जनता ने परिवारवाद को नकार दिया था. लेकिन 2018 से अब तक का समय देखें तो Notion बदला सा लगता है. अशोक गहलोत के वर्तमान कार्यकाल में कांग्रेस हो या भाजपा जिसने परिवारवाद का कार्ड खेला उसने जीत दर्ज की है.

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गहलोत सरकार का वर्तमान दौर

कांग्रेस पार्टी की ओर से अभी सरदार शहर विधानसभा उपचुनाव के लिए टिकट की घोषणा नहीं की गई है. लेकिन जिस तरह से महाराष्ट्र से लौटते ही राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जो संकेत दिए वो अनिल शर्मा की उम्मीदवारी पर मुहर लगाते हैं. उन्होंने कहा - राजस्थान की कांग्रेस सरकार का 4 साल का गुड गवर्नेंस और पंडित भंवर लाल शर्मा का बेहतरीन काम कांग्रेस को जीत दिलाएगा. इन्हीं कामों के चलते कांग्रेस सरदारशहर में मजबूत है और सत्ता और संगठन में पूरी तरीके से चल रहे समन्वय ने हमारी जीत 100% तय कर दी है.

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वसुंधरा राजे सरकार

पढ़ें-सरदारशहर उप चुनाव: बीजेपी के लिए आंकलन का मौका, तो कांग्रेस सहानुभूति कार्ड का ले सकती है सहारा

डोटासरा ने कहा कि वैसे भी भाजपा अब यह मान चुकी है कि उपचुनाव में चाहे वह सत्ताधारी दल हो या फिर विपक्ष जीत कांग्रेस पार्टी को ही मिलती है, ऐसे में सरदारशहर विधानसभा में कांग्रेस पार्टी को ही जीत मिलेगी. डोटासरा का ये बयान ही दर्शाता है कि वो भंवर लाल शर्मा के कामों को भी वोट का आधार मान रहे हैं. साफ है कि पंडित भंवर लाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा के टिकट की घोषणा महज औपचारिकता बची हुई है.

Sardarshahar By Election
मिले जुले रहे थे नतीजे
Sardarshahar By Election
भाजपा की सरकार में भाजपा जीतती रही उपचुनाव
उपचुनावों के नतीजों से Sympathy कार्ड पर मुहर: वैसे तो राजस्थान में अब तक हुए उपचुनाव में सत्ताधारी दल का पलड़ा हमेशा भारी रहा है . भले ही सिंपैथी के आधार पर सही कांग्रेस को इस बार भी सत्ताधारी दल होने का लाभ मिला है और ज्यादातर चुनाव कांग्रेस पार्टी ने ही जीते हैं.
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तीन दशक पहले की तस्वीर
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कांग्रेस ने लहराया जीत का परचम
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तब जनता पार्टी का दौर था

1998 के उपचुनावों पर निगाह डालें तो पाएंगे कि जो दल सत्ता में होता था उपचुनाव में 100% जीत उसी के प्रत्याशी को मिलती थी. 1998 के बाद परंपरा में बदलाव आया और विपक्षी दल भी कुछ सीटों पर चुनाव जीतने लगे.

वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल में 8 में से 6 चुनाव विपक्ष में होते हुए भी कांग्रेस पार्टी ने जीते और पुरानी परंपरा को पूरी तरीके से कांग्रेस पार्टी ने विपक्षी दल होते हुए भी तोड़ दिया. गहलोत के कार्यकाल में पुरानी परम्परा फिर टूटी. कांग्रेस पार्टी को इस बार सत्ताधारी दल होने पर भी जनता ने पसंद किया और अब तक हुए 7 उपचुनाव में से 5 उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाई.

Last Updated : Nov 16, 2022, 12:26 PM IST
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