जयपुर. दशहरे का पर्व आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन संस्कृत के विद्धवान कलानाथ शास्त्री के अनुसार रावण पर भगवान राम की विजय का दिन ये नहीं था. विजय का दिन फाल्गुन और चैत्र मास में हुआ था. इतिहास में ऐसा माना गया है कि विजयदशमी पर श्रीराम ने युद्ध के लिए कूच किया था. विजयदशमी पर युद्ध का आरंभ हुआ था.
नवरात्रि के नौ दिन पूजा के बाद 10वें दिन राजाओं की सेना के साथ कूच करने का समय होता था, इसलिए विजय दशमी विजय यात्रा की तिथि होती है. शास्त्री ने बताया कि नवरात्र से पहले चार महीने वर्षा होने से यात्रा स्थगित रहती थी.
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नवरात्रि के विजय दशमी पर दो काम किए जाते थे. पहला राजा शस्त्र का पूजन करते थे. दूसरा इस दिन 'सिमोलंगन' किया जाता था. यानी सीमा का उल्लंघन करके कूच करने का प्रयास और सीमा उल्लंघनके बाद वहां जाकर शमी (खेजड़ा) की पूजा करते थे. आपको बता दें कि खेजड़े का वृक्ष सीमा के कोने पर लगाया जाता था. आज भी कई लोग खेजड़े के वृक्ष की पूजा करते है.
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शास्त्री ने बताया कि इस दिन का महत्व राम और रावण के संबंध से भी जुड़ गया है. क्योंकि इन 9 दिनों में रामलीलाएं होती थी. दशमी तक आते-आते राम का रावण पर विजय का पर्व होता था. रामलीला में रावण का वध राम करते थे. रावण मर जाता था और रावण का दहन किया जाता था, इसलिए इस दिन रावण का दहन किया जाता है. किंतु मूलत: विजय दशमी विजय यात्रा की दशमी होती है.