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शास्त्रों के अनुसार विजयदशमी पर नहीं हुआ था रावण का वध : कलानाथ शास्त्री

विजयदशमी पर्व अश्विन शुक्ल दशमी को धूमधाम से मनाया जाता है. यह हर साल दिवाली के पर्व से 20 दिन पहले आता है. लंका के राजा रावण पर भगवान राम की जीत को दर्शाता है दशहरा. भगवान राम सच्चाई के प्रतीक है और रावण बुराई की शक्ति का, लेकिन एक विद्वान का कहना रहा कि शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान राम ने रावण को नहीं मारा था.

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Published : Oct 8, 2019, 3:33 PM IST

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जयपुर. दशहरे का पर्व आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन संस्कृत के विद्धवान कलानाथ शास्त्री के अनुसार रावण पर भगवान राम की विजय का दिन ये नहीं था. विजय का दिन फाल्गुन और चैत्र मास में हुआ था. इतिहास में ऐसा माना गया है कि विजयदशमी पर श्रीराम ने युद्ध के लिए कूच किया था. विजयदशमी पर युद्ध का आरंभ हुआ था.

विजयदशमी पर नहीं हुआ था रावण का वध

नवरात्रि के नौ दिन पूजा के बाद 10वें दिन राजाओं की सेना के साथ कूच करने का समय होता था, इसलिए विजय दशमी विजय यात्रा की तिथि होती है. शास्त्री ने बताया कि नवरात्र से पहले चार महीने वर्षा होने से यात्रा स्थगित रहती थी.

पढे़ं- जयपुर: महानवमी पर कन्या पूजन का चला दौर, बालिकाओं के पैर धोकर बांधा कलावा

नवरात्रि के विजय दशमी पर दो काम किए जाते थे. पहला राजा शस्त्र का पूजन करते थे. दूसरा इस दिन 'सिमोलंगन' किया जाता था. यानी सीमा का उल्लंघन करके कूच करने का प्रयास और सीमा उल्लंघनके बाद वहां जाकर शमी (खेजड़ा) की पूजा करते थे. आपको बता दें कि खेजड़े का वृक्ष सीमा के कोने पर लगाया जाता था. आज भी कई लोग खेजड़े के वृक्ष की पूजा करते है.

पढे़ं- सतीश पूनिया का पदभार ग्रहण समारोह, मुख्यालय को सजाया

शास्त्री ने बताया कि इस दिन का महत्व राम और रावण के संबंध से भी जुड़ गया है. क्योंकि इन 9 दिनों में रामलीलाएं होती थी. दशमी तक आते-आते राम का रावण पर विजय का पर्व होता था. रामलीला में रावण का वध राम करते थे. रावण मर जाता था और रावण का दहन किया जाता था, इसलिए इस दिन रावण का दहन किया जाता है. किंतु मूलत: विजय दशमी विजय यात्रा की दशमी होती है.

जयपुर. दशहरे का पर्व आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन संस्कृत के विद्धवान कलानाथ शास्त्री के अनुसार रावण पर भगवान राम की विजय का दिन ये नहीं था. विजय का दिन फाल्गुन और चैत्र मास में हुआ था. इतिहास में ऐसा माना गया है कि विजयदशमी पर श्रीराम ने युद्ध के लिए कूच किया था. विजयदशमी पर युद्ध का आरंभ हुआ था.

विजयदशमी पर नहीं हुआ था रावण का वध

नवरात्रि के नौ दिन पूजा के बाद 10वें दिन राजाओं की सेना के साथ कूच करने का समय होता था, इसलिए विजय दशमी विजय यात्रा की तिथि होती है. शास्त्री ने बताया कि नवरात्र से पहले चार महीने वर्षा होने से यात्रा स्थगित रहती थी.

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नवरात्रि के विजय दशमी पर दो काम किए जाते थे. पहला राजा शस्त्र का पूजन करते थे. दूसरा इस दिन 'सिमोलंगन' किया जाता था. यानी सीमा का उल्लंघन करके कूच करने का प्रयास और सीमा उल्लंघनके बाद वहां जाकर शमी (खेजड़ा) की पूजा करते थे. आपको बता दें कि खेजड़े का वृक्ष सीमा के कोने पर लगाया जाता था. आज भी कई लोग खेजड़े के वृक्ष की पूजा करते है.

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शास्त्री ने बताया कि इस दिन का महत्व राम और रावण के संबंध से भी जुड़ गया है. क्योंकि इन 9 दिनों में रामलीलाएं होती थी. दशमी तक आते-आते राम का रावण पर विजय का पर्व होता था. रामलीला में रावण का वध राम करते थे. रावण मर जाता था और रावण का दहन किया जाता था, इसलिए इस दिन रावण का दहन किया जाता है. किंतु मूलत: विजय दशमी विजय यात्रा की दशमी होती है.

Intro:जयपुर- विजयदशमी दशहरा अश्विन शुक्ल दशमी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह हर साल दिवाली के पर्व से 20 दिन पहले आता है। लंका के राजा रावण पर भगवान राम की जीत को दर्शाता है दशहरा। भगवान राम सच्चाई के प्रतीक है और रावण बुराई की शक्ति का। देवी दुर्गा की पूजा के साथ हिंदू लोगों के द्वारा यह महान धार्मिक उत्सव और दस्तूर मनाया जाता है। लेकिन संस्कृत के विद्धवान कलानाथ शास्त्री के अनुसार रावण पर राम की विजय का दिन ये नहीं था, विजय का दिन फाल्गुन और चरित्र मास में हुआ था। इतिहास में ऐसा माना गया है कि विजयदशमी पर श्रीराम ने युद्ध के लिए कूच किया था वही विजयदशमी पर युद्ध का आरंभ होता था।


Body:नवरात्रा के नो दिन पूजा के बाद दसवें दिन राजाओं की सेना के साथ कूच करने का समय होता था। इसलिए विजय दशमी विजय यात्रा की तिथि होती है। शास्त्री ने बताया कि नवरात्र से पहले चार महीने वर्षा होने से यात्रा स्थगित रहती थी इसलिए नवरात्रा के विजय दशमी पर दो काम किए जाते थे। पहला राजा शस्त्र का पूजन करते थे, दूसरा इस दिन 'सिमोलंगन' किया जाता था यानी सीमा का उल्लंघन करके कूच करने का प्रयास और सिमा उल्लंघनके बाद वहां जाकर शमी (खेजड़ा) की पूजा करते थे। आपको बता दे खेजड़े का वृक्ष सीमा के कोने पर लगाया जाता था। इसलिए आज भी कई लोग खेजड़े के वृक्ष की पूजा करते है।

शास्त्री ने बताया कि इस दिन का महत्व राम और रावण के सम्बंध से भी जुड़ गया है क्योंकि इन नो दिनों में रामलीलाएं होती थी और दशमी तक आते आते राम का रावण पर विजय का पर्व होता था। रामलीला में रावण का वध राम करते थे, रावण मर जाता था और रावण का दहन किया जाता था इसलिए इस दिन रावण का दहन किया जाता है। किंतु मूलतह विजय दशमी विजय यात्रा की दशमी होती थी।

बाईट- कलानाथ शास्त्री, विद्धवान


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