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राजेंद्र राठौड़ ने लिखा मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र, वाणिज्य अध्यादेश 2020 को जल्द लागू करने की मांग

उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर भारत सरकार द्वारा जून 2020 में जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश 2020 को प्रदेश में लागू किए जाने की नीति और दृष्टिकोण को स्पष्ट करने की मांग की है. राठौड़ ने लिखा है कि लगभग 3 महीने गुजर जाने के पश्चात भी कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जाना प्रदेश के किसानों में असमंजसता पैदा कर रहा है.

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राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखा है
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Published : Sep 7, 2020, 5:55 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर भारत सरकार द्वारा जून 2020 में जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश 2020, जिसके माध्यम से पूरे देश में किसान को अपनी फसल को कृषि मंडी क्षेत्र या सरकार द्वारा अधिसूचित क्षेत्र में विक्रय के बंधन से मुक्त कर किसी भी स्थान, व्यक्ति, व्यापारी या संस्था को जब चाहे, जहां चाहे, जिस स्थान पर चाहे बेचने की दशकों पुरानी मांग को देशभर में लागू किए जाने की नीति और दृष्टिकोण को स्पष्ट किये जाने की मांग की है.

राठौड़ ने अपने पत्र में लिखा है कि केन्द्र सरकार ने देश के किसानों को कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (संवर्द्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 के माध्यम से कृषि क्रय विक्रय के व्यापार क्षेत्र को परिभाषित करते हुए भारत में प्रवृत्त राज्य कृषि उपज मण्डी अधिनियम के लागू होने के क्षेत्र को निर्बाधित यानि रोक दिया. यह वैधानिक अधिकार भी दे दिया था कि किसान अपनी फसल को देश में किसी भी व्यक्ति, व्यापारी, कंपनी को सीधे या इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेच सकता है. केन्द्र सरकार ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक अध्यादेश 2020 की धारा 6 के अनुसार सभी प्रकार के टेक्स या सैस को राज्य सरकार या केन्द्र सरकार द्वारा वसूल नहीं किये जाने का प्रावधान कर ऐतिहासिक निर्णय भी लिया है.

राठौड़ ने कहा कि देश के किसानों को दशकों बाद अपनी फसल का निर्बाध रूप से कहीं भी बेचने के अधिकार के बारे में केन्द्र सरकार द्वारा दिये गये अधिकार पर राज्य सरकार द्वारा लगभग 3 महीने गुजर जाने के पश्चात भी कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जाना प्रदेश के किसानों में असमंजसता पैदा कर रहा है.

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राठौड़ ने खेद जताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक अध्यादेश, 2020 कि मूल भावनाओं के विपरीत सरकार ने इसी 24 जुलाई को विधानसभा में प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति में राजस्थान कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक 2020 पारित करवाके यह सिद्ध कर दिया कि सरकार किसान को केन्द्र सरकार द्वारा बिना टैक्स, बिना फीस या सैस से अपनी फसल को देश में कहीं भी बेचान करने के वैधानिक अधिकार को लागू नहीं करना चाहती, क्योंकि सरकार ने राजस्थान कृषि उपज मण्डी विधेयक 1961 में हाल ही में संशोधन कर प्रदेश के किसी भी कृषि मण्डी क्षेत्र या अधिसूचित क्षेत्र या सरकार द्वारा अधिकृत लाईसेंसी व्यापारी के पास किसानों द्वारा मात्र फसल लाये जाने, चाहे फसल का विक्रय हो या न हो पर 2.6 प्रतिशत मण्डी टेक्स वसूल करने का अधिकार प्राप्त कर लिया वहीं कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1961 की धारा 17 में संशोधन कर राजपत्र में दर प्रकाशित कर कृषक कल्याण कोष के नाम जितनी चाहे मनमर्जी तौर पर कृषक कल्याण फीस वसूलने का भी व्यापक अधिकार भी प्राप्त किया है.

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राज्य सरकार द्वारा हाल ही में कृषि उपज मण्डी अधिनियम में किये गये दोनों संशोधन केन्द्र सरकार द्वारा जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक अध्यादेश 2020 की मूल भावना के बिल्कुल विपरीत है. केन्द्र सरकार जहां देश के किसानों को बिना किसी कर या फीस या सेस के अपनी उपज को अपनी मर्जी से जहां चाहे वहां किसी भी व्यापारी, संस्थान अथवा कम्पनी को बेचने के उन्मुक्त अधिकार दे रही हैं. वहीं, राज्य सरकार संघवाद कि भावना के विपरीत कानून बनाकर राज्य के किसानों से मनमाना मंडी टैक्स व कृषक कल्याण फीस वसूल करना चाह रही है.

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राजस्थान में सर्वाधिक मण्डी टेक्स किसानों से वसूला जा रहा है:
उन्होंने कहा कि आज राजस्थान देश में सर्वाधिक मण्डी टेक्स 2.6 प्रतिशत राज्य के किसानों से वसूला जा रहा है जो देश में सर्वाधिक है जिसे नि:संदेह कृषि उपज मण्डी कानून में हाल ही में सरकार द्वारा किये गये संशोधन किसान कल्याण फीस के नाम पर और बढ़ाये जाने की प्रबंल संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. वहीं, हमारे पड़ोसी राज्यों में जहां मण्डी टेक्स की दरें मात्र हरियाणा में 1% , गुजरात में .5%, मध्यप्रदेश में 1%, महाराष्ट्र में .80% और कर्नाटक में 0.35% है. वहीं, राजस्थान में सर्वाधिक 2.6% है.

संघवाद की अवधारणा पर भी सीधा चोट:
राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा संवैधानिक अधिकारों के तहत जारी अध्यादेश कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक अध्यादेश 2020 के विरुद्ध राजस्थान कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक 2020 में किया संशोधन लोकतंत्र को न केवल कमजोर करता है बल्कि संघवाद की अवधारणा पर भी सीधा चोट पहुंचाते है. राठौड़ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार कृषि उपज पर सभी करों, फीस व सेस को तुरंत प्रभाव से वापिस ले ताकि राज्य का व्यापारी उन्मुक्त हो और किसानों की फसल का क्रय, विक्रय कर सके. उन्होंने कहा कि हां अगर सरकार उचित समझे तो ए.पी.एम.सी. यार्ड के व्यवस्थित करने के लिए मेन्टीनेंस चार्ज के रूप में मात्र 0.50 (50 पैसा प्रति सैंकड़ा) की राशि मात्र वसूल करने का प्रावधान कर सकती है.

राज्य में केन्द्र सरकार द्वारा जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (सवंर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 के प्रावधानों को लागू किया जाने की राठौड़ ने मांग की है. राज्य में हाल ही में बढ़ाई 0.1% मण्डी टेक्स जो पूर्व में 1.6% थी, को राज्य सरकार ने बढ़ाकर 2.6% की उसको मात्र 0.5 % किए जाने की मांग की है. साथ ही कृषक कल्याण कोष के नाम से जारी अतिरिक्त कृषक कल्याण फीस लिए जाने के प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की है.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर भारत सरकार द्वारा जून 2020 में जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश 2020, जिसके माध्यम से पूरे देश में किसान को अपनी फसल को कृषि मंडी क्षेत्र या सरकार द्वारा अधिसूचित क्षेत्र में विक्रय के बंधन से मुक्त कर किसी भी स्थान, व्यक्ति, व्यापारी या संस्था को जब चाहे, जहां चाहे, जिस स्थान पर चाहे बेचने की दशकों पुरानी मांग को देशभर में लागू किए जाने की नीति और दृष्टिकोण को स्पष्ट किये जाने की मांग की है.

राठौड़ ने अपने पत्र में लिखा है कि केन्द्र सरकार ने देश के किसानों को कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (संवर्द्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 के माध्यम से कृषि क्रय विक्रय के व्यापार क्षेत्र को परिभाषित करते हुए भारत में प्रवृत्त राज्य कृषि उपज मण्डी अधिनियम के लागू होने के क्षेत्र को निर्बाधित यानि रोक दिया. यह वैधानिक अधिकार भी दे दिया था कि किसान अपनी फसल को देश में किसी भी व्यक्ति, व्यापारी, कंपनी को सीधे या इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेच सकता है. केन्द्र सरकार ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक अध्यादेश 2020 की धारा 6 के अनुसार सभी प्रकार के टेक्स या सैस को राज्य सरकार या केन्द्र सरकार द्वारा वसूल नहीं किये जाने का प्रावधान कर ऐतिहासिक निर्णय भी लिया है.

राठौड़ ने कहा कि देश के किसानों को दशकों बाद अपनी फसल का निर्बाध रूप से कहीं भी बेचने के अधिकार के बारे में केन्द्र सरकार द्वारा दिये गये अधिकार पर राज्य सरकार द्वारा लगभग 3 महीने गुजर जाने के पश्चात भी कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जाना प्रदेश के किसानों में असमंजसता पैदा कर रहा है.

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राठौड़ ने खेद जताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक अध्यादेश, 2020 कि मूल भावनाओं के विपरीत सरकार ने इसी 24 जुलाई को विधानसभा में प्रतिपक्ष की अनुपस्थिति में राजस्थान कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक 2020 पारित करवाके यह सिद्ध कर दिया कि सरकार किसान को केन्द्र सरकार द्वारा बिना टैक्स, बिना फीस या सैस से अपनी फसल को देश में कहीं भी बेचान करने के वैधानिक अधिकार को लागू नहीं करना चाहती, क्योंकि सरकार ने राजस्थान कृषि उपज मण्डी विधेयक 1961 में हाल ही में संशोधन कर प्रदेश के किसी भी कृषि मण्डी क्षेत्र या अधिसूचित क्षेत्र या सरकार द्वारा अधिकृत लाईसेंसी व्यापारी के पास किसानों द्वारा मात्र फसल लाये जाने, चाहे फसल का विक्रय हो या न हो पर 2.6 प्रतिशत मण्डी टेक्स वसूल करने का अधिकार प्राप्त कर लिया वहीं कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1961 की धारा 17 में संशोधन कर राजपत्र में दर प्रकाशित कर कृषक कल्याण कोष के नाम जितनी चाहे मनमर्जी तौर पर कृषक कल्याण फीस वसूलने का भी व्यापक अधिकार भी प्राप्त किया है.

ये भी पढ़ें: नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने लिखा डीजीपी को पत्र, BTP पर लगाया धार्मिक वैमनस्यता फैलाने का आरोप

राज्य सरकार द्वारा हाल ही में कृषि उपज मण्डी अधिनियम में किये गये दोनों संशोधन केन्द्र सरकार द्वारा जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक अध्यादेश 2020 की मूल भावना के बिल्कुल विपरीत है. केन्द्र सरकार जहां देश के किसानों को बिना किसी कर या फीस या सेस के अपनी उपज को अपनी मर्जी से जहां चाहे वहां किसी भी व्यापारी, संस्थान अथवा कम्पनी को बेचने के उन्मुक्त अधिकार दे रही हैं. वहीं, राज्य सरकार संघवाद कि भावना के विपरीत कानून बनाकर राज्य के किसानों से मनमाना मंडी टैक्स व कृषक कल्याण फीस वसूल करना चाह रही है.

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राजस्थान में सर्वाधिक मण्डी टेक्स किसानों से वसूला जा रहा है:
उन्होंने कहा कि आज राजस्थान देश में सर्वाधिक मण्डी टेक्स 2.6 प्रतिशत राज्य के किसानों से वसूला जा रहा है जो देश में सर्वाधिक है जिसे नि:संदेह कृषि उपज मण्डी कानून में हाल ही में सरकार द्वारा किये गये संशोधन किसान कल्याण फीस के नाम पर और बढ़ाये जाने की प्रबंल संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. वहीं, हमारे पड़ोसी राज्यों में जहां मण्डी टेक्स की दरें मात्र हरियाणा में 1% , गुजरात में .5%, मध्यप्रदेश में 1%, महाराष्ट्र में .80% और कर्नाटक में 0.35% है. वहीं, राजस्थान में सर्वाधिक 2.6% है.

संघवाद की अवधारणा पर भी सीधा चोट:
राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा संवैधानिक अधिकारों के तहत जारी अध्यादेश कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक अध्यादेश 2020 के विरुद्ध राजस्थान कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक 2020 में किया संशोधन लोकतंत्र को न केवल कमजोर करता है बल्कि संघवाद की अवधारणा पर भी सीधा चोट पहुंचाते है. राठौड़ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार कृषि उपज पर सभी करों, फीस व सेस को तुरंत प्रभाव से वापिस ले ताकि राज्य का व्यापारी उन्मुक्त हो और किसानों की फसल का क्रय, विक्रय कर सके. उन्होंने कहा कि हां अगर सरकार उचित समझे तो ए.पी.एम.सी. यार्ड के व्यवस्थित करने के लिए मेन्टीनेंस चार्ज के रूप में मात्र 0.50 (50 पैसा प्रति सैंकड़ा) की राशि मात्र वसूल करने का प्रावधान कर सकती है.

राज्य में केन्द्र सरकार द्वारा जारी कृषक उपज व्यापार और वाणिज्यक (सवंर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 के प्रावधानों को लागू किया जाने की राठौड़ ने मांग की है. राज्य में हाल ही में बढ़ाई 0.1% मण्डी टेक्स जो पूर्व में 1.6% थी, को राज्य सरकार ने बढ़ाकर 2.6% की उसको मात्र 0.5 % किए जाने की मांग की है. साथ ही कृषक कल्याण कोष के नाम से जारी अतिरिक्त कृषक कल्याण फीस लिए जाने के प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की है.

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