जयपुर. राजस्थान में सैनिकों, उनके परिवारों के कल्याण के लिए धन राशि एकत्रित करने के लिए एक महीने का अभियान चलाया जाएगा. 7 दिसम्बर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस से पहले प्रदेशभर में सहयोग राशि इकट्ठा की जाएगी. कैशलैस सहयोग के लिए कॉर्पोरेट QR कोड जारी किया गया (QR code launched for Armed forces flag day) है. यह सहयोग राशि आयकर के दायरे से भी बाहर रहेगी. सोमवार को सहयोग राशि देने की शुरूआत राज्यपाल कलराज मिश्र ने क्यूआर कोड स्कैन कर की.
राज्यपाल और सैनिक कल्याण विभाग के संरक्षक कलराज मिश्र ने राजभवन में पूर्व सैनिकों की सहायतार्थ धन सहयोग के लिए तैयार क्यूआर कोड स्कैन कर अपनी ओर से उसमें धनराशि स्थानांतरित कर इसकी शुरुआत की. प्रदेश में पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों की सहायता के लिए अब आमजन क्यूआर कोड स्कैन कर डिजिटल रूप में धनराशि का सहयोग कर सकते हैं. सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने भी इस QR कोड को लॉन्च कर अभियान की शुरूआत की.
पहली बार क्यूआर कोड लॉन्च: देश में हर साल 7 दिसम्बर को झंडा दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना के जवानों का आभार प्रकट करते हुए सेना के लिए धनराशि समर्पित करना होता है. आजादी के बाद 7 दिसम्बर, 1947 से सशस्त्र सेना झंडा दिवस या झंडा दिवस भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों के कल्याण के लिए भारत की जनता से धन-संग्रह के लिए समर्पित किया गया दिन है. हर बार सेना की वेबसाइट और जगह-जगह जाकर सहयोग राशि एकत्रित की जाती रही है. लेकिन पहली बार भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों और सेना के कल्याण के लिए क्यूआर कोड को लॉन्च किया गया है.
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डिजिटल इंडिया अभियान के लिए QR कोड- सचिवालय सभागार में सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा, सैनिक कल्याण समिति अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल, उपाध्यक्ष रामसहाय बाजिया, सैनिक कल्याण निदेशक रिटायर्ड ब्रिगेडियर वीएस राठौड़ ने QR कोड की ऑनलाइन लाॅन्चिंग की. राज्यपाल और सैनिक कल्याण विभाग के संरक्षक कलराज मिश्र ने सोमवार को राजभवन में क्यूआर कोड स्कैन कर अपनी ओर से धनराशि स्थानांतरित कर इसकी शुरुआत की. राज्यपाल मिश्र ने इस अवसर पर कहा कि 'डिजिटल इंडिया अभियान' के तहत नागरिक अब पूर्ण रूप से सुरक्षित रूप से अपनी धनराशि पूर्व सैनिकों और उनके आश्रित परिजनों के लिए स्वेच्छा से सहयोग कर सकेंगें. उन्होंने कहा कि नागरिकों की ओर से की जाने वाली सहयोग राशि से पूर्व सैनिकों, विधवाओं और उनके आश्रितों की देखभाल के लिए प्रभावी स्तर पर कार्य होगा. उन्होंने पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए आमजन को हर संभव सहयोग का आह्वान भी किया.
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सरकार ने रखा सैनिकों का मान: सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढा ने कहा कि हमारी सरकार ने सैनिकों के लिए काफी काम किए हैं. शहीद सैनिकों को जमीन देने का प्रस्ताव था, लेकिन कब्जा नहीं मिल रहा था, तो 25 लाख दिए जा रहे थे. उस राशि को बढ़ाकर 50 लाख किया गया है. इसी तरह शहीद के माता-पिता को 3 लाख रुपए दिए जा रहे थे जिन्हें बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया गया है. मंत्री गुढ़ा ने कहा कि सैनिकाें एवं उनके परिवार के कल्याण के लिए हर किसी को सहयोग करना चाहिए. राजस्थान में शेखावाटी में शहीदों के अंतिम यात्रा के वक्त बड़ी संख्या में लोग जुड़ते हैं, अब उन परिवारों के लिए सहयोग लिया जा सकता है.
राजस्थान पहला राज्य जहां एक महीने चलेगा अभियान: सैनिक कल्याण समिति अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह जसोल ने कहा कि राजस्थान ऐसा राज्य हैं जहां सबसे अधिक सेना में जाते हैं. यहां सैनिकों का सम्मान करना पीढ़ी दर पीढ़ी की परम्परा है. सैनिकों के सम्मान में छतरियां और मूर्तियां बनती हैं. इन परिवारों के कल्याण के लिए इस अभियान में जुड़ें. पहले स्कूल-कॉलेज व संस्थाओं में झंडे लगाकर धन एकत्रित किया जाता था. अब जमाना बदला लेकिन भावना नहीं, टेक्नोलॉजी में बदलाव के साथ सहयोग का तरीका बदला है. जसोल ने कहा कि राजस्थान पहला राज्य जहां सहयोग के लिए एक महीने का पर्व शुरू किया गया है.
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जितना अधिक सहयोग, उतने कल्याणकारी कार्य: निदेशक सैनिक कल्याण वीएस राठौड़ ने कहा कि अभियान में ब्रांड एम्बेसडर भी नियुक्त किये जायेंगे. इनमें सेना के सबसे ज्यादा मेडल विजेता, अधिक अलंकृत आदि को ब्रांड अम्बेसडर नियुक्त होंगे. अभियान से एकत्र होने वाली राशि वीरांगना होस्टल, छात्रावासों, विकलांग सैनिकों को छात्रवृत्ति, सभी जरूरतमंद सैनिकों के परिवारों को सहायता पर खर्च की जाएगी.