जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट (Rajasthan High Court) ने पंचायती राज अधिनियम, 1994 के तहत ग्राम पंचायतों में चुनावी अयोग्यता से जुडे मामले में यह मुद्दा तय करने के लिए लार्जर बेंच के पास भेजा है कि जेस्टेशन पीरियड यानि 23 अप्रैल 1994 से 27 नवंबर 1995 के बीच दो अलग-अलग डिलेवरी में दो से ज्यादा संतान होती है तो वो प्रत्याशी की चुनावी अयोग्यता है या नहीं? वहीं अदालत ने बारां की ग्राम पंचायत मियाडा के चुनाव करवाने पर आगामी आदेश तक अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश बारां की मियाडा ग्राम पंचायत की निर्वाचित सरपंच लवली यादव की याचिका पर दिया.
याचिका में बारां के जिला न्यायालय के 28 मई 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें हारे हुए प्रत्याशी की चुनाव याचिका पर ग्राम पंचायत का चुनाव रद्द कर चुनाव दुबारा करवाए जाने का निर्देश दिए गए थे. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर और अधिवक्ता हिमांशु जैन ने बताया कि पंचायती राज अधिनियम, 1994 के सेक्शन 19(4) के तहत पंचायत चुनाव में चुनावी अयोग्यता को तय किया है.जिसमें दो से ज्यादा संतान होने पर चुनाव लड़ने के लिए अयोग्यता का प्रावधान है, लेकिन जेस्टेशन पीरियड यानि 23 अप्रैल 1994 से 27 नवंबर 1995 में संतान होने पर उसे सही माना है.
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वहीं हाईकोर्ट ने एक मामले में जेस्टेशन पीरियड में एक से ज्यादा डिलेवरी होने को सही माना है. अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट की बेंच के दिए गए फैसले से वह सहमत नहीं है और इस पीरियड में एक ही डिलेवरी स्वीकार्य है. ऐसे में हाईकोर्ट की दोनों बेंचों के जेस्टेशन पीरियड में डिलीवरी के अलग-अलग मत होने पर यह मुद्दा तय करने के लिए लार्जर बेंच को भेज दिया है.