जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2022 में चयन होने और जिला आवंटन के बाद भी अभ्यर्थी को एफआईआर दर्ज होने के आधार पर नियुक्ति नहीं देने पर शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश खेमराम की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि केवल आपराधिक प्रकरण दर्ज होने पर ही चयनित पीटीआई को नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है?. याचिका में अधिवक्ता आरपी सैनी ने अदालत को बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने वर्ष 2022 में पीटीआई के 5546 पदों के भर्ती निकाली. जिसकी लिखित परीक्षा में शामिल होकर याचिकाकर्ता ने मेरिट में स्थान हासिल किया. इस पर कर्मचारी चयन बोर्ड ने उसका चयन कर काउंसलिंग के लिए उसे शिक्षा निदेशालय, बीकानेर भेज दिया. निदेशालय ने उसे नियुक्ति के लिए जिला भी आवंटित कर दिया. वहीं, अब उसे यह कहते हुए कार्य ग्रहण नहीं कराया जा रहा कि उसके खिलाफ आपराधिक षडयंत्र की एफआईआर दर्ज है.
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इसे चुनौती देते याचिका में कहा गया कि प्रकरण में उसके खिलाफ सांगानेर थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन अभी तक इसमें आरोप पत्र पेश नहीं हुआ है. इसके अलावा हो सकता है कि अदालत भविष्य में उसे प्रकरण से दोष मुक्त कर दे. ऐसे में केवल दोषी होने की संभावना के आधार पर उसे नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. इसके अलावा उसे अदालत की ओर से दोषसिद्ध करने तक उसे नियुक्ति के लिए अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता. कई बार झूठे मुकदमे में फंसाने के लिए भी प्रकरण में संलिप्तता दर्शा दी जाती है. ऐसे में उसे नियुक्ति से वंचित करना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.