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Rajasthan High Court: रेवेन्यू बोर्ड भ्रष्टाचार मामले में आरोपियों के फोन सर्विलांस पर लेने के आदेश अवैध, नष्ट करें सभी रिकॉर्डिंग

राजस्थान हाईकोर्ट ने रेवेन्यू बोर्ड भ्रष्टाचार मामले में आरोपियों के (High Court said destroy all recordings) फोन सर्विलांस पर लेने के आदेश अवैध बताते हुए रद्द कर दिए. साथ ही सभी रिकॉर्डिंग भी नष्ट करने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court,  phone surveillance of the accused
आरोपियों के फोन सर्विलांस पर लेने के आदेश अवैध
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Published : Jul 4, 2023, 8:53 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्व मंडल में भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी को बड़ा झटका दिया है. अदालत ने कहा कि मामले में दो फोन नंबर को सर्विलांस पर लेने के संबंध में गृह सचिव की ओर से दिए आदेश अवैध होने के चलते रद्द किए जा रहे हैं. इसके साथ ही अदालत ने एसीबी को निर्देश दिए हैं कि वह रिकॉर्ड किए गए सभी मैसेज व रिकॉर्डिंग को नष्ट करे.

वहीं, अदालत ने यह भी कहा है कि ऐसे मैसेज को प्रकरण में लंबित आपराधिक कार्रवाई में अमल में नहीं लाया जाए. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश शशिकांत जोशी की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने याचिकाकर्ता को छूट दी है कि वह याचिका में चाही गई अन्य रिलीफ के लिए उपलब्ध विधिक उपचार ले सकता है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह के मनमानीपूर्ण आदेश मूलभूत अधिकार का हनन करने वाले हैं, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.

पढ़ेंः स्पीकर के अयोग्यता नोटिस विवाद केस की जल्द सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र

यह है मामलाः याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि गृह सचिव ने अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक तीन अलग-अलग आदेश जारी कर एसीबी को याचिकाकर्ता के दो मोबाइल नंबर और सह आरोपी सुनील शर्मा के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लेने की अनुमति दी थी. याचिका में कहा गया कि किसी भी व्यक्ति के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लेने के संबंध में भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में प्रावधान कर रखे हैं. इसके तहत लोक आपात और लोक सुरक्षा के हित के आधार पर ही फोन सर्विलांस पर लिया जा सकता है.

वहीं इस संबंध में गृह विभाग के प्रमुख सचिव सर्विलांस की अनुमति दे सकते हैं. वहीं इस आदेश के पुन: परीक्षण के लिए सात दिन में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी को भेजा जाता है. याचिका में कहा गया कि प्रकरण में गृह सचिव ने एसीबी के प्रार्थना पत्र पर याचिकाकर्ता व एक अन्य सह आरोपी का फोन सर्विलांस पर लेने की अनुमति दे दी और इस आदेश को रिव्यू के लिए मुख्य सचिव की कमेटी के समक्ष भी नहीं भेजा. ऐसे में इन आदेशों को रद्द कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए.

इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यदि प्रकरण में कानून की पर्याप्त पालना की जा चुकी हो तो कानून की शब्दश: पालना की जरुरत नहीं है. एसीबी ने भ्रष्टाचार के आधार पर गृह सचिव से अनुमति मांगी थी. दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत ने फोन सर्विलांस पर लेने के आदेशों को निरस्त कर की गई रिकॉर्डिंग नष्ट करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि राजस्व मंडल में भ्रष्टाचार को लेकर एसीबी ने मंडल के तत्कालीन सदस्य आरएएस सुनील शर्मा, बीएल मेहरडा और वकील शशिकांत जोशी को दलाली करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्व मंडल में भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी को बड़ा झटका दिया है. अदालत ने कहा कि मामले में दो फोन नंबर को सर्विलांस पर लेने के संबंध में गृह सचिव की ओर से दिए आदेश अवैध होने के चलते रद्द किए जा रहे हैं. इसके साथ ही अदालत ने एसीबी को निर्देश दिए हैं कि वह रिकॉर्ड किए गए सभी मैसेज व रिकॉर्डिंग को नष्ट करे.

वहीं, अदालत ने यह भी कहा है कि ऐसे मैसेज को प्रकरण में लंबित आपराधिक कार्रवाई में अमल में नहीं लाया जाए. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश शशिकांत जोशी की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने याचिकाकर्ता को छूट दी है कि वह याचिका में चाही गई अन्य रिलीफ के लिए उपलब्ध विधिक उपचार ले सकता है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह के मनमानीपूर्ण आदेश मूलभूत अधिकार का हनन करने वाले हैं, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.

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यह है मामलाः याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि गृह सचिव ने अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक तीन अलग-अलग आदेश जारी कर एसीबी को याचिकाकर्ता के दो मोबाइल नंबर और सह आरोपी सुनील शर्मा के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लेने की अनुमति दी थी. याचिका में कहा गया कि किसी भी व्यक्ति के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लेने के संबंध में भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में प्रावधान कर रखे हैं. इसके तहत लोक आपात और लोक सुरक्षा के हित के आधार पर ही फोन सर्विलांस पर लिया जा सकता है.

वहीं इस संबंध में गृह विभाग के प्रमुख सचिव सर्विलांस की अनुमति दे सकते हैं. वहीं इस आदेश के पुन: परीक्षण के लिए सात दिन में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी को भेजा जाता है. याचिका में कहा गया कि प्रकरण में गृह सचिव ने एसीबी के प्रार्थना पत्र पर याचिकाकर्ता व एक अन्य सह आरोपी का फोन सर्विलांस पर लेने की अनुमति दे दी और इस आदेश को रिव्यू के लिए मुख्य सचिव की कमेटी के समक्ष भी नहीं भेजा. ऐसे में इन आदेशों को रद्द कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए.

इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यदि प्रकरण में कानून की पर्याप्त पालना की जा चुकी हो तो कानून की शब्दश: पालना की जरुरत नहीं है. एसीबी ने भ्रष्टाचार के आधार पर गृह सचिव से अनुमति मांगी थी. दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत ने फोन सर्विलांस पर लेने के आदेशों को निरस्त कर की गई रिकॉर्डिंग नष्ट करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि राजस्व मंडल में भ्रष्टाचार को लेकर एसीबी ने मंडल के तत्कालीन सदस्य आरएएस सुनील शर्मा, बीएल मेहरडा और वकील शशिकांत जोशी को दलाली करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

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