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एसीएस और डीजीपी बताए पुराने व्यापारिक मामलों में बिना जांच एफआईआर कैसे दर्ज हुई - जयपुर पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसफ

Rajasthan High Court, राजस्थान हाईकोर्ट ने एक पुराने व्यापारिक मामले में मुकदमा दर्ज करने और गिरफ्तारी को लेकर डीजीपी उमेश मिश्रा, जयपुर पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसफ, एसीएस गृह व जालूपुरा थानाधिकारी सहित अन्य पुलिसकर्मियों को अवमानना का नोटिस जारी किया है.

Rajasthan High Court
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 30, 2023, 8:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यापारिक मामलों में मुकदमा दर्ज करने और गिरफ्तारी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना नहीं करने पर डीजीपी उमेश मिश्रा, पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसफ, एसीएस गृह और जालूपुरा थानाधिकारी अंतिम शर्मा सहित अन्य पुलिसकर्मियों को अवमानना का नोटिस जारी किया है. साथ ही अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि सात साल पुराने मामले में बिना प्रारंभिक जांच के एफआईआर दर्ज क्यों की गई. इसके अलावा सीआरपीसी की धारा 41क का नोटिस दिए बिना गिरफ्तारी कैसे हो गई. जस्टिस नरेंद्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश संजय ठाकुर, हर्षा ठाकुर व अशोक ठाकुर की अवमानना याचिका पर दिया.

ये है पूरा मामला : याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने बताया कि जालूपुरा पुलिस ने रिकवरी एजेंटों के साथ मिलकर करीब आठ साल पुराने व्यापारिक लेनदेन के मामले में कुछ दिनों पहले संजय ठाकुर व अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली. वहीं, पुलिस ने बिना प्रारंभिक जांच और धारा 41क का नोटिस दिए बिना संजय को गिरफ्तार कर लिया. वहीं, इसकी सूचना उसके परिजनों को भी नहीं दी गई. दूसरी ओर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भी इस तथ्य की अनदेखी कर उसे रिमांड पर भेज दिया. याचिका में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने ललिता कुमारी, अर्नेश कुमार व जोगिन्दर सिंह के मामलों में यह व्यवस्था दे रखी है कि तीन माह से पुराने व्यापारिक मामलों में प्रारंभिक जांच के बाद ही एफआईआर दर्ज की जा सकती है.

इसे भी पढ़ें - Rajasthan : आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अपीलार्थी को रिहा करने के आदेश, राज्य सरकार पर लगाया 25 लाख रुपए का हर्जाना

वहीं, सीआरपीसी की धारा 41 क के तहत आरोपी को गिरफ्तार न कर पूछताछ के बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी तय किया था कि यदि कोई पुलिसकर्मी इसकी पालना नहीं करते हैं तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है.

संबंधित अधिकारियों को अवमानना का नोटिस जारी : याचिका में यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई व्यवस्था के तहत याचिकाकर्ता संजय ठाकुर को गलत तरीके से रिमांड देने वाले न्यायिक अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए सीजे के समक्ष याचिका पेश की जा चुकी है. याचिका में गुहार लगाई गई कि दोषी अधिकारियों को अवमानना के लिए दंडित किया जाए और थाने के संबंधित पुलिसकर्मियों को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना का नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यापारिक मामलों में मुकदमा दर्ज करने और गिरफ्तारी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना नहीं करने पर डीजीपी उमेश मिश्रा, पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसफ, एसीएस गृह और जालूपुरा थानाधिकारी अंतिम शर्मा सहित अन्य पुलिसकर्मियों को अवमानना का नोटिस जारी किया है. साथ ही अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि सात साल पुराने मामले में बिना प्रारंभिक जांच के एफआईआर दर्ज क्यों की गई. इसके अलावा सीआरपीसी की धारा 41क का नोटिस दिए बिना गिरफ्तारी कैसे हो गई. जस्टिस नरेंद्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश संजय ठाकुर, हर्षा ठाकुर व अशोक ठाकुर की अवमानना याचिका पर दिया.

ये है पूरा मामला : याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने बताया कि जालूपुरा पुलिस ने रिकवरी एजेंटों के साथ मिलकर करीब आठ साल पुराने व्यापारिक लेनदेन के मामले में कुछ दिनों पहले संजय ठाकुर व अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली. वहीं, पुलिस ने बिना प्रारंभिक जांच और धारा 41क का नोटिस दिए बिना संजय को गिरफ्तार कर लिया. वहीं, इसकी सूचना उसके परिजनों को भी नहीं दी गई. दूसरी ओर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भी इस तथ्य की अनदेखी कर उसे रिमांड पर भेज दिया. याचिका में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने ललिता कुमारी, अर्नेश कुमार व जोगिन्दर सिंह के मामलों में यह व्यवस्था दे रखी है कि तीन माह से पुराने व्यापारिक मामलों में प्रारंभिक जांच के बाद ही एफआईआर दर्ज की जा सकती है.

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वहीं, सीआरपीसी की धारा 41 क के तहत आरोपी को गिरफ्तार न कर पूछताछ के बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी तय किया था कि यदि कोई पुलिसकर्मी इसकी पालना नहीं करते हैं तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है.

संबंधित अधिकारियों को अवमानना का नोटिस जारी : याचिका में यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई व्यवस्था के तहत याचिकाकर्ता संजय ठाकुर को गलत तरीके से रिमांड देने वाले न्यायिक अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए सीजे के समक्ष याचिका पेश की जा चुकी है. याचिका में गुहार लगाई गई कि दोषी अधिकारियों को अवमानना के लिए दंडित किया जाए और थाने के संबंधित पुलिसकर्मियों को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना का नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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