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Rajasthan High Court : संजीवनी सोसायटी से जुड़े मामले में तीन आरोपियों को जमानत - Etv Bharat Rajasthan

राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी क्रेडिट स्कैम से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए तीन आरोपियों को जमानत पर रिहा (Bail to accused of Sanjeevani Scam) करने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court
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Published : Apr 13, 2023, 8:27 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी क्रेडिट सोसायटी से जुड़े मामले में आरोपी केवलचंद डाकलिया, उसके भाई गौतम डाकलिया और बेटे दिनेश डाकलिया को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश तीनों आरोपियों के जमानत प्रार्थना पत्रों को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी रूप में इस सोसायटी के संचालन में शामिल नहीं रहे हैं और लंबे समय से जेल में हैं. प्रकरण में आरोप पत्र भी पेश हो चुके हैं. ऐसे में आरोपियों को जमानत देना उचित है. जमानत प्रार्थना पत्रों में कहा गया कि उन पर आरोप है कि संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के पदाधिकारियों ने आकर्षक ब्याज का प्रलोभन देकर निवेशकों से करोड़ों रुपए लेकर उन्हें वापस नहीं लौटाया. जबकि तीनों याचिकाकर्ताओं का सोसायटी से कोई संबंध नहीं रहा है.

पढ़ें. Sanjivani Credit Scam: केंद्रीय मंत्री शेखावत की याचिका को जज ने सुनने से किया इंकार

उन्होंने बताया कि सोसायटी के संचालक विक्रम सिंह को व्यक्तिगत हैसियत से अपनी अन्य कंपनी के शेयर्स बेचे गए थे और भुगतान भी व्यक्तिगत स्तर पर ही लिया था. इसके अलावा वे गत 6 जनवरी से जेल में बंद हैं. प्रकरण में आरोप पत्र पेश हो चुके हैं, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने विक्रम सिंह को अपने और परिजनों की कंपनी के शेयर्स दस गुणा अधिक कीमत पर बेचे और इस अपराध में योजनाबद्ध तरीके से शामिल रहे हैं, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जाए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने तीनों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी क्रेडिट सोसायटी से जुड़े मामले में आरोपी केवलचंद डाकलिया, उसके भाई गौतम डाकलिया और बेटे दिनेश डाकलिया को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश तीनों आरोपियों के जमानत प्रार्थना पत्रों को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी रूप में इस सोसायटी के संचालन में शामिल नहीं रहे हैं और लंबे समय से जेल में हैं. प्रकरण में आरोप पत्र भी पेश हो चुके हैं. ऐसे में आरोपियों को जमानत देना उचित है. जमानत प्रार्थना पत्रों में कहा गया कि उन पर आरोप है कि संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के पदाधिकारियों ने आकर्षक ब्याज का प्रलोभन देकर निवेशकों से करोड़ों रुपए लेकर उन्हें वापस नहीं लौटाया. जबकि तीनों याचिकाकर्ताओं का सोसायटी से कोई संबंध नहीं रहा है.

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उन्होंने बताया कि सोसायटी के संचालक विक्रम सिंह को व्यक्तिगत हैसियत से अपनी अन्य कंपनी के शेयर्स बेचे गए थे और भुगतान भी व्यक्तिगत स्तर पर ही लिया था. इसके अलावा वे गत 6 जनवरी से जेल में बंद हैं. प्रकरण में आरोप पत्र पेश हो चुके हैं, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने विक्रम सिंह को अपने और परिजनों की कंपनी के शेयर्स दस गुणा अधिक कीमत पर बेचे और इस अपराध में योजनाबद्ध तरीके से शामिल रहे हैं, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जाए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने तीनों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

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