जयपुर. ढाई साल से राजस्थान कांग्रेस ब्लॉक और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का इंतजार कर रही थी (Congress Block President Row). इंतजार अब जाकर खत्म हुआ है. बीते ढाई दिनों में 400 न सही लेकिन पार्टी के नेताओं को 188 ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष तो मिल ही गए हैं. इसके साथ ही नियुक्तियों ने पार्टी के भीतर चल रहे अंतर्द्वंद्व को भी जाहिर कर दिया है.
नाराज थे कांग्रेस नेता- बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों और बागियों को ज्यादा तवज्जो देने को लेकर पार्टी नेता काफी नाराज थे (congress Block President). बार बार कहते रहे कि कांग्रेस के इकबाल को बुलंद करने के लिए उन्होंने जिनसे लड़ाई लड़ी उनको ज्यादा अहमियत देना सही नहीं है. दरअसल, 2020 के उठापटक के बीच 6 विधायकों ने बसपा को छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था.
उन्हीं विधानसभा सीटों के कांग्रेस प्रत्याशी लगातार यह बात कहते नजर आ रहे थे कि बसपा और बागियों से 19 विधानसभा में हारने वाले कांग्रेसियों के साथ अन्याय हुआ है. अन्याय की बात कह हारे कांग्रेस कैंडिडेट्स लगातार गुहार लगाते रहे कि कम से कम अब नियुक्तियों में उनकी बात सुनी जाए. यही हाल 13 निर्दलीय विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में भी रहा. जहां लगातार 2018 में विधायक प्रत्याशी रहे नेताओं ने अपनी उपेक्षा के आरोप लगाए.
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क्या डैमेज कंट्रोल की कोशिश !- राजस्थान में बीते 3 दिनों से जो ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियां हुई है उसमें इस बात का असर भी कुछ हद तक दिखाई दिया है. यही वजह है कि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों को भले ही सरकार में पूरी वरीयता मिली हो लेकिन उनमें से कोई भी अपने विधानसभा क्षेत्र में ब्लॉक अध्यक्ष नहीं बना सके हैं. 13 निर्दलीय विधायकों में से भी 9 निर्दलीय विधायकों के क्षेत्र में भी ब्लॉक अध्यक्ष नहीं घोषित किए गए हैं. इसे डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा जा सकता है. कह सकते हैं कि अब कांग्रेस इन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी वरीयता देगी. इन विधायकों और कांग्रेस नेताओं के बीच विवाद के चलते ही फिलहाल ब्लॉक अध्यक्ष घोषित नहीं किए गए हैं. सूत्रों की मानें तो इनके बीच सामंजस्य बनाने के बाद ही यहां संगठन में नियुक्तियां दी जाएगी.
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15 कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में भी सूखा- 188 ब्लॉक में कुल 98 विधानसभा सीटों पर ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है. इन 98 विधानसभा में 26 मंत्रियों समेत 74 विधायकों की विधानसभा सीटों पर दोनों ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी गई है, तो वहीं 9 मंत्री विधायक ऐसे हैं जहां एक ब्लॉक अध्यक्ष बना दिया गया है और एक बाकी है. इस लिस्ट में 15 विधायक ऐसे भी हैं जिनके क्षेत्र में एक भी ब्लॉक अध्यक्ष नहीं बनाया गया है. मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी, भजन लाल जाटव और राजेंद्र गुड्डा वो मंत्री हैं जिनकी विधानसभा में भी ब्लॉक अध्यक्ष नहीं बनाए गए हैं. कांग्रेस जिन सीटों पर पिछला चुनाव हारी थी उनमें से 9 विधानसभा में दोनों ब्लॉक अध्यक्ष और एक विधानसभा में 1 ब्लॉक अध्यक्ष बना दिया गया है.
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जहां विधायक नहीं वहां एक ब्लॉक- कई ऐसे क्षेत्र भी है जहां एक भी विधायक नहीं है. इन्हीं में से एक अहम जिला है नागौर. हनुमान बेनीवाल वहां से लोकसभा सांसद हैं और उनका अच्छा खासा दखल है. इसी नागौर विधानसभा में दो ब्लॉक हैं. यहीं कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है. फिलहाल यहां एक ब्लॉक में अध्यक्ष की नियुक्ति कर ली गई है जबकि एक अभी खाली पड़ा है. वहीं 3 जिले ऐसे भी हैं जिनमें एक भी ब्लॉक नहीं बना है. ये हैं हनुमानगढ़, झालावाड़ और पाली.