जयपुर. राजस्थान में सत्ता बदलने के लिए एक बार फिर बीजेपी परिवर्तन यात्रा का सहारा ले रही है. हालांकि इस बार यात्रा के स्वरूप में काफी कुछ बदलाव है. इस बार यात्रा का नाम परिवर्तन संकल्प यात्रा दिया गया है. वहीं यात्रा एक नहीं बल्कि चारों दिशाओं से चार यात्रा निकाली जा रही है. इसमें भी किसी एक नेता को नेतृत्व की जिम्मेदारी भी नहीं दी है. सामूहिक नेतृत्व में ही यात्रा अपनी दूरी तय करेगी. विधानसभा चुनाव के माहौल में बीजेपी ने जो रणनीति अपनाई है, उसने एक बात तय कर दी कि इस बार के चुनाव किसी एक चेहरे पर नहीं होंगे. मतलब साफ है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के चेहरे को आगे नहीं करना चाह रही, लेकिन परिवर्तन यात्रा में जिस तरह से केंद्र के नेताओं ने अपने भाषणों में वसुंधरा राजे की तारीफों के पुल बांधे उसने राजे के विरोधी खेमे की नींद उड़ा दी है. अब इन भाषणों के अलग-अलग तरीके से सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
चारों दिशाओं से चार यात्रा : दरअसल बीजेपी की ओर से 2 सितंबर से प्रदेश में गहलोत सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए परिवर्तन संकल्प यात्रा शुरू की गई है. चारों दिशाओं से चार परिवर्तन संकल्प यात्राएं अलग-अलग दिन केंद्रीय नेताओं ने झंडी दिखाकर रवाना की. राजस्थान बीजेपी की सियासत में चल रही उठा पटक के बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इन चारों यात्राओं के रवानगी कार्यक्रम में पूरी सक्रियता के साथ खड़ी हुई दिखाई दी. खास बात यह है कि इन चारों यात्राओं को अलग-अलग दिन अलग-अलग जगह से रवाना किया गया, जिसमें माधोपुर जिले के त्रिनेत्र गणेश मंदिर से पहली यात्रा को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, डूंगरपुर जिले बेणेश्वर धाम से दूसरी यात्रा को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, जैसलमेर जिले के रामदेवरा से तीसरी यात्रा को केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री राजनाथ सिंह और हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी से चौथी यात्रा को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने झंडी दिखा कर रवाना किया. खास बात यह है कि इन यात्राओं की रवानगी के समय जो सभा आयोजित की गई उन सभाओं में बीजेपी ने अपनी एकजुटता दिखाने की पूरी कोशिश की. दिलचस्प बात यह थी कि इन सभी केंद्रीय नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की जमकर तारीफ ही नहीं कि बल्कि उनके पूर्व के दो शासन के काम काज के उदाहरण के तौर पर सबके सामने रखा. मंचों से हुई राजे की तारीफ के बाद एक तरफ तो राजे विरोधी खेमे में हलचल है तो वहीं राजे के समर्थक उत्साहित भी हैं.
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किसने क्या कहा : डूंगरपुर जिले बेणेश्वर धाम से परिवर्तन संकल्प यात्रा को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हरी झंडी दिखाई तो बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता मौजूद थे. अमित शाह ने प्रदेश की गहलोत सरकार पर जम कर तीखा हमला बोला. उसके बाद शाह ने पार्टी की ओर से खुद की दावेदारी को लेकर इंतजार कर रही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान हुए कामकाज की जमकर तारीफ की. शाह ने कहा कि विकास किसे कहते है उसका परिचय वसुंधरा राजे अपने पूर्व के कार्यकाल में कराया. शाह के बयान के बाद राजे के लिए एक बार फिर सकारात्मक संकेत मिला है. उसके बाद जैसलमेर जिले के रामदेवरा से यात्रा के दौरान सभा को संबोधित करते हुई केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री राजनाथ सिंह ने भरे मंच से वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल की जमकर तारीफ करते हुए कहा एक तरफ मौजूद कांग्रेस का शासनकाल है, दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का शासन काल है. आंकलन किया जा सकता है कि किस तरह से शासन चलाया जाता है और किस तरह से आम जनता को राहत दी जाती है. इसके बाद हनुमानगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल गोगामेड़ी से यात्रा को रवाना करने आए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी मंच से राजे शासन के काम काज को याद दिलाया. गडकरी ने इशारों ही इशारों में कहा कि पुराने भाजपा के शासन को याद कीजिए. आज जब मैं मंदिर में गया था तो पुजारी और भक्तगण कह रहे थे आपको पता है यह मंदिर किसने बनवाया. मुझे बताया गया कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंदिर पर पूरे 100 करोड़ रुपए खर्च किए थे. इसके बाद गडकरी ने कहा एक बार फिर चुनकर सरकार बनाओ 500 करोड़ रुपए मंदिर के विकास पर होगा, पूरा मंदिर परिसर बदल जाएगा. शाह, राजनाथ और गडकरी के बयानों के बाद बाद अब सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
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वसुंधरा को मिली संजीवनी: आने वाले विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की क्या भूमिका रहेगी यह अभी तक केंद्रीय आला कमान ने तय नहीं किया है, लेकिन जिस तरह से अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने वसुंधरा राजे की न केवल तारीफ की बल्कि उनके शासन में हुए कामकाज को लेकर भी उनकी जमकर पीठ थपथपाई उसने राजे को प्रदेश की जनता के बीच मे दावेदार के रूप में मजबूत बल दे दिया. राजनीति के पंडितों का कहना है कि चुनावी माहौल में केंद्रीय नेताओं की तारीफ वसुंधरा राजे की लिए संजीवनी से कम नहीं है.