जयपुर. राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसकी तैयारी अभी से ही शुरू हो गई है. बीजेपी ने हर एक विधानसभा सीट की रिपोर्ट तैयार कर ली है. साथ ही पहले चरण में उन विधानसभा क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है, जहां पार्टी को लगातार पराजय का मुंह देखने पड़ रहा है. वहीं, राज्य की 52 हजार में से 10 हजार ऐसे बूथ हैं, जहां पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. यही वजह है कि अब पार्टी इन कमजोर बूथों पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए डोर टू डोर जनसंपर्क अभियान चलाने जा रही है.
कमजोर बूथों पर फोकस - विधानसभा बजट सत्र के पूरा होने के साथ ही अब बीजेपी चुनावी तैयारियों में जुट गई है. इसके लिए पार्टी की ओर से तीन चरणों की कार्य योजना तैयार की गई है. जिसके पहले चरण में पार्टी उन विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस कर रही है, जहां पार्टी की स्थिति कमजोर है या फिर तीन या फिर उससे अधिक बार हार का सामना करना पड़ा है. पार्टी अब इन सीटों पर जीत की पॉलिसी बनाने को बूथ मैनेजमेंट पर खास ध्यान दे रही है. जिस विधानसभा क्षेत्र में बूथ कमजोर है वहां कार्यकर्ता डोर टू डोर जनसंपर्क करके मतदाताओं को पार्टी से जोड़ने का काम करेंगे. सूत्रों की मानें तो पार्टी के आंतरिक सर्वे में प्रदेश के 52 हजार में से 10 हजार ऐसे बूथों को चिह्नित किया गया है, जहां पहले से ही पार्टी की जमीन कमजोर है. इन कमजोर बूथ को मजबूत करने की जिम्मेदारी पार्टी की सभी सात मोर्चों और 23 प्रकोष्ठों को सौंपी गई है.
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केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों पर नजर - पार्टी की रणनीति के अनुसार बूथ मैनेजमेंट के जरिए पहले उन लाभार्थियों से संपर्क किया जाएगा, जो केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ ले रहे हैं. कार्यकर्ता इन लाभार्थियों को योजनाओं के लाभ के साथ ही उन्हें पार्टी की रीति और नीति से अवगत कराएंगे. साथ ही केंद्रीय योजनाओं का भी प्रचार-प्रसार किया जाएगा, ताकि आने वाले चुनाव में इसका लाभ मिल सके. इतना ही नहीं अब आम लोगों की समस्याओं को भी सुना जाएगा और उसके निपटान के लिए कार्य भी किए जाएंगे. पार्टी सूत्रों की मानें तो इस अभियान के दौरान यह पता करने की भी कोशिश की जाएगी कि आखिर क्यों कमजोर बूथों के मतदाता बीजेपी को वोट नहीं दे रहे हैं और अंत में इसकी रिपोर्ट तैयार कर पार्टी मुख्यालय को भेजा जाएगा.
जातिगत समीकरण पर विशेष ध्यान - बीजेपी की कमजोर बूथों की रिपोर्ट में ज्यादातर बूथ अल्पसंख्यक बाहुल्य हैं. ऐसे में अल्पसंख्यक मोर्चा को इन बूथों को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा हर बूथ पर जातिगत आधार पर मोर्चों को काम बांटा गया है. एससी, एसटी, महिला, अल्पसंख्यक सहित सभी मोर्चों को बूथवार जनसंपर्क की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है. पार्टी ने इन मोर्चों को ये संदेश दिया है कि अगर बूथ मजबूत होगा तो पार्टी मजबूत होगी. इसलिए सबसे ज्यादा फोकस बूथों को मजबूत करने पर दिया जा रहा है.
इन सीटों पर कमजोर है बीजेपी - प्रदेश में करीब 20 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पार्टी का पिछले तीन चुनाव से प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा है. इसके अलावा 50- 55 वो सीटें हैं, जहां पहले हारे फिर जीते और फिर हार गए. लालसोट, सिकराय, सपोटरा, टोडाभीम, बस्सी, बागीदोरा, दांतारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, खेतड़ी, नवलगढ़, झुन्झुनूं, वल्लभनगर, सांचौर, बाड़मेर, सरदारपुरा, बाड़ी, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, कोटपूतली, दांतारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, खेतड़ी, नवलगढ़, झुंझुनू ये वो सीटें हैं, जहां पिछले तीन बार से पार्टी को पराजय का मुंह देखना पड़ रहा है.