जयपुर. राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के लिए निकाली जा रही बीजेपी की परिवर्तन संकल्प यात्रा अब समापन की ओर है. यात्रा के जरिए प्रदेश में माहौल बदलने के लिए प्रदेश और केंद्र के नेता लोगों में जोश भर रहे हैं. चार अलग-अलग दिशाओं से 2 सितंबर से शुरू हुई परिवर्तन संकल्प यात्राओं का अब समापन होने जा रहा है. 2 सितंबर को सवाई माधोपुर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर से शुरू हुई पहली यात्रा का मंगलवार को जयपुर में समापन होगा.
यात्रा के आखिरी दिनों में बाहरी राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम के य़ात्रा में शामिल होने के कार्यक्रम बन रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी दौरा बन रहा है. जबकि चारों यात्राओं के सामूहिक समापन समारोह में 25 सितंबर को पीएम मोदी भी आ रहे हैं, लेकिन यात्रा के शुरुआती दौर के बाद वसुंधरा राजे की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बन गया है.
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2 सितंबर से शुरू हुई यात्रा : प्रदेश में 2 सितंबर को सवाई माधोपुर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर से शुरू हुई पहली यात्रा का मंगलवार को जयपुर में समापन होगा. जबकि 3 और 4 सितंबर को शुरू हुई यात्राओं का समापन 21 सितंबर को कोटा और जोधपुर में होने वाला है. इसी तरह 4 सितंबर से शुरू हुई यात्रा का 22 सितंबर को अलवर में समापन होगा. चारों यात्राओं के अपने गंतव्य स्थल पर पहुंचने के बाद 25 सितंबर को जयपुर में पीएम मोदी की जनसभा होगी. ऐसे में परिवर्तन यात्राओं के आखिरी दिनों में बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंकने की कोशिश कर रही है.
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की परिवर्तन संकल्प यात्रा से दूरी पर चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और वह पार्टी और संगठन को मजबूत करने के लिए लगातार काम रही हैं. परिवर्तन यात्राओं में जल्द ही उनके कार्यक्रम बनेंगे. किन्हीं कारणों से अभी तक वह यात्राओं में शामिल नहीं हो पाईं, लेकिन आने वाले दिनों में उनकी मौजूदगी दिखेगी.
राजे की दूरी चर्चा में : यात्रा के दौरान प्रदेश स्तरीय नेताओं के अलावा कई केंद्रीय मंत्रियों और दूसरे राज्यों के नेताओं की मौजूदगी रही है, लेकिन चारों यात्राओं के शुभारंभ के बाद पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की गैरमौजूदगी चर्चा में है. बीच में बीजेपी नेताओं ने वसुंधरा राजे के कार्यक्रम बनाए जाने की बात कही थी, लेकिन 5 सितंबर के बाद से लेकर अब तक राजे किसी भी यात्रा में नजर नहीं आईं हैं. बेणेश्वर से शुरू हुई बीजेपी की दूसरी यात्रा जल्द ही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के विधानसभा क्षेत्र में पहुंचने वाली है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस दौरान वसुंधरा राजे यात्रा में शामिल हो सकती हैं, लेकिन वसुंधरा राजे की यात्रा में निष्क्रियता बीजेपी में फिर से गुटबाजी की ओर संकेत दे रही है.
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जन आक्रोश यात्रा में बनाई थी दूरी : ऐसा नहीं है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पहली बार प्रदेश संगठन की ओर से आयोजित की गई कार्यक्रमों से दूरी बनाई हो. इससे पहले भी प्रदेश संगठन की ओर से जन आक्रोश यात्रा जब प्रदेश में निकाली गई, उस समय भी वसुंधरा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में शुभारंभ कार्यक्रम में ही शामिल हुईं थीं. उसके बाद यात्रा की किसी भी सभा में शामिल नहीं हुईं. उसके बाद जब यात्रा का समापन हुआ, उसमें जब बीजेपी के राष्ट्रीय नेता आए तब वह कार्यक्रम में मौजूद रहीं.
ऐसे में राजनीति के जानकार कहते हैं कि वसुंधरा राजे बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं और लोकप्रिय भी हैं. इसलिए वसुंधरा राजे उन्हीं कार्यक्रमों में शामिल होती हैं, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के नेता मौजूद रहते हैं और यही आलम परिवर्तन संकल्प यात्रा में देखने को मिला. 2 सितंबर से 5 सितंबर तक आयोजित हुए परिवर्तन संकल्प यात्रा के कार्यक्रमों में जब केंद्र के नेता पहुंचे तो वहां मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मौजूद रहीं, लेकिन उसके बाद किसी भी यात्रा की सभा में वसुंधरा राजे नहीं पहुंचीं. यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा भले ही एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर रही हो, लेकिन समय-समय पर वसुंधरा राजे की दूरियां ये दिखाने के लिए काफी हैं कि बीजेपी में अभी भी सब कुछ सामान्य नहीं है.