जयपुर. प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव के बीच भाजपा ने अपनी पुरानी चुनावी रणनीति में बदलाव किया है. इस बार राजस्थान में कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने का प्लान बीजेपी तैयार कर रही है. राजस्थान में करीब 40 विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाता हार-जीत का फैसला करते हैं. इसलिए पार्टी ने अल्पसंख्यक मोर्चा को एक्टिव कर मुस्लिम इलाकों में बूथ स्तर तक सम्मेलन करने निर्देश दिए हैं. इसके साथ बीजेपी हार्डकोर हिंदुत के एजेंडे को छोड़ अल्पसंख्यक समाज को भी तरजीह देने की कोशिश कर रही है.
मोदी मित्र के बाद बूथ सम्मेलन : गहलोत सरकार को तुष्टिकरण के आरोप पर घेरने वाली बीजेपी ने कांग्रेस को पटखनी देने के लिए अब चुनावी मैदान में 'मोदी मित्र' और मोदी राखी के बाद बूथ सम्मेलन के जरिए कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने का प्लान तैयार किया गया है. अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश की 40 विधानसभा सीटों पर बूथ स्तर सम्मेलन करने जा रहा है. इन सम्मेलनों में अल्पसंख्यक मोर्चा केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में समाज के लोगों बताएगा. बताया जा रहा है कि ट्रिपल तलाक कानून आने के बाद मुस्लिम महिला वोटर काफी संख्या में बीजेपी से जुड़ी हैं. ऐसे में पार्टी बूथ सम्मेलन के जरिए अन्य योजनाओं के साथ ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों को भुनाने की कोशिश करेगी.
अलग-अलग होंगे कार्यक्रम : अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हमीद खान मेवाती ने बताय कि भारतीय जनता पार्टी ने 40 ऐसे विधानसभा क्षेत्रों को सेलेक्ट किया है, जहां 40 हजार से जयादा अल्पसंख्य समाज के लोग हैं. अब अल्पसंख्यक मोर्चे के कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं के जरिए अल्पसंख्यक समाज के बीच में जाएंगे. कार्यकर्ता अलग-अलग कार्यक्रम के जरिए जनता को केंद्र की योजनाओं के बारे में जानकारी देंगे और बीजेपी से जोड़ने की कोशिश करेंगे.
40 विधानसभा सीटों में इस बार भारतीय जनता पार्टी का कमल का फूल खिलेगा और उन विधानसभा में हम अच्छी तैयारी कर रहे हैं. मेवाती ने कहा कि बूथ स्तर पर सम्मेलन में होंगे. इसके साथ पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती समारोह पर बड़ा कार्यक्रम करने जा रहे हैं. इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय और प्रदेश के नेता शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि अब अल्पसंख्यक समाज बड़ी तादाद में भाजपा के साथ जुड़ रहा है. समाज कांग्रेस की रणनीति को समझ गया है. कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समाज को सिर्फ वोट बैंक के नजरिए से देखा है. आजादी के 75 साल बाद भी समाज के लिए कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया गया, जबकी केंद्र में मोदी सरकार बनने के साथ महिलाओं को ट्रिपल तलाक के खिलाफ लड़ने के कानूनी अधिकार दिए. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सत्ता में आने पहले 2018 में जो वादे किए, उन वादों पर सरकार खरी नहीं उतरी. जिसके चलते अल्पसंख्यक समाज में आक्रोश है और लोग सबक सीखाने के लिए तैयार हैं.
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पिछली बार एक अल्पसंख्यक उम्मीदवार : बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी यूनुस खान को ही टिकट दिया था. इसमें भी कहा जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने वीटो का इस्तेमाल किया. जिसके चलते कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के सामने टोंक से प्रत्याशी बनाया. हालांकि, उस समय यूनुस खान को पायलट के सामने हार का सामान करना पड़ा, लेकिन इस बार यह रणनीति बदले जाने का निर्णय ले लिया गया है. चूंकि राजस्थान में करीब 40 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां प्रत्याशी की हार-जीत का फैसला मुस्लिम मतदाता करते हैं. ऐसे में बीजेपी ने अपना मानस बदला है. अब पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ को एक्टिव किया गया है और मुस्लिम इलाकों में केंद्र की योजनाओं के जरिए अल्पसंख्यक समाज को भाजपा से जोड़ने का लक्ष्य लिया है.
अल्पसंख्यकों को फायदा :
- मोदी सरकार की 300 योजनाओं में 30 से 35 फीसदी अल्पसंख्यकों को मिला फायदा.
- देश में 11 करोड़ शौचालय में 2.9 करोड़ अल्पसंख्यकों के लिए बनाए.
- 9 करोड़ गैस कनेक्शन में 2.8 करोड़ अल्पसंख्यक.
- 46 करोड़ जनधन खातों में से 30 फीसदी अल्पसंख्यकों के खाते खुले.
- 4 करोड़ आवास योजना में 40 लाख आवास अल्पसंख्यकों को मिले.
- जनधन बीमा योजना, मुद्रा लोन योजना में 20 फीसदी लोन अल्पसंख्यक को मिला.
- गरीब कल्याण योजना में 30 फीसदी फायदा अल्पसंख्यक समुदाय को मिला.
- उच्च शिक्षा का आंकड़ा एक लाख बीस हजार था, जो बढ़कर एक लाख अस्सी हजार हो गया.
- हज कोटा एक लाख बीस हजार था, जो पीएम मोदी के प्रयास से बढ़कर एक लाख 75 हजार हो गया.
इन विधानसभा सीटों पर प्रभाव : प्रदेश में 200 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 40 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां अल्पसंख्यक समाज हार-जीत का प्रभाव रखता है. जिसमें हवा महल, किशनपोल, आदर्श नगर, सिविल लाइन्स, सीकर, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, झुंझुनूं, सरदारपुरा, सूरसागर, फलोदी, पोकरण, जैसलमेर, बाड़मेर, शिव चौहटन, बीकानेर पश्चिम, बीकानेर पूर्व, खाजूवाला, पुष्कर, सूदा, टोंक, कोटा उत्तर, लाडपुरा, नागौर शहर, मकराना, डीडवाना, लाडनूं, नगर, कामां, तिजारा, किशनगढ़ बास, अलवर ग्रामीण, रामगढ़, सवाई माधोपुर, झालरापाटन, बूंदी, चूरू, धौलपुर, श्रीगंगानगर.