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विधानसभा उपचुनाव के रण में क्या हनुमान को मिल पाएगी 'संजीवनी', 2 नवंबर का है इंतजार... - राजस्थान न्यूज

वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा-कांग्रेस सहित राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. आरएलपी सुप्रीमो और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल को इस उपचुनाव में जीत की संजीवनी मिल पाएगी या नहीं, इसका पटाक्षेप 2 नवंबर को नतीजे आने पर ही होगा.

RLP in bypolls
विधानसभा उपचुनाव के रण में बेनीवाल...
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Published : Oct 28, 2021, 6:52 PM IST

जयपुर. प्रदेश में धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव का शोरगुल थम गया है. अब सबकी निगाहें 2 नवंबर को आने वाले नतीजों पर है. वल्लभनगर राजनीतिक दृष्टि से काफी हॉट सीट बन गई है, क्योंकि यहां सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने भी जमकर पसीना बहाया.

हालांकि, हनुमान को इस उपचुनाव में जीत की संजीवनी मिल पाएगी या नहीं, इसका पटाक्षेप 2 नवंबर को नतीजे आने पर ही होगा. लेकिन अगर परिणाम आरएलपी के पक्ष में रहा, तो अगले विधानसभा चुनाव से पहले आरएलपी एक नई शक्ति बनकर उभरेगा.

राजस्थान में रही है दो दलीय व्यवस्था, लेकिन सेंध लगाने की तैयारी में हैं बेनीवाल...

राजस्थान की राजनीति में अब तक दो दलीय व्यवस्था रही है. मतलब कांग्रेस और भाजपा यहां प्रभावी रही हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में अन्य राजनीतिक दलों ने भी यहां कुछ-कुछ इलाकों में घुसपैठ की है. इनमें आरएलपी का नाम भी शामिल है. वर्तमान में प्रदेश में आरएलपी का एक सांसद और तीन विधायक हैं. ऐसे में अगर वल्लभनगर सीट पर आरएलपी कब्जा करती है, तो विधायकों की संख्या 4 होगी. इसका सबसे ज्यादा मनोवैज्ञानिक फायदा आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आरएलपी को मिलेगा.

पढ़ें: सतीश पूनिया ने कसा तंज, कहा- राजस्थान में कांग्रेस की दुर्गति के जिम्मेदार CM गहलोत होंगे

चुनाव प्रचार में अकेले बेनीवाल ने संभाली RLP की कमान...

उपचुनाव में जहां कांग्रेस और भाजपा के कई दिग्गज राजनेताओं ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली, वहीं आरएलपी के चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी बेनीवाल के कंधों पर ही थी. हालांकि, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व विधायक पुखराज गर्ग भी चुनाव प्रचार में जुटे, लेकिन सभाओं को संबोधित करने से लेकर भीड़ जुटाने तक की जिम्मेदारी बेनीवाल के कंधों पर थी. यही कारण है कि बेनीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान पूरा समय वल्लभनगर में ही गुजारा. यहां तक कि मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए चुनाव प्रचार में हेलीकॉप्टर का सहारा तक लिया.

बेनीवाल से भाजपा को खतरा, लेकिन कांग्रेस भी सुरक्षित नहीं...

वल्लभनगर सीट पर इस बार चतुष्कोणीय मुकाबला है. मुकाबले में भाजपा, कांग्रेस आरएलपी और जनता सेना के बीच में मुकाबला होगा. आरएनपी की स्थिति इसलिए मजबूत मानी जा सकती है, क्योंकि आरएलपी ने बीजेपी के बागी उदयलाल डांगी को अपना प्रत्याशी बनाया. इसलिए मुकाबला त्रिकोणीय के बजाय चतुष्कोणीय हो गया. आरएलपी प्रत्याशी यहां जितने भी वोट तोड़ेगा, उससे सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को होगा, क्योंकि डांगी पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रह चुके हैं. लेकिन इस सीट पर आरएलपी के चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस और जनता सेना भी सुरक्षित नहीं है. मतलब जो वोट कटेंगे, इन तीनों ही पार्टियों के कटेंगे.

पढ़ें: Panchayat Election 2021: कांग्रेस ने रिजल्ट 'आउट' होने से पहले की बाड़ाबंदी, नेता बोले- अलवर में दिखेगा हमारा दम

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले उपचुनाव के परिणाम रहेंगे महत्वपूर्ण...

राजस्थान में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे पहले ये उपचुनाव सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है. इस उपचुनाव में आरएलपी का परफोर्मेंस आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. उपचुनाव में आरएलपी को अच्छे वोट मिलते हैं तो अगले विधानसभा चुनाव से पहले आरएलपी के कार्यकर्ताओं के लिए यह ऊर्जा देने वाला होगा और इसका मनोवैज्ञानिक फायदा भी बेनीवल की पार्टी को मिलना तय है. हालांकि, हनुमान को जीत की संजीवनी मिलेगी या नहीं यह 2 नवम्बर को ही पता चलेगा.

जयपुर. प्रदेश में धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव का शोरगुल थम गया है. अब सबकी निगाहें 2 नवंबर को आने वाले नतीजों पर है. वल्लभनगर राजनीतिक दृष्टि से काफी हॉट सीट बन गई है, क्योंकि यहां सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने भी जमकर पसीना बहाया.

हालांकि, हनुमान को इस उपचुनाव में जीत की संजीवनी मिल पाएगी या नहीं, इसका पटाक्षेप 2 नवंबर को नतीजे आने पर ही होगा. लेकिन अगर परिणाम आरएलपी के पक्ष में रहा, तो अगले विधानसभा चुनाव से पहले आरएलपी एक नई शक्ति बनकर उभरेगा.

राजस्थान में रही है दो दलीय व्यवस्था, लेकिन सेंध लगाने की तैयारी में हैं बेनीवाल...

राजस्थान की राजनीति में अब तक दो दलीय व्यवस्था रही है. मतलब कांग्रेस और भाजपा यहां प्रभावी रही हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में अन्य राजनीतिक दलों ने भी यहां कुछ-कुछ इलाकों में घुसपैठ की है. इनमें आरएलपी का नाम भी शामिल है. वर्तमान में प्रदेश में आरएलपी का एक सांसद और तीन विधायक हैं. ऐसे में अगर वल्लभनगर सीट पर आरएलपी कब्जा करती है, तो विधायकों की संख्या 4 होगी. इसका सबसे ज्यादा मनोवैज्ञानिक फायदा आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आरएलपी को मिलेगा.

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उपचुनाव में जहां कांग्रेस और भाजपा के कई दिग्गज राजनेताओं ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली, वहीं आरएलपी के चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी बेनीवाल के कंधों पर ही थी. हालांकि, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व विधायक पुखराज गर्ग भी चुनाव प्रचार में जुटे, लेकिन सभाओं को संबोधित करने से लेकर भीड़ जुटाने तक की जिम्मेदारी बेनीवाल के कंधों पर थी. यही कारण है कि बेनीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान पूरा समय वल्लभनगर में ही गुजारा. यहां तक कि मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए चुनाव प्रचार में हेलीकॉप्टर का सहारा तक लिया.

बेनीवाल से भाजपा को खतरा, लेकिन कांग्रेस भी सुरक्षित नहीं...

वल्लभनगर सीट पर इस बार चतुष्कोणीय मुकाबला है. मुकाबले में भाजपा, कांग्रेस आरएलपी और जनता सेना के बीच में मुकाबला होगा. आरएनपी की स्थिति इसलिए मजबूत मानी जा सकती है, क्योंकि आरएलपी ने बीजेपी के बागी उदयलाल डांगी को अपना प्रत्याशी बनाया. इसलिए मुकाबला त्रिकोणीय के बजाय चतुष्कोणीय हो गया. आरएलपी प्रत्याशी यहां जितने भी वोट तोड़ेगा, उससे सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को होगा, क्योंकि डांगी पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रह चुके हैं. लेकिन इस सीट पर आरएलपी के चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस और जनता सेना भी सुरक्षित नहीं है. मतलब जो वोट कटेंगे, इन तीनों ही पार्टियों के कटेंगे.

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राजस्थान में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे पहले ये उपचुनाव सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है. इस उपचुनाव में आरएलपी का परफोर्मेंस आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. उपचुनाव में आरएलपी को अच्छे वोट मिलते हैं तो अगले विधानसभा चुनाव से पहले आरएलपी के कार्यकर्ताओं के लिए यह ऊर्जा देने वाला होगा और इसका मनोवैज्ञानिक फायदा भी बेनीवल की पार्टी को मिलना तय है. हालांकि, हनुमान को जीत की संजीवनी मिलेगी या नहीं यह 2 नवम्बर को ही पता चलेगा.

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