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जयपुर: SMS अस्पताल में शुरू हुई कोरोना मरीजों के लिए पल्मोनरी सीटी एंजियोग्राफी

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Published : May 22, 2020, 8:49 PM IST

जयपुर की SMS अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए पल्मोनरी सीटी एंजियोग्राफी शुरू की गई है. कोविड निमोनिया में मरीजों के ब्लड क्लॉट बनने से फेफड़ों में सूजन और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं का एंजियोग्राफी के जरिए क्लॉट का पता लगाकर उपचार किया जा रहा है.

pulmonary angiography, सीटी एंजियोग्राफी
SMS अस्पताल में शुरू हुई कोरोना मरीजों के लिए पल्मोनरी सीटी एंजियोग्राफी

जयपुर. कोरोना वायरस की राजस्थान में दस्तक के साथ ही SMS अस्पताल को कोरोना मरीजों के लिए समर्पित कर दिया गया था. शुरुआती दिनों में एक्स-रे और सोनोग्राफी के जरिए ही जांच की जा रही थी. हलांकि, ये निमोनिया का पैटर्न था, और इस सीवियर टाइप निमोनिया में मरने का कारण फेफड़ों की पल्मोनरी आर्टिरीज में क्लॉट था. ऐसे में जांच के लिए पहले एक सीटी स्कैन मशीन को समर्पित किया गया. उसके बाद पल्मोनरी सीटी एनजीओ शुरू किया गया.

SMS अस्पताल में शुरू हुई कोरोना मरीजों के लिए पल्मोनरी सीटी एंजियोग्राफी

इस संबंध में SMS अस्पताल उपअधीक्षक डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि पल्मोनरी एंजियोग्राफी का सीधा मतलब है, फेफड़ों के रक्त नलियों की जांच, जो आर्टरी से संबंधित है. ऐसे में इसे पल्मोनरी एंजियोग्राफी नाम दिया गया. उन्होंने बताया कि कोविड निमोनिया के अंतर्गत फेफड़े के निचले हिस्से से वायु कोष में सूजन पैदा करने वाली द्रव्य इकट्ठा होने लगता है. वायु कोष में सूजन के बाद द्रव्य और इन्फ्लेमेटरी सेल्स फेफड़े में आने लगते हैं.

इस स्थिति में फेफड़े रक्त प्रवाह से पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं ले पाते, और शरीर में ऑक्सीजन लेने तथा कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभाव से बचने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में एसएमएस में भर्ती मरीजों में ये समस्या आईडेंटिफाई करने के लिए पल्मोनरी सीटी एंजियोग्राफी शुरू की गई है. अब तक अकेले एसएमएस अस्पताल में 25 पल्मोनरी सीटी एंजियोग्राफी की जा चुकी है. जल्द पहचान से ट्रीटमेंट को मॉडिफाई करने में मदद मिलती है.

ये भी पढ़ें: बस पॉलिटिक्स पर बोले पायलट, कहा- बसों से सरकार का कोई लेना देना नहीं

आपको बता दें कि पल्मोनरी एंजियोग्राफी का उपयोग रक्त के थक्का और फेफड़ों में रक्त के प्रवाह में अन्य रुकावट का पता लगाने के लिए किया जाता है. समय रहते क्लॉट का पता लगने से उपयुक्त उपचार के द्वारा कोविड निमोनिया मरीज को बचाया जा सकता है.

जयपुर. कोरोना वायरस की राजस्थान में दस्तक के साथ ही SMS अस्पताल को कोरोना मरीजों के लिए समर्पित कर दिया गया था. शुरुआती दिनों में एक्स-रे और सोनोग्राफी के जरिए ही जांच की जा रही थी. हलांकि, ये निमोनिया का पैटर्न था, और इस सीवियर टाइप निमोनिया में मरने का कारण फेफड़ों की पल्मोनरी आर्टिरीज में क्लॉट था. ऐसे में जांच के लिए पहले एक सीटी स्कैन मशीन को समर्पित किया गया. उसके बाद पल्मोनरी सीटी एनजीओ शुरू किया गया.

SMS अस्पताल में शुरू हुई कोरोना मरीजों के लिए पल्मोनरी सीटी एंजियोग्राफी

इस संबंध में SMS अस्पताल उपअधीक्षक डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि पल्मोनरी एंजियोग्राफी का सीधा मतलब है, फेफड़ों के रक्त नलियों की जांच, जो आर्टरी से संबंधित है. ऐसे में इसे पल्मोनरी एंजियोग्राफी नाम दिया गया. उन्होंने बताया कि कोविड निमोनिया के अंतर्गत फेफड़े के निचले हिस्से से वायु कोष में सूजन पैदा करने वाली द्रव्य इकट्ठा होने लगता है. वायु कोष में सूजन के बाद द्रव्य और इन्फ्लेमेटरी सेल्स फेफड़े में आने लगते हैं.

इस स्थिति में फेफड़े रक्त प्रवाह से पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं ले पाते, और शरीर में ऑक्सीजन लेने तथा कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभाव से बचने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में एसएमएस में भर्ती मरीजों में ये समस्या आईडेंटिफाई करने के लिए पल्मोनरी सीटी एंजियोग्राफी शुरू की गई है. अब तक अकेले एसएमएस अस्पताल में 25 पल्मोनरी सीटी एंजियोग्राफी की जा चुकी है. जल्द पहचान से ट्रीटमेंट को मॉडिफाई करने में मदद मिलती है.

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आपको बता दें कि पल्मोनरी एंजियोग्राफी का उपयोग रक्त के थक्का और फेफड़ों में रक्त के प्रवाह में अन्य रुकावट का पता लगाने के लिए किया जाता है. समय रहते क्लॉट का पता लगने से उपयुक्त उपचार के द्वारा कोविड निमोनिया मरीज को बचाया जा सकता है.

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