जयपुर. राजस्थान में बहुमत मिलने के बाद बीते 15 दिसंबर को भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. साथ ही शपथ के बाद उन्होंने कामकाज भी संभाला लिया, लेकिन सिर पर लोकसभा चुनाव है. ऐसे में पार्टी अब आगामी चुनावी तैयारियों के मद्देनजर संगठन में बदलाव कर सकती है और इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. सत्ता और संगठन में शुरू हुए काम के बीच अब प्रदेश संगठन से जुड़े कई पदों पर बदलाव की सुगबुगाहट है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पूरे संगठन का ढांचा बदलेगा या फिर कुछ पदों पर बदलाव कर खानापूर्ति की जाएगी. वहीं, सियासी गलियारों में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
संगठन में बदलाव की परंपरा : बता दें कि सीएम भजनलाल शर्मा और डिप्टी सीएम दीया कुमारी प्रदेश महामंत्री के पद पर हैं. ऐसे में उनको दायित्व मुक्त किया जाना स्वाभाविक है और नए चेहरों को जिम्मेदारी दी जाएगी. उधर, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी भी स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य और एक जिले के प्रभारी है. ऐसे में अब उन्हें भी दायित्व मुक्त किया जा सकता है. वैसे भी चुनाव बाद संगठन में बदलाव की परंपरा रही है, जिसे देखते हुए यह माना जा रहा है कि अब पार्टी जल्द ही व्यापक स्तर पर बदलाव कर सकती है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पूरे संगठन का ढांचा बदलेगा या फिर कुछ पदों पर बदलाव किए जाएंगे. सूत्रों की मानें तो सत्ता और संगठन में तालमेल बनाए रखने के लिए किसी भी बदलाव से पहले सीएम भजनलाल से सुझाव लिया जाएगा.
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अध्यक्ष को लेकर भी चर्चा : भाजपा ने छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष बदला है. फिलहाल तक वहां प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अरुण साव संभाल रहे थे, लेकिन राज्य में भाजपा की सरकार बनते ही अरुण साव को डिप्टी सीएम बना दिया गया. ऐसे में किरण सिंहदेव को ये जिम्मेदारी दी है. छत्तीसगढ़ में हुए बदलाव के बाद अब राजस्थान में भी अध्यक्ष पद पर बदलाव की चर्चा है. छह माह बाद प्रदेश में लोकसभा चुनाव है. ऐसे में जातीय संतुलन को बनाए रखने के लिए भाजपा अध्यक्ष बदल सकती है. सियासी पंडितों की मानें तो मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ब्राह्मण समाज से आते हैं. वहीं, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी ब्राह्मण समाज से ही हैं. ऐसे में पार्टी अध्यक्ष पद पर बदलाव कर जाति समीकरण को साधने की कोशिश करेगी.
ओबीसी चेहरों को तवज्जो : प्रदेश अध्यक्ष और संगठन में बदलाव की चर्चाओं के बीच अब लॉबिंग तेज हो गई है. वरिष्ठ नेताओं के राजनीतिक अनुभव रहे हैं. सभी इस पद पर आना चाहते हैं. साथ ही यह भी तय माना जा रहा है कि संगठन में ओबीसी चेहरों को तवज्जो दी जाएगी, ताकि सत्ता और संगठन में जातिगत समीकरणों को साधा जा सके. ब्राह्मण समाज से मुख्यमंत्री, राजपूत और एससी समाज से डिप्टी सीएम बनाया गया है. ऐसे में अब माना जा रहा है कि पार्टी जाट या गुजर समाज से अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेल सकती है.
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जनवरी के पहले सप्ताह तक बदलाव संभव : 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन कार्यक्रम है. ऐसे में नई दिल्ली से प्रदेश अध्यक्ष समेत कई बड़े नेताओं को खुद के प्रदेश में इस पर कार्यक्रम के आयोजन का दिशा-निर्देश दिया जा सकता है. साथ ही माना यह जा रहा है कि इस कार्यक्रम को दिवाली की तरह मनाया जाएगा, ताकि लोकसभा चुनाव में इसका फायदा पार्टी को मिल सके. वहीं, लोकसभा चुनाव में अब कुछ महीने ही बचे हैं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि अगले साल जनवरी माह तक प्रदेश अध्यक्ष को लेकर फैसला हो जाएगा.