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चिकित्सकों की हड़ताल, कांवटिया अस्पताल के ओपीडी में लगे ताले

देशव्यापी चिकित्सकों के हड़ताल से राजस्थान के कई जिलों में इसका असर देखने को मिल रहा हैं. ऐसे में अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं चरमरा गई हैं लेकिन राजधानी के कांवटिया अस्पताल में अस्पताल प्रशासन ने ताले तक जड़ दिये.

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Published : Jun 17, 2019, 6:43 PM IST

कांवटिया अस्पताल के ओपीडी में लगे ताले

जयपुर. डॉक्टरों की हड़ताल के बाद प्रदेशभर के अस्पतालों के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. राजधानी जयपुर के शास्त्रीनगर स्थित कांवटिया अस्पताल मे जब मरीज इलाज कराने पहुंचे तो पाया कि ओपीडी पर ताले जड़े हुए हैं. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने जो वैकल्पिक इंतजाम के दावे किए थे वह फेल होते साफ नजर आये.

अस्पताल में लगातार सुबह से ही मरीजों का आना लगा हुआ था, लेकिन इमरजेंसी के अलावा कहीं भी चिकित्सक मौजूद नहीं थे. जब ताले लगाए गये तो अस्पताल के अधीक्षक को भी इसकी सूचना नहीं थी. ऐसे में आनन-फानन में अस्पताल के अधीक्षक डॉ लीनेश्वर हर्षवर्धन मौके पर पहुंचे और उन्होंने अस्पताल का ताला खुलवाया. वहीं इस मौके पर अधीक्षक ने कहा कि उन्होंने जांच के आदेश लिखित में जारी कर दिए हैं. जिस व्यक्ति ने भी ओपीडी के बाहर ताले लगावाये हैं उस पर कार्रवाई की जाएगी अस्पतालों के इंतजाम को लेकर भी अधीक्षक ने कहा कि वह अपने स्तर पर इंतजाम कर रहे हैं.

चिकित्सकों की हड़ताल ,कांवटिया अस्पताल के ओपीडी में लगे ताले

जबकि मेडिकल कॉलेज की ओर से चिकित्सक देने की बात हुई थी, लेकिन अभी तक अस्पताल में चिकित्सक नहीं पहुंचे. भले ही अस्पतालों में चिकित्सक हड़ताल पर हो या फिर ताले जड़ दिए हो लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी तो अस्पताल आने वाले मरीजों को ही उठानी पड़ रही हैं. जो इलाज के लिए बड़ी ही उम्मीदों से अस्पताल आ रहे हैं लेकिन उन्हें मायूस होकर ही लौटना पड़ रहा है.

जयपुर. डॉक्टरों की हड़ताल के बाद प्रदेशभर के अस्पतालों के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. राजधानी जयपुर के शास्त्रीनगर स्थित कांवटिया अस्पताल मे जब मरीज इलाज कराने पहुंचे तो पाया कि ओपीडी पर ताले जड़े हुए हैं. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने जो वैकल्पिक इंतजाम के दावे किए थे वह फेल होते साफ नजर आये.

अस्पताल में लगातार सुबह से ही मरीजों का आना लगा हुआ था, लेकिन इमरजेंसी के अलावा कहीं भी चिकित्सक मौजूद नहीं थे. जब ताले लगाए गये तो अस्पताल के अधीक्षक को भी इसकी सूचना नहीं थी. ऐसे में आनन-फानन में अस्पताल के अधीक्षक डॉ लीनेश्वर हर्षवर्धन मौके पर पहुंचे और उन्होंने अस्पताल का ताला खुलवाया. वहीं इस मौके पर अधीक्षक ने कहा कि उन्होंने जांच के आदेश लिखित में जारी कर दिए हैं. जिस व्यक्ति ने भी ओपीडी के बाहर ताले लगावाये हैं उस पर कार्रवाई की जाएगी अस्पतालों के इंतजाम को लेकर भी अधीक्षक ने कहा कि वह अपने स्तर पर इंतजाम कर रहे हैं.

चिकित्सकों की हड़ताल ,कांवटिया अस्पताल के ओपीडी में लगे ताले

जबकि मेडिकल कॉलेज की ओर से चिकित्सक देने की बात हुई थी, लेकिन अभी तक अस्पताल में चिकित्सक नहीं पहुंचे. भले ही अस्पतालों में चिकित्सक हड़ताल पर हो या फिर ताले जड़ दिए हो लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी तो अस्पताल आने वाले मरीजों को ही उठानी पड़ रही हैं. जो इलाज के लिए बड़ी ही उम्मीदों से अस्पताल आ रहे हैं लेकिन उन्हें मायूस होकर ही लौटना पड़ रहा है.

Intro:जयपुर- प्रदेशभर के चिकित्सक हड़ताल पर हैं ऐसे में अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं चरमरा गई है लेकिन राजधानी जयपुर के कांवटिया अस्पताल में अस्पताल प्रशासन ने ताले तक जड़ दिए


Body:डॉक्टर्स की हड़ताल के बाद प्रदेशभर के अस्पतालों के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं लेकिन राजधानी जयपुर के शास्त्रीनगर स्थित है कांवटिया अस्पताल मे जब मरीज इलाज कराने पहुंचे तो देखा कि ओपीडी पर ताले जड़े हुए हैं ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने जो वैकल्पिक इंतजाम के दावे किए थे वह फेल हो गए अस्पताल में लगातार सुबह से ही मरीजों का आना लगा हुआ था लेकिन इमरजेंसी के अलावा कहीं भी चिकित्सक मौजूद नहीं थे और जब ताले लगाए गए तो अस्पताल के अधीक्षक को भी इसकी सूचना नहीं थी ऐसे में आनन-फानन में अस्पताल के अधीक्षक डॉ लीनेश्वर हर्षवर्धन मौके पर पहुंचे और उन्होंने अस्पताल का ताला खुलवाया वही इस मौके पर अधीक्षक ने कहा कि उन्होंने जांच के आदेश लिखित में जारी कर दिए हैं और जिस व्यक्ति ने भी ओपीडी के बाहर ताले लगाए हैं उस पर कार्रवाई की जाएगी अस्पतालों के इंतजाम को लेकर भी अधीक्षक ने कहा कि वह अपने स्तर पर इंतजाम कर रहे हैं जबकि मेडिकल कॉलेज की ओर से चिकित्सक देने की बात हुई थी लेकिन अभी तक अस्पताल में चिकित्सक नहीं पहुंचे


Conclusion:भले ही अस्पतालों में चिकित्सक हड़ताल पर हो या फिर ताले जड़ दिए हो लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी तो अस्पताल आने वाले मरीजों को ही उठानी पड़ रही है जो आप तो इलाज के लिए रहे हैं लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ रहा है

बाईट-डॉ लीनेश्वर हर्षवर्धन,अधीक्षक, कांवटिया हॉस्पिटल
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