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प्रदेश में रोडवेज बसों की संख्या कम होने पर मंत्री खाचरियावास ने क्या कहा, सुनिए

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Published : Sep 1, 2019, 5:54 PM IST

राजस्थान रोडवेज की कंडम बसों को देखते हुए राज्य में बसों का संकट खड़ा हो गया है. ऐसा अब तक कभी नहीं हुआ था. रोडवेज के बेड़े में पहली बार बसों की संख्या कम होती जा रही है. वहीं रोडवेज की आय में भी लगातार गिरावट आ रही है. यदि जल्द ही बसें नहीं खरीदी गईं तो हालत और खराब हो जाएगी. हालांकि मंत्री खाचरियावास ने इस मुद्दे पर जवाब दिया है.

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जयपुर. राजस्थान रोडवेज में इन दिनों बसों की हालत ज्यादा ही खराब हो गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह बसों में आई कमी है. रोडवेज का मूलभूत आधार ही अब बिखरने लगा है. आमतौर पर राजस्थान रोडवेज के बेड़े में 4500 से 5000 बसें रहती रही है. बेड़े में बसों की संख्या पिछले कई वर्षों से स्थिर रखी जाती है, लेकिन पिछली सरकार के समय में नई बसों की खरीद नहीं किए जाने से हालत बिगड़ने लगी हैं. वहीं, मंत्री खाचरियावास ने कहा है कि प्रदेश में हस बसों की कमी नहीं होने देंगे.

राजस्थान रोडवेज बसों की संख्या में हुई कमी

इस दौरान पिछले 5 वर्षों में मात्र 500 नई बसें ही खरीदी जा सकी है. जबकि प्रत्येक वर्ष रोडवेज को 500 नई बसों की जरूरत पड़ती है. जहां 2500 नई बसें खरीदी जानी चाहिए थी. वहां केवल 500 ही खरीदी गई हैं. इस कारण रोडवेज के बेड़े में बसों की संख्या लगातार घटती जा रही है. बेड़े को बरकरार रखने के लिए रोडवेज प्रशासन के द्वारा उन पुरानी बसों को भी घसीटा जा रहा है, जो कि कंडम होने की मानदंडों को पूरा कर चुकी है.

पढ़ें- कलराज मिश्र होंगे राजस्थान के नए राज्यपाल...

आम तौर पर 8 साल पुराना होने पर बस संचालन-योग्य नहीं रहती है और उसे कंडम घोषित कर दिया जाता है. लेकिन रोडवेज में फिलहाल 9 से 10 साल पुरानी बसों को भी चलाया जा रहा है. रोडवेज बसों की संख्या कम होने के चलते रोडवेज प्रशासन को नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. इस समय बसों की संख्या 3459 ही रह गई है.

पढें- Exclusive: माफी मांगने के बाद सुलझ गया था सुमन शर्मा और अशोक लाहोटी का विवाद... फिर बना ये वीडियो... इस पर भी बड़ा सवाल

बता दें कि पहले जब बेड़े में 4500 से 5000 बसें चल रही थी. तब बसों के करीब 5000 शेड्यूल चल रहे थे, लेकिन अब 3800 शेड्यूल ही संचालित हो रहे हैं. इस कारण कई ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बसे बंद कर दी गई है. ऐसे में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसका फायदा प्राइवेट सेक्टर की बसे के संचालक उठा रहे है. अबकी बार बोर्ड बैठक में 1152 ने बसें खरीदने का फैसला भी किया है.

पढ़ें- जयपुर में 'लफ्ज' श्रृंखला के 8वें संस्करण में उर्दू, अरबी और फारसी को बढ़ावा देने की पहल

हालातों को देखते हुए बिना देरी किए नई बसों को शामिल किया जाए. ताकि लोगों की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. नई बसों में 50 इलेक्ट्रिक बैटरी युक्त होंगी. जिनके लिए सब्सिडी केंद्र सरकार मुहैया कराएगी. लेकिन शेष बची हुई एक्सप्रेस और डीलक्स बसों की खरीद जल्दी नहीं की गई तो रोडवेज के हालात और विकट हो जाएंगे. क्योंकि दिसंबर आते-आते रोडवेज के पास 2000 बसें भी नहीं बचेगी.

जयपुर. राजस्थान रोडवेज में इन दिनों बसों की हालत ज्यादा ही खराब हो गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह बसों में आई कमी है. रोडवेज का मूलभूत आधार ही अब बिखरने लगा है. आमतौर पर राजस्थान रोडवेज के बेड़े में 4500 से 5000 बसें रहती रही है. बेड़े में बसों की संख्या पिछले कई वर्षों से स्थिर रखी जाती है, लेकिन पिछली सरकार के समय में नई बसों की खरीद नहीं किए जाने से हालत बिगड़ने लगी हैं. वहीं, मंत्री खाचरियावास ने कहा है कि प्रदेश में हस बसों की कमी नहीं होने देंगे.

राजस्थान रोडवेज बसों की संख्या में हुई कमी

इस दौरान पिछले 5 वर्षों में मात्र 500 नई बसें ही खरीदी जा सकी है. जबकि प्रत्येक वर्ष रोडवेज को 500 नई बसों की जरूरत पड़ती है. जहां 2500 नई बसें खरीदी जानी चाहिए थी. वहां केवल 500 ही खरीदी गई हैं. इस कारण रोडवेज के बेड़े में बसों की संख्या लगातार घटती जा रही है. बेड़े को बरकरार रखने के लिए रोडवेज प्रशासन के द्वारा उन पुरानी बसों को भी घसीटा जा रहा है, जो कि कंडम होने की मानदंडों को पूरा कर चुकी है.

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आम तौर पर 8 साल पुराना होने पर बस संचालन-योग्य नहीं रहती है और उसे कंडम घोषित कर दिया जाता है. लेकिन रोडवेज में फिलहाल 9 से 10 साल पुरानी बसों को भी चलाया जा रहा है. रोडवेज बसों की संख्या कम होने के चलते रोडवेज प्रशासन को नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. इस समय बसों की संख्या 3459 ही रह गई है.

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बता दें कि पहले जब बेड़े में 4500 से 5000 बसें चल रही थी. तब बसों के करीब 5000 शेड्यूल चल रहे थे, लेकिन अब 3800 शेड्यूल ही संचालित हो रहे हैं. इस कारण कई ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बसे बंद कर दी गई है. ऐसे में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसका फायदा प्राइवेट सेक्टर की बसे के संचालक उठा रहे है. अबकी बार बोर्ड बैठक में 1152 ने बसें खरीदने का फैसला भी किया है.

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हालातों को देखते हुए बिना देरी किए नई बसों को शामिल किया जाए. ताकि लोगों की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. नई बसों में 50 इलेक्ट्रिक बैटरी युक्त होंगी. जिनके लिए सब्सिडी केंद्र सरकार मुहैया कराएगी. लेकिन शेष बची हुई एक्सप्रेस और डीलक्स बसों की खरीद जल्दी नहीं की गई तो रोडवेज के हालात और विकट हो जाएंगे. क्योंकि दिसंबर आते-आते रोडवेज के पास 2000 बसें भी नहीं बचेगी.

Intro:जयपुर एंकर-- राजस्थान रोडवेज की कंडम बसों को देखते हुए बसों का संकट खड़ा हो गया है,,,,,,,, जो अब तक कभी नहीं हुआ,,,,,रोडवेज के बेड़े में पहली बार बसों की संख्या कम होती जा रही है ,,,,,,वही रोडवेज़ की आय में भी लगातार गिरावट आ रही है,,,,,,, यदि जल्दी बसे नहीं खरीदी गई तो हालत विकट हो जाएंगे,,,,,,


Body:जयपुर-- राजस्थान रोडवेज में इन दिनों हालत ज्यादा खराब हो गए है ,,,,,,सबसे बड़ी समस्या है बसों की कमी,,,,, यानी रोडवेज का मूलभूत आधारी अब बिखरने लगा है,,,,, आमतौर पर राजस्थान रोडवेज के बेड़े में 4500 से 5000 बसें रहती आई है,,,,,, बेड़े में बसों की संख्या पिछले कई वर्षों से स्थिर रखी जाती है,,,,,,,, लेकिन पिछली सरकार के समय में नई बसों की खरीद नहीं किए जाने से हालत गड़बड़ा लगे हैं ,,,,,,,पिछले 5 वर्षों में मात्र 500 नई बसें ही खरीदी गई थी,,,,,,, जबकि हर वर्ष रोडवेज को 500 नई बसों की जरूरत पड़ती है,,,,,,,, जहां 2500 नई बसें खरीदी जानी चाहिए थी ,,,,,,उस अवधि में केवल 500 ही खरीदी गई,,,,,,,, इस कारण रोडवेज के बेड़े में शामिल कुल बसों की संख्या लगातार घटती जा रही है,,,,,,,, बेड़े को बरकरार रखने के लिए रोडवेज प्रशासन उन पुरानी बसों को भी घसीटा जा रहा है,,,,,, जो कि कंडम होने की मानदंडों को पूरा कर चुकी है,,,,, आम तौर पर 8 साल पुरानी होने पर बस संचालन योग्य नहीं रहती है,,,,,, और उसे कंडम घोषित कर दिया जाता है,,,,,,, लेकिन रोडवेज में फिलहाल 9 से 10 साल पुरानी बसों को भी चलाया जा रहा है,,,,,,

-- राजस्थान रोडवेज की माली हालत

रोडवेज के पास 5000 बसे होनी चाहिए लेकिन अभी केवल 3459 है

रोज करीब 350 बसें खराब रहती है 3100 बसे ही चालू हालत में है

बसों की औसत उम्र 6.58 वर्ष यानी ज्यादातर बसें बूढ़ी हो चुकी है

दिसंबर 2019 यानी कि 5 माह बाद केवल 1950 बसें ही बचेगी

बसों की कमी पूरा करने के लिए रोडवेज़ प्रशासन ने निजी बसें अनुबंध पर ली है

950 बसे अनुबंध पर लेकर काम चला रहा रोडवेज प्रशासन

वीओ 02 --

बसों की संख्या कम होने के चलते रोडवेज प्रशासन को नकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं,,,,,, पूर्व में जब बेड़े में 4500 से 5000 बसें चल रही थी तब बसों के करीब 5000 शेड्यूल चल रहे थे,,,,,, लेकिन अब 38100 शेड्यूल ही संचालित हो रहे हैं,,,,,, इस कारण कई ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बसे बंद कर दी गई है,,,,,,, रूट कम करने से ग्रामीण क्षेत्रों के बस यात्रियों को परेशानी हो रही है,,,,,,, वहीं रोडवेज बसें नहीं चलने से निजी बस संचालक इसका फायदा उठा रहे हैं,,,,,, बस घटने से रोडवेज के संचालन किलोमीटर कम हो गए हैं,,,,,, विगत हालातों को देखते हुए रोडवेज प्रशासन ने पिछले दिनों बोर्ड बैठक में 1152 ने बसें खरीदने का फैसला भी किया है,,,,,

बाइट-- प्रताप सिंह खाचरियावास ( परिवहन मंत्री)


Conclusion:फाइनल वीओ -- इन हालातों में यह सबसे ज्यादा जरूरी है,,,, कि रोडवेज में बिना देरी किए नई बसों को शामिल किया जाए,,,,,,, 50 बसे इलेक्ट्रिक बैटरी युक्त होंगी ,,,,,,जिनके लिए सब्सिडी केंद्र सरकार मुहैया करवाएगी,,,,,,, लेकिन शेष बची हुई एक्सप्रेस और डीलक्स बसों की खरीद जल्दी नहीं की गई तो,,,,,, रोडवेज के लिए हालत और विकट हो जाएंगे ,,,,,,क्योंकि दिसंबर आते-आते रोडवेज के पास 2000 बसें भी नहीं बचेगी,,,,,, अब देखना होगा कि इस पूरे हालात में राज्य सरकार रोडवेज को बचाने के लिए हाथ बढ़ाती है या नहीं,,,,,
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