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पांच साल में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर दो लाख निवेशकों को लगाया 400 करोड़ का चूना, नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी का क्या है सच

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Published : May 30, 2023, 7:01 PM IST

एसओजी ने पिछले सप्ताह में नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले से जुड़े तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया तो करीब पांच साल पुराने इस घोटाले की याद एक बार फिर ताजा हो गई. जानिए, आखिर कैसे इस पूरे घोटाले की नींव रखी गई और बड़ी संख्या में लोगों को शिकार बनाया गया.

एसओजी
एसओजी

जयपुर . एसओजी की ताजा कार्रवाई के बाद नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी और उससे जुड़ा घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है. दरअसल, राजस्थान के बाड़मेर जिले से शुरू हुई नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने देखते ही देखते समूचे राजस्थान और इसके बाहर भी अपनी शाखाएं खोली और बड़ी संख्या में लोगों को इससे जोड़ा. इसके बाद करीब दो लाख निवेशकों के 400 करोड़ रुपए का घोटाला किया.

किसी फिल्म जैसी इस कहानी का मुख्य किरदार या कहें सूत्रधार बाड़मेर जिले के जयसिंदर गांव का रहने वाला गिरधर सिंह सोढा है. जिसने साल 2010 में बाड़मेर में नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की नींव रखी और पहली शाखा खोली. इसके बाद देशभर में इसकी 228 शाखाएं खोली गईं और लोगों की मेहनत की कमाई को पांच साल में दोगुना करने का लालच देकर निवेश कराया. लोगों का भरोसा जीतने के लिए शुरुआत में सोसायटी के संचालकों ने अपने परिचितों से ही इस सोसायटी में निवेश करवाया और तय समय पर वादे के मुताबिक मुनाफा भी दिया. जिसके बाद लोगों का रुझान और इसमें निवेश बढ़ता गया. साल 2017 में पता चला कि सोसायटी में निवेश करने वाले लोगों की पसीने की कमाई डूब गई. अब तक हुई जांच में पता चला है कि राजस्थान और प्रदेश के बाहर के 1.93 लाख निवेशकों ने 400 करोड़ की रकम सोसायटी में निवेश किया था. जिसे संचालकों ने नहीं लौटाईं.

ऐसे होता रहा पर्दे के पीछे खेल : एसओजी की जांच में खुलास हुआ कि इस पूरी साजिश का मुख्य किरदार गिरधर सिंह सोढा और उसका साला रावत सिंह है. दोनों ने सोसायटी में निवेश किए गए 400 करोड़ रुपए को अपने रिश्तेदारों और परिचितों की फर्जी कंपनियों में डायवर्ट किया. इन कंपनियों के नाम से लग्जरी गाड़ियां खरीदी. जिनका उपयोग निजी काम में किया जाता. लोगों के पैसे से बेशकीमती जमीन भी खरीदी. इस तरह से 2017 आते-आते सोसायटी घाटे में डूबने लगी. फर्जी कंपनियों के नाम से खरीदी गई लग्जरी गाड़ियों और ट्रकों को करीब चार साल पहले एसओजी ने जब्त किया था. इनमें फार्च्यूनर और बीएमडब्ल्यू जैसी लग्जरी गाड़ियां भी शामिल हैं.

पढ़ें नवजीवन क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला: SOG ने सीज किए 6 वाहन

राजस्थान में 206 शाखाएं, 343 करोड़ का निवेश : नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के संचालकों ने सबसे ज्यादा राजस्थान के लोगों को चूना लगाया है. देशभर में इसकी 228 शाखाएं थी. इनमें से 206 शाखाएं अकेले राजस्थान में ही थी. 400 करोड़ रुपए के घोटाला में करीब 343 करोड़ रुपए अकेले राजस्थान के निवेशकों के हैं. जब सोसायटी की हकीकत का खुलासा हुआ तो जगह-जगह सोसायटी के संचालकों के खिलाफ मुकदमें दर्ज हुए. आखिरकार साल 2019 में एसओजी को इस पूरे घोटाले की जांच का जिम्मा सौंपा गया.

एक साल पहले ईडी की एंट्री : नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी से 400 करोड़ रुपए का डायवर्जन फर्जी कंपनियों में होने का खुलासा होने के बाद पिछले साल इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी छापेमारी की थी. ईडी ने जयपुर के जयनारायण शर्मा और बाड़मेर के निजामुद्दीन को पकड़ा था. इनके ठिकानों पर छापेमारी में 19 किलो चांदी, 63 लाख रुपए नकद और बेशकीमती संपत्ति के दस्तावेज भी मिले थे.

अब एसओजी ने महिला और सीए सहित तीन को पकड़ा : खुमान सिंह गिरधर सिंह सोढा के गांव जयसिंदर का निवासी है और सोसायटी के संचालक मंडल में शामिल था. उसने इंट्रेस्ट फ्री स्टाफ एडवांस के नाम पर 2,25,635 हजार रुपए लिए और खुद कई कंपनियों में डायरेक्टर और प्रमोटर होते हुए नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी से 602.67 लाख रुपए का फंड डायवर्ट किया. रेशम कंवर बाड़मेर जिले के मारूड़ी गांव की रहने वाली है. आशापुरा एग्रो इंडस्ट्रीज में पार्टनर और शेयर होल्डर थी. उसके नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी से बिना पात्रता रखते हुए भी 39 लाख रुपए का लोन लिया और वापस नहीं किया. गिरधर सिंह के साथ मिलकर 391 लाख रुपए का फंड डायवर्ट किया. सीए कनिष सिंघल साल 2012 से 2017 तक पांच साल नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी का सीए रहा और सोसायटी के कूटरचित बुक्स ऑफ अकाउंट्स को वैरिफाई किया. इससे निवेशकों को सोसायटी की वित्तीय स्थिति की सही जानकारी नहीं मिल पाई. वह खुद ही गड़बड़ी में भागीदार बन गया.

जयपुर . एसओजी की ताजा कार्रवाई के बाद नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी और उससे जुड़ा घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है. दरअसल, राजस्थान के बाड़मेर जिले से शुरू हुई नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने देखते ही देखते समूचे राजस्थान और इसके बाहर भी अपनी शाखाएं खोली और बड़ी संख्या में लोगों को इससे जोड़ा. इसके बाद करीब दो लाख निवेशकों के 400 करोड़ रुपए का घोटाला किया.

किसी फिल्म जैसी इस कहानी का मुख्य किरदार या कहें सूत्रधार बाड़मेर जिले के जयसिंदर गांव का रहने वाला गिरधर सिंह सोढा है. जिसने साल 2010 में बाड़मेर में नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की नींव रखी और पहली शाखा खोली. इसके बाद देशभर में इसकी 228 शाखाएं खोली गईं और लोगों की मेहनत की कमाई को पांच साल में दोगुना करने का लालच देकर निवेश कराया. लोगों का भरोसा जीतने के लिए शुरुआत में सोसायटी के संचालकों ने अपने परिचितों से ही इस सोसायटी में निवेश करवाया और तय समय पर वादे के मुताबिक मुनाफा भी दिया. जिसके बाद लोगों का रुझान और इसमें निवेश बढ़ता गया. साल 2017 में पता चला कि सोसायटी में निवेश करने वाले लोगों की पसीने की कमाई डूब गई. अब तक हुई जांच में पता चला है कि राजस्थान और प्रदेश के बाहर के 1.93 लाख निवेशकों ने 400 करोड़ की रकम सोसायटी में निवेश किया था. जिसे संचालकों ने नहीं लौटाईं.

ऐसे होता रहा पर्दे के पीछे खेल : एसओजी की जांच में खुलास हुआ कि इस पूरी साजिश का मुख्य किरदार गिरधर सिंह सोढा और उसका साला रावत सिंह है. दोनों ने सोसायटी में निवेश किए गए 400 करोड़ रुपए को अपने रिश्तेदारों और परिचितों की फर्जी कंपनियों में डायवर्ट किया. इन कंपनियों के नाम से लग्जरी गाड़ियां खरीदी. जिनका उपयोग निजी काम में किया जाता. लोगों के पैसे से बेशकीमती जमीन भी खरीदी. इस तरह से 2017 आते-आते सोसायटी घाटे में डूबने लगी. फर्जी कंपनियों के नाम से खरीदी गई लग्जरी गाड़ियों और ट्रकों को करीब चार साल पहले एसओजी ने जब्त किया था. इनमें फार्च्यूनर और बीएमडब्ल्यू जैसी लग्जरी गाड़ियां भी शामिल हैं.

पढ़ें नवजीवन क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला: SOG ने सीज किए 6 वाहन

राजस्थान में 206 शाखाएं, 343 करोड़ का निवेश : नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के संचालकों ने सबसे ज्यादा राजस्थान के लोगों को चूना लगाया है. देशभर में इसकी 228 शाखाएं थी. इनमें से 206 शाखाएं अकेले राजस्थान में ही थी. 400 करोड़ रुपए के घोटाला में करीब 343 करोड़ रुपए अकेले राजस्थान के निवेशकों के हैं. जब सोसायटी की हकीकत का खुलासा हुआ तो जगह-जगह सोसायटी के संचालकों के खिलाफ मुकदमें दर्ज हुए. आखिरकार साल 2019 में एसओजी को इस पूरे घोटाले की जांच का जिम्मा सौंपा गया.

एक साल पहले ईडी की एंट्री : नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी से 400 करोड़ रुपए का डायवर्जन फर्जी कंपनियों में होने का खुलासा होने के बाद पिछले साल इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी छापेमारी की थी. ईडी ने जयपुर के जयनारायण शर्मा और बाड़मेर के निजामुद्दीन को पकड़ा था. इनके ठिकानों पर छापेमारी में 19 किलो चांदी, 63 लाख रुपए नकद और बेशकीमती संपत्ति के दस्तावेज भी मिले थे.

अब एसओजी ने महिला और सीए सहित तीन को पकड़ा : खुमान सिंह गिरधर सिंह सोढा के गांव जयसिंदर का निवासी है और सोसायटी के संचालक मंडल में शामिल था. उसने इंट्रेस्ट फ्री स्टाफ एडवांस के नाम पर 2,25,635 हजार रुपए लिए और खुद कई कंपनियों में डायरेक्टर और प्रमोटर होते हुए नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी से 602.67 लाख रुपए का फंड डायवर्ट किया. रेशम कंवर बाड़मेर जिले के मारूड़ी गांव की रहने वाली है. आशापुरा एग्रो इंडस्ट्रीज में पार्टनर और शेयर होल्डर थी. उसके नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी से बिना पात्रता रखते हुए भी 39 लाख रुपए का लोन लिया और वापस नहीं किया. गिरधर सिंह के साथ मिलकर 391 लाख रुपए का फंड डायवर्ट किया. सीए कनिष सिंघल साल 2012 से 2017 तक पांच साल नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी का सीए रहा और सोसायटी के कूटरचित बुक्स ऑफ अकाउंट्स को वैरिफाई किया. इससे निवेशकों को सोसायटी की वित्तीय स्थिति की सही जानकारी नहीं मिल पाई. वह खुद ही गड़बड़ी में भागीदार बन गया.

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