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"हां मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज हूं" मंत्री खाचरियावास, सचिन पायलट की मांग का किया समर्थन

कहते हैं राजनीति में कभी कोई भी रिश्ता स्थायी नहीं होता है. इसकी बानगी प्रदेश के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के व्यवहार में दिखती है. कभी पायलट के करीबी रहे खाचरियावास मुख्यमंत्री गहलोत का दामन थामा और अब फिर पायलट की तरफ अपना झुकाव को जगजाहिर कर रहे हैं.

मंत्री पीएस खाचरियावास
मंत्री पीएस खाचरियावास
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Published : Mar 24, 2023, 2:36 PM IST

Updated : Mar 26, 2023, 6:32 AM IST

मंत्री खाचरियावास ने क्या कहा...

जयपुर . राजस्थान में 25 सितंबर 2022 को हुई समानांतर विधायक दल की बैठक और विधायकों के इस्तीफे के समय सचिन पायलट का खुलकर विरोध करने वाले और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सिपहसालार व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास इन दिनों मुख्यमंत्री से नाराज हैं. इस बात को मंत्री ने भी स्वीकार किया है. अब सवाल यह है कि मंत्री खाचरियावास सार्वजनिक बयान देकर मुख्यमंत्री से अपनी नाराजगी क्यों जता रहे हैं.

नाराजगी कब हुई शुरू : बता दें कि अक्टूबर 2022 में मंत्री खाचरियावास के घर सचिन पायलट अचानक पहुंचे और फिर बंद कमरे में दोनों के बीच लंबी वार्ता हुई थी. मुलाकात के बाद ही मंत्री ने अधिकारियों की एसीआर भरने के मामले में अपनी नाराजगी जताई. जिसको सरकार ने अनसूनी कर दी. मंत्री की नाराजगी उस समय और बढ़ गई जब सीएम की बजट घोषणा में एनएफएसए परिवारों को 3000 करोड़ के सालाना बजट वाले फूड पैकेट बांटने के काम में नोडल एजेंसी खाद्य विभाग के बजाय आईसीडीएफ विभाग के कॉनफेड को देने का निर्णय लिया. उस घोषणा से आहत मंत्री ने कहा कि जब हमारे विभाग का काम दूसरे विभाग को ही देना है तो फिर मेरा विभाग बंद कर दिया जाए. इसके बाद मंत्री खाचरियावास ने सचिन पायलट के विधायक दल की बैठक बुलाने की बात पर अपनी सहमति जताते हुए कहा कि एक समुह अगर हावी होता है तो यह कांग्रेस के लिए सही नहीं है. ऐसे में सचिन पायलट की विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग वाजिब है और आलाकमान को गौर करना चाहिए.

ऐसे बढ़ी मंत्री खाचरियावास की मुख्यमंत्री गहलोत से नाराजगी : कभी सचिन पायलट के विश्वस्त माने जाने वाले मंत्री खाचरियावास जुलाई 2020 में पायलट के मानेसर जाने के निर्णय पर उनसे अलग होकर अशोक गहलोत खेमे में आ गए. इसके बाद 25 सितंबर 2022 तक वह मुख्यमंत्री के सबसे विश्वस्त नेताओं की लिस्ट में रहे. यहां तक कि जब समानांतर विधायक दल की बैठक चल रही थी तो मंत्री खाचरियावास मुख्यमंत्री गहलोत के साथ तनोट माता के दर्शन करने चले गए. वापसी के बाद जब विधायकों ने इस्तीफे की बात कही तो मंत्री खाचरियावास ने कहा था कि मुख्यमंत्री विधायकों की पसंद से बनता है और उन्होंने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया था.

पढ़ें पायलट के समर्थन में उतरे प्रताप सिंह खाचरियावास, कहा जायज है पूर्व पार्टी अध्यक्ष की मांग

सचिन पायलट के साथ खाचरियावास के निवास पर चली मीटिंग के बाद आया बदलाव : अभी हंगामा शांत भी नहीं हुआ था कि 3 अक्टूबर को अचानक सचिन पायलट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर पहुंचे. बंद कमरे में मंत्री प्रताप सिंह और सचिन पायलट के बीच करीब 2 घंटे तक वार्ता चली. उसके बाद भले ही मंत्री प्रताप सिंह कहते रहे कि यह एक सामान्य मुलाकात थी और वह मुख्यमंत्री गहलोत के साथ हैं. परंतु चार दिन पूर्व पहले ही मंत्री खाचरियावास ने सचिन पायलट की ओर से विधायक दल की बैठक बुलाए जाने की मांग का समर्थन किया. इससे लगता है कि उनके दिल में सचिन पायलट के लिए सॉफ्ट कॉर्नर बन रहा है.

अधिकारियों की एसीआर भरने का अधिकार मंत्रियों को देने की मांग से हुई नाराजगी शुरू : मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने अधिकारियों की एसीआर (एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट) भरने का अधिकार मुख्यमंत्री से मांगी. इस मुद्दे पर मंत्री प्रताप सिंह और मंत्री महेश जोशी आमने-सामने भी हुए, लेकिन एसीआर मामले में सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया. सरकार ने मंत्री की मांग अनसुनी कर दी जिससे मंत्री खाचरियावास खासे नाराज हो गए.

वीरांगना के मामले मंत्री खाचरियावास प्रताप सिंह ने मानी तो सीएम गहलोत ने ट्वीट कर किया इंकार : पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के निवास के बाहर जब तीन वीरांगनाएं अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठी तो सरकार की ओर से मंत्री खाचरियावास और मंत्री शकुंतला रावत उनसे बातचीत करने पहुंचे. वहां मंत्री खाचरियावास ने वीरांगनाओं से यह वादा किया कि उनकी मांगों को पूरा करेंगे ओर देवर को नोकरी देंगे. लेकिन उनके वादे के कुछ देर बाद ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर नियम कायदे जारी कर दिए. जिसके बाद मंत्री खाचरियावास इससे अपने को अलग कर लिया. साथ ही कहा कि मैं मुख्यमंत्री के कहने पर ही वीरांगनाओं के पास गया था अब पता नहीं मुख्यमंत्री ने ऐसा क्यों किया ?

3000 करोड़ की निशुल्क अन्नपूर्णा योजना कॉनफेड को देने से बढ़ी नाराजगी : मंत्री खाचरियावास पहले ही नाराज चल रहे थे तभी उनके विभाग की योजना को दूसरे विभाग से पूरा करवाने के नीतिगत निर्णय से उनकी नाराजगी बढ़ गई. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने बजट में महंगाई राहत पैकेज की घोषणा की. जिसमें एनएफएसए के 1 करोड़ परिवारों को फूड पैकेट बांटने के लिए 3000 करोड रुपए की निशुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना शुरू की. हालांकि इस योजना को लागू करने के लिए सरकार ने खाद्य विभाग की जगह आईसीडीएस विभाग के कॉनफेड को देने का निर्णय किया. जिससे मंत्री खासे नाराज हुए और कहा कि जब उनके विभाग की योजना किसी और से ही लागू करवानी है तो फिर उनके विभाग की जरूरत ही क्या है उसे बंद कर दिया जाए.

नाराज मंत्री खाचरियावास ने क्या किया : मंत्री खाचरियावास ने कहा एक ग्रुप हावी हो जाए यह कांग्रेस के लिए ठीक नहीं. साथ ही दोहराया कि हां मैं सरकार (गहलोत) से नाराज हूं, नाराजगी जताना मेरा अधिकार है. जब सचिन पायलट ने विधायक दल की बैठक बुलाने की आलाकमान से मांग की तो मंत्री खाचरियावास ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि अगर एक ही ग्रुप फैसले लेने में हावी हो जाता है, तो इससे कांग्रेस को नुकसान होता है. मंत्री खाचरियावास ने साफ तौर पर यह स्वीकार भी किया है कि वह अपने लीडर यानी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज हैं ओर नाराजगी जताना उनका अधिकार है.

मंत्री खाचरियावास ने क्या कहा...

जयपुर . राजस्थान में 25 सितंबर 2022 को हुई समानांतर विधायक दल की बैठक और विधायकों के इस्तीफे के समय सचिन पायलट का खुलकर विरोध करने वाले और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सिपहसालार व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास इन दिनों मुख्यमंत्री से नाराज हैं. इस बात को मंत्री ने भी स्वीकार किया है. अब सवाल यह है कि मंत्री खाचरियावास सार्वजनिक बयान देकर मुख्यमंत्री से अपनी नाराजगी क्यों जता रहे हैं.

नाराजगी कब हुई शुरू : बता दें कि अक्टूबर 2022 में मंत्री खाचरियावास के घर सचिन पायलट अचानक पहुंचे और फिर बंद कमरे में दोनों के बीच लंबी वार्ता हुई थी. मुलाकात के बाद ही मंत्री ने अधिकारियों की एसीआर भरने के मामले में अपनी नाराजगी जताई. जिसको सरकार ने अनसूनी कर दी. मंत्री की नाराजगी उस समय और बढ़ गई जब सीएम की बजट घोषणा में एनएफएसए परिवारों को 3000 करोड़ के सालाना बजट वाले फूड पैकेट बांटने के काम में नोडल एजेंसी खाद्य विभाग के बजाय आईसीडीएफ विभाग के कॉनफेड को देने का निर्णय लिया. उस घोषणा से आहत मंत्री ने कहा कि जब हमारे विभाग का काम दूसरे विभाग को ही देना है तो फिर मेरा विभाग बंद कर दिया जाए. इसके बाद मंत्री खाचरियावास ने सचिन पायलट के विधायक दल की बैठक बुलाने की बात पर अपनी सहमति जताते हुए कहा कि एक समुह अगर हावी होता है तो यह कांग्रेस के लिए सही नहीं है. ऐसे में सचिन पायलट की विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग वाजिब है और आलाकमान को गौर करना चाहिए.

ऐसे बढ़ी मंत्री खाचरियावास की मुख्यमंत्री गहलोत से नाराजगी : कभी सचिन पायलट के विश्वस्त माने जाने वाले मंत्री खाचरियावास जुलाई 2020 में पायलट के मानेसर जाने के निर्णय पर उनसे अलग होकर अशोक गहलोत खेमे में आ गए. इसके बाद 25 सितंबर 2022 तक वह मुख्यमंत्री के सबसे विश्वस्त नेताओं की लिस्ट में रहे. यहां तक कि जब समानांतर विधायक दल की बैठक चल रही थी तो मंत्री खाचरियावास मुख्यमंत्री गहलोत के साथ तनोट माता के दर्शन करने चले गए. वापसी के बाद जब विधायकों ने इस्तीफे की बात कही तो मंत्री खाचरियावास ने कहा था कि मुख्यमंत्री विधायकों की पसंद से बनता है और उन्होंने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया था.

पढ़ें पायलट के समर्थन में उतरे प्रताप सिंह खाचरियावास, कहा जायज है पूर्व पार्टी अध्यक्ष की मांग

सचिन पायलट के साथ खाचरियावास के निवास पर चली मीटिंग के बाद आया बदलाव : अभी हंगामा शांत भी नहीं हुआ था कि 3 अक्टूबर को अचानक सचिन पायलट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर पहुंचे. बंद कमरे में मंत्री प्रताप सिंह और सचिन पायलट के बीच करीब 2 घंटे तक वार्ता चली. उसके बाद भले ही मंत्री प्रताप सिंह कहते रहे कि यह एक सामान्य मुलाकात थी और वह मुख्यमंत्री गहलोत के साथ हैं. परंतु चार दिन पूर्व पहले ही मंत्री खाचरियावास ने सचिन पायलट की ओर से विधायक दल की बैठक बुलाए जाने की मांग का समर्थन किया. इससे लगता है कि उनके दिल में सचिन पायलट के लिए सॉफ्ट कॉर्नर बन रहा है.

अधिकारियों की एसीआर भरने का अधिकार मंत्रियों को देने की मांग से हुई नाराजगी शुरू : मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने अधिकारियों की एसीआर (एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट) भरने का अधिकार मुख्यमंत्री से मांगी. इस मुद्दे पर मंत्री प्रताप सिंह और मंत्री महेश जोशी आमने-सामने भी हुए, लेकिन एसीआर मामले में सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया. सरकार ने मंत्री की मांग अनसुनी कर दी जिससे मंत्री खाचरियावास खासे नाराज हो गए.

वीरांगना के मामले मंत्री खाचरियावास प्रताप सिंह ने मानी तो सीएम गहलोत ने ट्वीट कर किया इंकार : पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के निवास के बाहर जब तीन वीरांगनाएं अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठी तो सरकार की ओर से मंत्री खाचरियावास और मंत्री शकुंतला रावत उनसे बातचीत करने पहुंचे. वहां मंत्री खाचरियावास ने वीरांगनाओं से यह वादा किया कि उनकी मांगों को पूरा करेंगे ओर देवर को नोकरी देंगे. लेकिन उनके वादे के कुछ देर बाद ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर नियम कायदे जारी कर दिए. जिसके बाद मंत्री खाचरियावास इससे अपने को अलग कर लिया. साथ ही कहा कि मैं मुख्यमंत्री के कहने पर ही वीरांगनाओं के पास गया था अब पता नहीं मुख्यमंत्री ने ऐसा क्यों किया ?

3000 करोड़ की निशुल्क अन्नपूर्णा योजना कॉनफेड को देने से बढ़ी नाराजगी : मंत्री खाचरियावास पहले ही नाराज चल रहे थे तभी उनके विभाग की योजना को दूसरे विभाग से पूरा करवाने के नीतिगत निर्णय से उनकी नाराजगी बढ़ गई. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने बजट में महंगाई राहत पैकेज की घोषणा की. जिसमें एनएफएसए के 1 करोड़ परिवारों को फूड पैकेट बांटने के लिए 3000 करोड रुपए की निशुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना शुरू की. हालांकि इस योजना को लागू करने के लिए सरकार ने खाद्य विभाग की जगह आईसीडीएस विभाग के कॉनफेड को देने का निर्णय किया. जिससे मंत्री खासे नाराज हुए और कहा कि जब उनके विभाग की योजना किसी और से ही लागू करवानी है तो फिर उनके विभाग की जरूरत ही क्या है उसे बंद कर दिया जाए.

नाराज मंत्री खाचरियावास ने क्या किया : मंत्री खाचरियावास ने कहा एक ग्रुप हावी हो जाए यह कांग्रेस के लिए ठीक नहीं. साथ ही दोहराया कि हां मैं सरकार (गहलोत) से नाराज हूं, नाराजगी जताना मेरा अधिकार है. जब सचिन पायलट ने विधायक दल की बैठक बुलाने की आलाकमान से मांग की तो मंत्री खाचरियावास ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि अगर एक ही ग्रुप फैसले लेने में हावी हो जाता है, तो इससे कांग्रेस को नुकसान होता है. मंत्री खाचरियावास ने साफ तौर पर यह स्वीकार भी किया है कि वह अपने लीडर यानी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज हैं ओर नाराजगी जताना उनका अधिकार है.

Last Updated : Mar 26, 2023, 6:32 AM IST
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