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बजट खर्च करने में कंजूसी: कैसे मिले गरीबों को योजनाओं का लाभ, जब सरकार बजट ही खर्च नहीं कर पा रही - राजस्थान का अगला बजट

प्रदेश की गहलोत सरकार वित्तीय प्रबंधन में विफल रही हैं. सरकार भले ही बजट लाने की तैयारी कर रही हो, लेकिन एक दर्जन विभाग ऐसे हैं जो 2022-23 का बजट ही खर्च नहीं कर (Several departments behind in spending Budget) पाए. आलम ये है कि अगले तीन महीने में ये बजट खर्च नहीं किया, तो वो लेप्स हो जाएगा और इसका खामियाजा आम जनता को योजनाओं के लाभ से महरूम होकर चुकाना पड़ेगा.

Many departments behind in spending budget amount, it will impact several projects in state
बजट खर्च करने में कंजूसी: कैसे मिले गरीबों को योजनाओं का लाभ, जब सरकार बजट ही खर्च नहीं कर पा रही
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Published : Dec 24, 2022, 5:47 PM IST

जयपुर. प्रदेश में वर्ष 2023-24 के बजट की तैयारी जोरों पर है. किसानों, उद्यमियों, युवाओं, सिविल सर्विसेज सहित सभी से बजट के सुझाव लिए जा रहे हैं. आम जनता से पूछा जा रहा है कि इस बजट से क्या उम्मीद है, लेकिन वित्तीय प्रबंधन में विफलता का आलम ये है कि ये वित्त वर्ष खत्म होने में महज तीन महीने ही बचे हैं और आधे से ज्यादा विभाग वार्षिक बजट को आधा भी खर्च नहीं कर पाए. जबकि योजनाओं पर करीब 75 प्रतिशत बजट राशि खर्च हो जानी चाहिए.

अब समय पर बजट खर्च नहीं हुआ तो राज्य सरकार को केंद्र सरकार से विभिन्न प्रोजेक्टों के लिए मिलने वाली राशि नहीं मिल पाएगी. जिसका सीधा असर राज्य के अगले बजट में भी घोषणाओं पर पड़ सकता है. प्रदेश की गहलोत सरकार का ये वित्त वर्ष समाप्त होने वाला है. अगले तीन महीने बाद वित्त वर्ष 2023-24 लागू हो जायेगा. लेकिन अफसरशाही की कछुआ चाल ने गरीब आम जनता को योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया है.

पढ़ें: सियासी घमासान के बीच गहलोत सरकार की जनवरी में बजट लाने की तैयारी....ये दिए निर्देश

वित्त वर्ष के 9 महीने बीतने वाले हैं. योजनाओं पर करीब 75 प्रतिशत बजट राशि खर्च हो जानी चाहिए, लेकिन एक दर्जन से ज्यादा विभाग ऐसे हैं जो मौजूदा बजट का आधा भी खर्च नहीं कर पाए (Many departments behind in spending budget amount) हैं. इनमें कई विभागों में तो 10 प्रतिशत बजट राशि खर्च नहीं हो पाई है. जबकि गहलोत सरकार इस बार जनवरी में बजट लाने की तैयारी में लगी हुई है. इनमें सबसे कम सहकारिता विभाग में 0.11 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है. वहीं ग्रामीण विकास विभाग में 29.09 प्रतिशत खर्च हुआ है.

पढ़ें: जयपुर नगर निगम का लेखा- जोखा... बजट था 763 करोड़...खर्च किए केवल 134 करोड़

ये विभाग खर्च नहीं कर पाए बजट :

  • सहकारिता विभाग महज 0.11 प्रतिशत राशि ही खर्च कर सका
  • सिविल एविएशन विभाग 3.32 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया
  • आईडी एंड सी में 8.04 प्रतिशत राशि ही खर्च हुआ
  • विधि विभाग में 13.25 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है
  • हॉर्टिकल्चर विभाग में 13.89 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है
  • गृह विभाग के पुलिस महकमे में 15.87 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है
  • वन विभाग में 20.94 प्रतिशत राशि खर्च हो पाई है
  • पंचायती राज विभाग में 22.22 प्रतिशत
  • पीडब्ल्यूडी में 23.60 प्रतिशत ही बजट खर्च हो पाया है
  • एग्रीकल्चर विभाग में 26.62 प्रतिशत बजट खर्च हुआ
  • पीएचईडी विभाग 27.88 प्रतिशत बजट खर्च हुआ
  • ग्रामीण विकास विभाग 29.09 प्रतिशत बजट खर्च हुआ
  • शिक्षा विभाग में 40 प्रतिशत ही खर्च हुआ
  • खेल विभाग में 55 प्रतिशत के करीब बजट खर्च हुआ
  • परिवहन विभाग में 58 प्रतिशत के करीब ही बजट खर्च हुआ

ये पड़ेगा असर: राज्य में योजनाओं पर खर्च करने में एक दर्जन से ज्यादा विभाग फेल रहे हैं. इसका असर शत प्रतिशत केंद्र सरकार की योजनाओं और केंद्र और राज्य सरकार के अनुपात में चलने वाली योजनाओं पर पड़ेगा. पीएचइडी, कृषि, पीडब्ल्यूडी, ग्रामीण विकास विभाग, पंचायती राज, वन, हॉर्टिकल्चर, विधि नागरिक उड्डयन और सहकारिता सहित कई और भी ऐसे विभाग हैं जिनमें केंद्र सरकार का अलग-अलग योजनाओं के जरिये विभाग शामिल है. इन विभागों में केंद्रीय और राज्य की योजनाएं चल रही हैं.

पढ़ें: 'जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना' का खोखला सच आया सामने, बजट 2 करोड़ और खर्च हुए सिर्फ 28 लाख रुपए

इन योजनाओं का बजट समय पर खर्च नहीं होगा, तो आने वाले दिनों में केंद्र से राशि आवंटन होने में दिक्कत आएगी. बता दें कि इससे पहले भी बजट को लेकर सियासी बयानबाजी होती रहती. केंद्र का आरोप रहा है कि राज्य में आम जनता से जुड़ी योजनाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार भरपूर पैसा दे रही है, लेकिन राज्य सरकार इसे खर्च नहीं कर पा रही है. योजनाओं के लिए आवंटित बजट खर्च पूरा नहीं होने की स्थिति में गरीब और आम जनता को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा.

जयपुर. प्रदेश में वर्ष 2023-24 के बजट की तैयारी जोरों पर है. किसानों, उद्यमियों, युवाओं, सिविल सर्विसेज सहित सभी से बजट के सुझाव लिए जा रहे हैं. आम जनता से पूछा जा रहा है कि इस बजट से क्या उम्मीद है, लेकिन वित्तीय प्रबंधन में विफलता का आलम ये है कि ये वित्त वर्ष खत्म होने में महज तीन महीने ही बचे हैं और आधे से ज्यादा विभाग वार्षिक बजट को आधा भी खर्च नहीं कर पाए. जबकि योजनाओं पर करीब 75 प्रतिशत बजट राशि खर्च हो जानी चाहिए.

अब समय पर बजट खर्च नहीं हुआ तो राज्य सरकार को केंद्र सरकार से विभिन्न प्रोजेक्टों के लिए मिलने वाली राशि नहीं मिल पाएगी. जिसका सीधा असर राज्य के अगले बजट में भी घोषणाओं पर पड़ सकता है. प्रदेश की गहलोत सरकार का ये वित्त वर्ष समाप्त होने वाला है. अगले तीन महीने बाद वित्त वर्ष 2023-24 लागू हो जायेगा. लेकिन अफसरशाही की कछुआ चाल ने गरीब आम जनता को योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया है.

पढ़ें: सियासी घमासान के बीच गहलोत सरकार की जनवरी में बजट लाने की तैयारी....ये दिए निर्देश

वित्त वर्ष के 9 महीने बीतने वाले हैं. योजनाओं पर करीब 75 प्रतिशत बजट राशि खर्च हो जानी चाहिए, लेकिन एक दर्जन से ज्यादा विभाग ऐसे हैं जो मौजूदा बजट का आधा भी खर्च नहीं कर पाए (Many departments behind in spending budget amount) हैं. इनमें कई विभागों में तो 10 प्रतिशत बजट राशि खर्च नहीं हो पाई है. जबकि गहलोत सरकार इस बार जनवरी में बजट लाने की तैयारी में लगी हुई है. इनमें सबसे कम सहकारिता विभाग में 0.11 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है. वहीं ग्रामीण विकास विभाग में 29.09 प्रतिशत खर्च हुआ है.

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ये विभाग खर्च नहीं कर पाए बजट :

  • सहकारिता विभाग महज 0.11 प्रतिशत राशि ही खर्च कर सका
  • सिविल एविएशन विभाग 3.32 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाया
  • आईडी एंड सी में 8.04 प्रतिशत राशि ही खर्च हुआ
  • विधि विभाग में 13.25 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है
  • हॉर्टिकल्चर विभाग में 13.89 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है
  • गृह विभाग के पुलिस महकमे में 15.87 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है
  • वन विभाग में 20.94 प्रतिशत राशि खर्च हो पाई है
  • पंचायती राज विभाग में 22.22 प्रतिशत
  • पीडब्ल्यूडी में 23.60 प्रतिशत ही बजट खर्च हो पाया है
  • एग्रीकल्चर विभाग में 26.62 प्रतिशत बजट खर्च हुआ
  • पीएचईडी विभाग 27.88 प्रतिशत बजट खर्च हुआ
  • ग्रामीण विकास विभाग 29.09 प्रतिशत बजट खर्च हुआ
  • शिक्षा विभाग में 40 प्रतिशत ही खर्च हुआ
  • खेल विभाग में 55 प्रतिशत के करीब बजट खर्च हुआ
  • परिवहन विभाग में 58 प्रतिशत के करीब ही बजट खर्च हुआ

ये पड़ेगा असर: राज्य में योजनाओं पर खर्च करने में एक दर्जन से ज्यादा विभाग फेल रहे हैं. इसका असर शत प्रतिशत केंद्र सरकार की योजनाओं और केंद्र और राज्य सरकार के अनुपात में चलने वाली योजनाओं पर पड़ेगा. पीएचइडी, कृषि, पीडब्ल्यूडी, ग्रामीण विकास विभाग, पंचायती राज, वन, हॉर्टिकल्चर, विधि नागरिक उड्डयन और सहकारिता सहित कई और भी ऐसे विभाग हैं जिनमें केंद्र सरकार का अलग-अलग योजनाओं के जरिये विभाग शामिल है. इन विभागों में केंद्रीय और राज्य की योजनाएं चल रही हैं.

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इन योजनाओं का बजट समय पर खर्च नहीं होगा, तो आने वाले दिनों में केंद्र से राशि आवंटन होने में दिक्कत आएगी. बता दें कि इससे पहले भी बजट को लेकर सियासी बयानबाजी होती रहती. केंद्र का आरोप रहा है कि राज्य में आम जनता से जुड़ी योजनाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार भरपूर पैसा दे रही है, लेकिन राज्य सरकार इसे खर्च नहीं कर पा रही है. योजनाओं के लिए आवंटित बजट खर्च पूरा नहीं होने की स्थिति में गरीब और आम जनता को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा.

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