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मध्य रात्रि में 31 हवाई गर्जनाओं के साथ प्रकट हुए 'कान्हा'

जयपुर गोविन्ददेव जी मंदिर में मध्यरात्रि भगवान श्रीकृष्ण 31 हवाई गर्जनाओं के बीच प्रकट हुए. गोविन्ददेव जी के दरबार में पूर्व राजपरिवार सदस्य पदमनी देवी, सांसद और पूर्व राज परिवार सदस्य दिया कुमारी सहित बीजेपी-कांग्रेस के नेताओं के साथ आम भक्तो की भीड़ दर्शन के लिए पहुंची.

krishna janmastmi celebration, जयपुर न्यूज
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Published : Aug 25, 2019, 8:48 AM IST

जयपुर. जिले के गोविन्ददेव जी मंदिर में मध्यरात्रि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. जन्म के समय 31 हवाई गर्जनाओं के बीच श्रीकृष्ण प्रकट हुए. भगवान के दर्शन के लिए लोगों का जनसैलाब उमड़ा था. जन्म के साथ ही प्रभु के बलाइयां लेने के लिए हजारों हाथ एक साथ उठे और सभी राधे-राधे का नाम जप रहे थे.

भगवान श्री कृष्ण की एक झलक पाने के लिए कई घंटों से लोग टकटकी लगाए हुए थे. पूरा वातावरण मृदंग, मंजीरों की धुन से और जन्मे कृष्ण कन्हाई, बधाई हो बधाई की गूंज से गुंजायमान था. चारों तरफ रंग बिरंगी रोशनी, आतिशबाजी और नाचते गाते भक्तों के बीच माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया था.

यह भी पढ़े: चिदंबरम की गिरफ्तारी देश के आर्थिक हालातों से जनता को गुमराह करने के लिए की गई हैः गहलोत

इसी बीच मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में ठाकुरजी का पंचामृत जन्माभिषेक किया गया. जन्माभिषेक के दौरान ठाकुर जी को 425 लीटर दूध, 365 किलो दही, 11 किलो घी, 50 किलो बुरा और 11 किलो शहद से तैयार पंचामृत से अभिषेक किया गया. वहीं भोग में पंजीरी लड्डू, ख़िरसा, कुल्हड़ रबड़ी शामिल थे. अभिषेक के बाद सभी भक्तों को पंचामृत और पंजीरी का वितरण प्रसादी के रुप में बांटा गया. इससे पहले दर्शनों के लिए भक्तों का तांता देर रात तक देखने को मिला.

31 हवाई गर्जनाओं के साथ प्रकट हुए 'कान्हा'

सुबह से ही जयपुर के छोटी काशी मंदिर में आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर, इस्कॉन मंदिर, स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर, कृष्ण बलराम मंदिर, राधा दामोदर गोपीनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भक्तों की कतारें लगी रहीं, जो देर रात तक भगवान के अवतरित होने तक देखने को मिली. चारों तरफ भगवान श्रीकृष्ण के अवतार लेने के बाद मंदिरों में 'जय कन्हैया लाल की,हाथी घोड़ा पालकी' के जयकारों के साथ मंदिर गूंज उठे.

यह भी पढ़े: छात्र संघ चुनाव 2019: जयपुर के इस कॉलेज में 100 रुपए में लड़ा जा रहा चुनाव

आपको बता दे कि, गोविन्ददेव जी का विग्रह भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप है. पौराणिक इतिहास के साथ-साथ किदवंती और कथाओं की मानें तो कहा जाता है कि श्रीगोविन्द का विग्रह हूबहू श्रीकृष्ण के सुंदर और न्याभिराम मुख मंडल और नयनों से मिलता है.

भगवान श्रीकृष्ण के तीन विग्रह बनाएं गए और तीनों ही विग्रह राजस्थान के अलग अलग मंदिरों में विराजमान है. दो विग्रह तो जयपुर में ही मौजूद है और एक विग्रह करौली के मदन मोहन जी मंदिर में है. जयपुर के श्रीगोविन्द देवजी के अलावा गोपीनाथ जी का विग्रह है. ये विग्रह उतना ही पूजनीय और श्रद्धावान है. जितने गोविन्ददेव जी और मदनमोहन जी के विग्रह है. तीनों ही विग्रह भगवान श्री कृष्ण का साक्षात स्वरूप माने जाते हैं. तीनों विग्रह के साथ दर्शन करने से सुखद की प्राप्ति होती है.

यह भी पढ़े: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे फेक मैसेज को लेकर पुलिस सख्त..दिए ये निर्देश

वहीं गोविन्ददेव जी के दरबार में पूर्व राजपरिवार सदस्य पदमनी देवी, सांसद और पूर्व राज परिवार सदस्य दिया कुमारी सहित बीजेपी-कांग्रेस के नेताओं के साथ आम भक्तो की भीड़ दर्शन के लिए पहुंची. इस दौरान रात के 12 बजते ही मन्दिरो में घण्टे-घड़ियाल बज उठे, साथ ही 'नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा. हर कोई श्रीकृष्ण की लीला में लीन नजर आया और भजनों के साथ झूम उठा.

जयपुर. जिले के गोविन्ददेव जी मंदिर में मध्यरात्रि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. जन्म के समय 31 हवाई गर्जनाओं के बीच श्रीकृष्ण प्रकट हुए. भगवान के दर्शन के लिए लोगों का जनसैलाब उमड़ा था. जन्म के साथ ही प्रभु के बलाइयां लेने के लिए हजारों हाथ एक साथ उठे और सभी राधे-राधे का नाम जप रहे थे.

भगवान श्री कृष्ण की एक झलक पाने के लिए कई घंटों से लोग टकटकी लगाए हुए थे. पूरा वातावरण मृदंग, मंजीरों की धुन से और जन्मे कृष्ण कन्हाई, बधाई हो बधाई की गूंज से गुंजायमान था. चारों तरफ रंग बिरंगी रोशनी, आतिशबाजी और नाचते गाते भक्तों के बीच माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया था.

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इसी बीच मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में ठाकुरजी का पंचामृत जन्माभिषेक किया गया. जन्माभिषेक के दौरान ठाकुर जी को 425 लीटर दूध, 365 किलो दही, 11 किलो घी, 50 किलो बुरा और 11 किलो शहद से तैयार पंचामृत से अभिषेक किया गया. वहीं भोग में पंजीरी लड्डू, ख़िरसा, कुल्हड़ रबड़ी शामिल थे. अभिषेक के बाद सभी भक्तों को पंचामृत और पंजीरी का वितरण प्रसादी के रुप में बांटा गया. इससे पहले दर्शनों के लिए भक्तों का तांता देर रात तक देखने को मिला.

31 हवाई गर्जनाओं के साथ प्रकट हुए 'कान्हा'

सुबह से ही जयपुर के छोटी काशी मंदिर में आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर, इस्कॉन मंदिर, स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर, कृष्ण बलराम मंदिर, राधा दामोदर गोपीनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भक्तों की कतारें लगी रहीं, जो देर रात तक भगवान के अवतरित होने तक देखने को मिली. चारों तरफ भगवान श्रीकृष्ण के अवतार लेने के बाद मंदिरों में 'जय कन्हैया लाल की,हाथी घोड़ा पालकी' के जयकारों के साथ मंदिर गूंज उठे.

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आपको बता दे कि, गोविन्ददेव जी का विग्रह भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप है. पौराणिक इतिहास के साथ-साथ किदवंती और कथाओं की मानें तो कहा जाता है कि श्रीगोविन्द का विग्रह हूबहू श्रीकृष्ण के सुंदर और न्याभिराम मुख मंडल और नयनों से मिलता है.

भगवान श्रीकृष्ण के तीन विग्रह बनाएं गए और तीनों ही विग्रह राजस्थान के अलग अलग मंदिरों में विराजमान है. दो विग्रह तो जयपुर में ही मौजूद है और एक विग्रह करौली के मदन मोहन जी मंदिर में है. जयपुर के श्रीगोविन्द देवजी के अलावा गोपीनाथ जी का विग्रह है. ये विग्रह उतना ही पूजनीय और श्रद्धावान है. जितने गोविन्ददेव जी और मदनमोहन जी के विग्रह है. तीनों ही विग्रह भगवान श्री कृष्ण का साक्षात स्वरूप माने जाते हैं. तीनों विग्रह के साथ दर्शन करने से सुखद की प्राप्ति होती है.

यह भी पढ़े: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे फेक मैसेज को लेकर पुलिस सख्त..दिए ये निर्देश

वहीं गोविन्ददेव जी के दरबार में पूर्व राजपरिवार सदस्य पदमनी देवी, सांसद और पूर्व राज परिवार सदस्य दिया कुमारी सहित बीजेपी-कांग्रेस के नेताओं के साथ आम भक्तो की भीड़ दर्शन के लिए पहुंची. इस दौरान रात के 12 बजते ही मन्दिरो में घण्टे-घड़ियाल बज उठे, साथ ही 'नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा. हर कोई श्रीकृष्ण की लीला में लीन नजर आया और भजनों के साथ झूम उठा.

Intro:
छोटी काशी के गोविन्ददेव जी मंदिर में मध्यरात्रि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. जहां 31 हवाई गर्जनाओं के बीच श्रीकृष्ण प्रकट हुए. जिनके दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा.


Body:एंकर : भगवान श्री कृष्ण को देखने के लिए टकटकी लगाए हुए जनसैलाब, मृदंग, मंजीरों की धुन और जन्मे कृष्ण कन्हाई... बधाई हो बधाई की गूंज. ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला रंग बिरंगी रोशनी, आतिशबाजी और नाचते गाते भक्तों के बीच आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर में. जहां मध्यरात्रि में 31 हवाई गर्जनाओं के साथ भगवान श्री कृष्ण प्रकट हुए. जन्म के साथ ही प्रभु के बलाइयां लेने के लिए हजारों हाथ एक साथ उठे.

इस बीच मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में ठाकुरजी का पंचामृत जन्माभिषेक हुआ. ठाकुर जी का 425 लीटर दूध, 365 किलो दही, 11 किलो घी, 50 किलो बुरा और 11 किलो शहद से तैयार पंचामृत अभिषेक किया गया. वही भोग में पंजीरी लड्डू, ख़िरसा, कुल्हड़ रबड़ी शामिल थे. अभिषेक के बाद सभी भक्तों को पंचामृत और पंजीरी का वितरण प्रसादी मंच से किया गया. इससे पहले दर्शनों के लिए भक्तों का तांता देर रात तक देखने को मिला. भाद्रपद माह की कृष्ण अष्टमी पर पूरी छोटी काशी नगरी कृष्ण के रंग में रंगे नजर आई. चारों और कृष्ण जन्म का उल्लास छाया रहा.

सुबह से ही छोटी काशी जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर, इस्कॉन मंदिर, स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर, कृष्ण बलराम मंदिर, राधा दामोदर गोपीनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भक्तों की कतारें लगी रही. जो कि देर रात तक भगवान के अवतरित होने तक देखने को मिली. चारों तरफ भगवान श्रीकृष्ण के अवतार लेने के बाद मंदिरों में 'जय कन्हैया लाल की,हाथी घोड़ा पालकी' के जयकारों के साथ मंदिर गूंज उठे.


आपको बता दे कि, गोविन्ददेव जी का विग्रह भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप है. पौराणिक इतिहास के साथ साथ किदवंती और कथाओं की माने तो कहा जाता है कि श्रीगोविन्द का विग्रह हूबहू श्रीकृष्ण के सुंदर और न्याभिराम मुख मंडल और नयनो से मिलता है. भगवान श्रीकृष्ण के तीन विग्रह बनाएं गए और तीनों ही विग्रह राजस्थान के अलग अलग मंदिरों में विराजमान है. दो विग्रह तो जयपुर में है और एक विग्रह करौली के मदन मोहन जी मंदिर में है. जयपुर के श्रीगोविन्द देवजी के अलावा गोपीनाथ जी का विग्रह है. ये विग्रह उतना ही पूजनीय और श्रद्धावान है. जितने गोविन्ददेव जी और मदनमोहन जी के विग्रह है. तीनो ही विग्रह भगवान श्री कृष्ण का साक्षात स्वरूप माने जाते है. तीनों विग्रह के साथ दर्शन करने से सुखद की प्राप्ति होती है.

वही गोविन्ददेव जी के दरबार मे पूर्व राजपरिवार सदस्य पदमनी देवी, सांसद और पूर्व राज परिवार सदस्य दिया कुमारी सहित बीजेपी-कांग्रेस के नेताओ के साथ आम भक्तो की भीड़ दर्शन के लिए पहुंची. इस दौरान रात के 12 बजते ही मन्दिरो में घण्टे-घड़ियाल बज उठे, साथ ही 'नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा. हर कोई श्रीकृष्ण की लीला में लीन नजर आया और भजनों के साथ झूम उठे.

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