जयपुर. जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है, लेकिन अब इस फैसले को प्रदेश की गहलोत सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है. सरकार सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर करने जा रही है. आर्टिकल 136 के तहत SLP दायर करने की पूरी तैयारी कर ली गई है. गहलोत सरकार में जलदाय मंत्री महेश जोशी ने भी इस बात संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार विधिक राय लेकर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.
जहां तक जाना पड़े जाएंगे : जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों को हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद बीजेपी ने गहलोत सरकार को कमजोर पैरवी करने का जिम्मेदार ठहराया है. जलदाय मंत्री महेश जोशी ने बीजेपी पलटवार करते हुए कहा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर बीजेपी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. विशेष न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द किया है, लेकिन सरकार के पास अभी भी सुप्रीम कोर्ट का विकल्प है. सरकार विधिक राय ले रही है. आरोपियों को सजा दिलाने के लिए जहां तक भी जाना पड़े सरकार जाएगी. सरकार हाईकोर्ट के पैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती देगी. जोशी ने कहा कि जब बम ब्लास्ट हुए थे उस समय बीजेपी की सरकार थी उन्होंने क्या किया ? हालांकि, जोशी जयपुर बम ब्लास्ट की तारीख 2008 की जगह 2013 बोल गए थे.
सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर लिखा- इस केस में हाईकोर्ट में प्रभावी पैरवी करने में विफल रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय किया है. उच्च स्तरीय बैठक में परीक्षण के बाद जयपुर बम ब्लास्ट के मामले में हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील का फैसला लिया है. राज्य सरकार सर्वश्रेष्ठ वकील लगाकर पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित करेगी.
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उच्च स्तरीय बैठक में परीक्षण के बाद जयपुर बम ब्लास्ट के मामले में हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील का फैसला लिया है। राज्य सरकार सर्वश्रेष्ठ वकील लगाकर पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित करेगी।
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2008 में हुआ थे सिलसिलेवार ब्लास्ट : बता दें कि 13 मई 2008 राजधानी जयपुर की चार दिवारी क्षेत्र में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे. एक के बाद एक आठ बम धमाकों में 71 से ज्यादा मासूम लोगों की मौत हुई थी और 180 से अधिक घायल हुए थे. इस मामले में पुलिस ने सलमान, मोहम्मद सैफ, शाहबाज हुसैन, सैफुर्रहमान और सरवर आजमी को गिरफ्तार किया था. जयपुर ब्लास्ट की विशेष अदालत ने 18 दिसंबर, 2019 को शाहबाज हुसैन को बरी कर अन्य चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी. चारों आरोपियों ने विशेष न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर हाईकोर्ट ने फांसी के आदेश को रद्द करते हुए सभी को बरी कर दिया.
बीजेपी ने लगाए थे कमजोर पैरवी आरोप : बता दें कि जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों को हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद बीजेपी ने पूरे मामले पर मौजूदा गहलोत सरकार पर कमजोर पैरवी के आरोप लगाए थे. बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी सहित बीजेपी के नेताओं ने सरकार पर तुष्टिकरण की नीति का आरोप लगाया था.