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Jaipur Lok Adalat Verdict : बीमा विभाग इलाज में खर्च 2.50 लाख रुपये अदा करें - राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग

महानगर की स्थायी लोक अदालत ने राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग को आदेश दिए हैं कि वह परिवादी की पत्नी के इलाज में खर्च हुई 2.50 लाख रुपये की राशि का एक माह में भुगतान करे. यहां जानिए पूरा मामला...

Lok Adalat Verdict
महानगर की स्थायी लोक अदालत
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Published : Apr 24, 2023, 8:49 PM IST

जयपुर. महानगर की स्थायी लोक अदालत ने सोमवार को एक अहम आदेश दिया. एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने परिवादी की पत्नी के इलाज में खर्च हुई 2.50 लाख रुपये की राशि का एक माह में भुगतान करने के आदेश दिए. अदालत ने कहा कि यदि एक माह में इस राशि का भुगतान नहीं होता है तो अदायगी तक सात फीसदी ब्याज भी अदा करना होगा. अदालत ने यह आदेश डॉ. पवन पूनिया के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि उसकी गर्भवती पत्नी को अचानक तबीयत खराब होने पर जुलाई 2017 में दुर्लभ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस दौरान इलाज में एक लाख 90 हजार 991 रुपये खर्च हुए. वहीं, पुन: बीमार होने पर अगस्त, 2017 में उसे फिर से इस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज में एक लाख 46 हजार 166 रुपये का खर्च आया. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने तय समय में ऑनलाइन ऑफ लाइन माध्यम से क्लेम के लिए मय दस्तावेज आवेदन कर दिया था, लेकिन विभाग ने एक क्लेम के 50 हजार रुपये स्वीकृत किया और दूसरे क्लेम को खारिज कर दिया. जबकि दोनों क्लेम एक ही अस्पताल से संबंधित हैं.

पढ़ें : Rajasthan High Court: कम रिजल्ट आया तो हेडमास्टर को किया दंडित, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने विभाग में परमावश्यक प्रमात्र पत्र भी पेश कर दिया था, जिसमें अनुसार गंभीर हालत होने पर मरीज को निकटतम अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है. इसके बावजूद बीमा क्लेम नहीं देकर विभाग ने सेवादोष कारित किया है. इसलिए उसे 2 लाख 87 हजार रुपये की क्लेम राशि ब्याज सहित दिलाई जाए. जिसका विरोध करते हुए विभाग की ओर से कहा गया कि टीपीए दावे की अधिकतम 50 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी. ऐसे में कोई सेवादोष कारित नहीं हुआ है. इसलिए दावा खारिज किया जाए. दोनों पक्षों को सुनकर अदालत ने इलाज में खर्च 2.50 लाख रुपये परिवादी को एक माह में अदा करने को कहा है.

जयपुर. महानगर की स्थायी लोक अदालत ने सोमवार को एक अहम आदेश दिया. एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने परिवादी की पत्नी के इलाज में खर्च हुई 2.50 लाख रुपये की राशि का एक माह में भुगतान करने के आदेश दिए. अदालत ने कहा कि यदि एक माह में इस राशि का भुगतान नहीं होता है तो अदायगी तक सात फीसदी ब्याज भी अदा करना होगा. अदालत ने यह आदेश डॉ. पवन पूनिया के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि उसकी गर्भवती पत्नी को अचानक तबीयत खराब होने पर जुलाई 2017 में दुर्लभ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस दौरान इलाज में एक लाख 90 हजार 991 रुपये खर्च हुए. वहीं, पुन: बीमार होने पर अगस्त, 2017 में उसे फिर से इस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज में एक लाख 46 हजार 166 रुपये का खर्च आया. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने तय समय में ऑनलाइन ऑफ लाइन माध्यम से क्लेम के लिए मय दस्तावेज आवेदन कर दिया था, लेकिन विभाग ने एक क्लेम के 50 हजार रुपये स्वीकृत किया और दूसरे क्लेम को खारिज कर दिया. जबकि दोनों क्लेम एक ही अस्पताल से संबंधित हैं.

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परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने विभाग में परमावश्यक प्रमात्र पत्र भी पेश कर दिया था, जिसमें अनुसार गंभीर हालत होने पर मरीज को निकटतम अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है. इसके बावजूद बीमा क्लेम नहीं देकर विभाग ने सेवादोष कारित किया है. इसलिए उसे 2 लाख 87 हजार रुपये की क्लेम राशि ब्याज सहित दिलाई जाए. जिसका विरोध करते हुए विभाग की ओर से कहा गया कि टीपीए दावे की अधिकतम 50 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी. ऐसे में कोई सेवादोष कारित नहीं हुआ है. इसलिए दावा खारिज किया जाए. दोनों पक्षों को सुनकर अदालत ने इलाज में खर्च 2.50 लाख रुपये परिवादी को एक माह में अदा करने को कहा है.

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