जयपुर. चार साल बाद इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की राजस्थान की राजधानी जयपुर के सवाईमान सिंह (SMS) स्टेडियम में वापसी होने जा रही है. एक बार फिर से पिंक सिटी चौके, छक्के के शोर से गुंजायमान होगी. क्रिकेट प्रेमियों के उत्साह और जोश के बीच 19 अप्रैल को राजस्थान रॉयल्स अपने घरेलू मैदान जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में लखनऊ सुपर जॉइंट्स के साथ मुकाबला खेलेगी.
लंबी बाउंड्री का स्पिनर भी उठा सकते हैं फायदाः इस मैच को लेकर जहां राजस्थान रॉयल्स के समर्थकों में उत्साह है. वहीं स्टेडियम में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. खिलाड़ियों के अभ्यास और मुख्य मैच के लिए अलग-अलग 9 विकेट तैयार किए गए हैं. राजस्थान रणजी टीम के पूर्व खिलाड़ी रोहित झालानी के अनुसार SMS स्टेडियम में होने वाले मुकाबले हाई स्कोरिंग रहेंगे.यहां गेंद बल्ले पर आसानी से आएगी और बल्लेबाज उसे आसानी से सीमा रेखा के बाहर भेजने में सफल रहेंगे. हालांकि यहां की बाउंड्री करीब 75 मीटर की होने के चलते ज्यादा छक्के लगाना जोखिम भरा भी साबित हो सकता है. गेंदबाजी में स्पिनरों से लिए यहां बल्लेबाजों को फंसाना तेज गेदबाजों की अपेक्षा कुछ आसान होगा.
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7 हजार लोगों के बैठने की होगी अस्थाई व्यवस्थाः जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में 19 अप्रैल को होने वाले मैच के गवाह 29 हजार से ज्यादा दर्शक बनेंगे. यहां 22 हजार 500 लोगों के रेगुलर सीटिंग कैपेसिटी है. इसके अलावा करीब 7 हजार लोगों के बैठने की अस्थाई व्यवस्था की जा रही है. जानकारों की माने तो 75 यार्ड की लंबी बाउंड्री के बावजूद भी यहां हाई स्कोरिंग मैच देखने को मिलेंगे. वहीं राजस्थान रॉयल्स के समर्थक चाहेंगे कि यहां खेले जाने वाले सभी पांच मुकाबले मेजबान टीम अपने नाम करें. अगर ऐसा होता तो अंक तालिका में राजस्थान टीम टॉप थ्री में भी स्थान बनाने में सफल हो जाएगी. इससे पहले भी 2008 और 2013 में राजस्थान रॉयल्स जयपुर में खेले गए सभी मैच जीतने का कारनामा कर चुकी है.
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लक्ष्य का पीछा करने वाली टीमों ने जीते हैं अधिक मैचः जब बात हाई स्कोरिंग मैच की हो रही है तो टीम के मुख्य बल्लेबाज कप्तान संजू सैमसन, इनफॉर्म बैट्समैन जॉस बटलर और सिमरन हिटमायर के प्रदर्शन पर टीम की निगाहें रहेंगी. इन तीनों ही बल्लेबाजों में छक्के मारने की क्षमता है. ऐसे में लंबी बाउंड्री इन खिलाड़ियों को परेशान नहीं करेगी. पिच पर घास भी छोड़ी गई है, ताकि तेज गेंदबाजों को अच्छा बाउंस मिले, लेकिन इस बाउंस का थोड़ा फायदा बल्लेबाज भी उठा सकेंगे. अब यह देखने वाली बात होगी कि मैच के दिन विकेट पर घास छोड़ी जाती है या फिर उसे गंजा कर दिया जाता है. एसएमएस स्टेडियम के पुराने मैचों पर निगाह डालें तो यहां टॉस जीतकर टीमें पहले गेंदबाजी करना पसंद करती हैं. इस ग्राउंड पर खेले गए 45 मैचों में 32 मैच टारगेट चेज करने वाली टीम जीती है. जबकि 15 मैच ऐसे हैं, जिसमें टारगेट देने वाली यानी पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने जीत दर्ज की है.