जयपुर. जिला कलेक्टर जगरुप सिंह यादव ने सोमवार को कलेक्ट्रेट में राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करते हुए जिला स्तरीय निष्पादन समिति की बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में उन्होंने स्कूल में नामांकन बढ़ाने और ड्रॉपआउट के आंकड़े घटाने के प्रयास के निर्देश दिए.
जिला कलेक्टर जगरुप सिंह यादव ने कहा कि अगर कोई स्कूली विद्यार्थी 30 दिन तक स्कूल नहीं आए तो उसके विद्यालय से सक्षम अधिकारी या अध्यापक उसके घर पर जाना चाहिए और परिजनों से स्कूल नहीं आने का वास्तविक कारण पता करना चाहिए. स्कूल में नामांकन बढ़ाने और ड्रॉपआउट के आंकड़े घटाने के लिए ऐसे प्रयास करने जरुरी है. साथ ही कलेक्टर ने कहा कि घर जाकर अध्यापक यह जानें कि बच्चा स्कूल क्यों नहीं आ रहा है. उसे कहीं बंधुआ मजदूर तो नहीं बना लिया गया, बाल श्रम के रूप में उसका उपयोग तो नहीं लिया जा रहा या फिर उन्हें भिक्षावृत्ति में तो नहीं लगाया गया है.
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बैठक में कलेक्टर यादव ने कहा कि सरकारी अध्यापक अगर ठान लें तो वे अधिक सक्षम तरीके से अपने विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास के लिए काम कर सकते हैं. वास्तविक शिक्षा वही है, जो शिक्षार्थी के मस्तिष्क को क्रिटिकल थिंकिंग, इनोवेशन, कम्युनिकेशन और कोलोब्रशन की ओर दिशा दे. कलेक्टर ने कहा कि विद्यालयों में होने वाली बाल सभा भी बच्चों में कम्युनिकेशन और कोलोब्रशन की भावना के विकास के लिए अच्छा माध्यम है. वे खुद भी बाल सभा में गए हैं और जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी इन बालसभाओ में जाने के लिए निर्देशित किया जाएगा.
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उन्होंने प्रोजेक्ट के रूप में 60 स्कूलों में लगाये गए नॉलेज बॉक्स 'उत्कर्ष' का जिक्र करते हुए कहा कि अच्छा रिस्पांस आने पर इसे और अधिक स्कूलों में प्रसारित किया जाएगा. इस डिवाइस में स्कूली पाठ्यक्रम की जानकारी के अलावा ज्ञान की बहुत सारी विधाओं की जानकारी समाहित है. स्कूलों में सेनेटरी पैड लगाने के लिए कुछ संस्थाएं आगे आई हैं और कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसबिलिटी में इसके लिए प्रयास किए जाएंगे.
यादव ने परिषद के लक्ष्यों में जयपुर को दूसरे स्थान से प्रथम स्थान पर लाने का भी आह्वान किया. इस अवसर पर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी रतन सिंह यादव ने स्कूल शिक्षा परिषद के लक्ष्यों और प्रगति की जानकारी दी. बैठक में जिला कलेक्टर चतुर्थ अशोक कुमार शर्मा और शिक्षा अधिकारी मौजूद रहे.