जयपुर. राजधानी जयपुर और प्रदेश में प्रदूषण का स्तर कितना है. इसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण मंडल अनभिज्ञ है. प्रदूषण नियंत्रण मंडल को वायु प्रदूषण का डाटा देने वाले आईआईटीएम पुणे ने राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल से दूरी बना ली है. ऐसे में मंडल की राज वायु नाम से चल रही साइट कई महीनों से बंद पड़ी है. मंडल को भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल से प्रदेश के प्रदूषण की जानकारी लेनी पड़ रही है.
21वीं सदी में वायु प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है. इस समय राजस्थान प्रदूषण को मापने और उससे निपटने में तकनीकी रूप से पिछड़ता जा रहा है. दरअसल, राजस्थान में अभी प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने सात शहरों में ही प्रदूषण को मापने के लिए उपकरण लगाए घए हैं. जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर, पाली और भिवाड़ी में ही प्रदूषण मापने के उपकरण लगे हैं. राजधानी जयपुर में कुल 3 स्थान पर प्रदूषण को मापा जा रहा है. जिनमें सी स्कीम, शास्त्री नगर और सेठी कॉलोनी में ये उपकरण लगए गए हैं.
प्रदूषण की फोरकास्टिंग का कोई तकनीकी रूप से सक्षम सिस्टम प्रदेश में ही नहीं है. राज वायु नाम से प्रदूषण नियंत्रण मंडल अपनी वेबसाइट चला रहा है. जिस पर जयपुर सहित प्रदेश के सात शहर और जयपुर शहर के तीनों केंद्रों के प्रदूषण को हर घंटे अपडेट किया जाता है. प्रदूषण नियंत्रण मंडल के लिए ये काम आईआईटीएम पुणे की टीम यूनिसेफ के कर रही थी. लेकिन आईआईटीएम के पास काम ज्यादा होने से करीब 8 महीनों से प्रदेश में प्रदूषण को मापने वाला सिस्टम बंद हो गया है. अब प्रदेश के सातों केंद्रों का डाटा केंद्र के सिस्टम समीर से लेना पड़ रहा है. इसका सीधा मतलब ये है कि प्रदेश में कितना प्रदूषण है ये भी अब केंद्र से पता चलता है.
इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण मंडल का कहना है कि, नया प्रोसेस शुरू कर दिया गया है. प्रदेश में टी सलूशन फॉरकास्टिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं. राजधानी जयपुर में भी तीन जगह प्रदूषण मापने की 6 मशीने लगाई जाएंगी. इसके बाद प्रदेश के प्रत्येक जिले में कितना वायु प्रदूषण है, इसका पता चल जाया करेगा.
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हालांकि, मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद से देश और प्रदेश में प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है. लेकिन प्रदूषण नियंत्रण मंडल अभी तक प्रदूषण की जांच को लेकर न तो अपनी वेबसाइट को सुचारु कर पाया है और ना ही नए फॉरकास्टिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना को अमली जामा पहना रहा है. पिछले साल दीपावली और दीपावली के बाद पटाखों और पराली जलाए जाने के बाद से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर प्रदेश की राजधानी जयपुर तक भारी प्रदूषण रहा. प्रदूषण का स्तर 300 से 500 एकयूआई के बीच पहुंच गया था. जिससे लोगों को सांस लेने में भी काफी दिक्कत हुई.