जयपुर. हिंगोनिया गौशाला ने गाय के गोबर से तैयार दीपकों से रोशनी करने का फैसला किया है. गौशाला की ओर से ये दीपक नि:शुल्क बांटे जा रहे (Hingonia gaushala distributes lamps) हैं. राजधानी जयपुर की इस गौशाला में हर दिन करीब 2 हजार दीपक बनाए जा रहे है. वहीं, करीब 25 हजार दीपक तैयार किए जा चुके हैं. इसके साथ-साथ हवन और यज्ञ में उपयोग होने वाली सुगन्धित धूप और इको फ्रेंडली गो कास्ट भी बनाई जा रही है.
हिंगोनिया गौशाला के प्रबंधक प्रेमानंद ने बताया कि जयपुर में हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र के ऑर्गेनिक फार्म में गाय के गोबर से दीपक बनाने की ये पहल हरे कृष्ण मूवमेंट के भक्तों ने की है. इको फ्रेंडली होने के चलते राज्य के अन्य शहरों और अन्य राज्यों में भी इसकी मांग आ रही है. इसके अलावा यहां बचे हुए गोबर चूर्ण और पत्तियों से ऑर्गेनिक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) और यज्ञ में उपयोग होने वाली सुगन्धित धूप, इको फ्रेंडली गो कास्ट भी बनाई जा रही है.
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इस तरह बनते है इको फ्रेंडली दीपक : दीपक बनाने के लिए पहले गाय के सूखे गोबर को इकट्ठा किया जाता है. उसके बाद करीब एक किलो गोबर में 50 ग्राम मैदा, लकड़ी चूर्ण और 50 ग्राम राम ग्वार मिलाया जाता है. इसके बाद हाथ से उसको गूंथा जाता है. फिर गाय के गोबर को दीपक का आकार दिया जाता है. एक मिनट में 5 से 6 दीपक तैयार हो जाते हैं. इसे दो दिनों तक धूप में सुखाया जाता है. खास बात ये है की उपयोग के बाद इन दीपक के अवशेष को खाद के रूप में उपयोग लिया जा सकता है.
हिंगोनिया गोशाला के अध्यक्ष रघुपति दास ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक गौमाता के गोबर का उपयोग धार्मिक कार्यों में किया जाता है. इसलिए उनका लक्ष्य 25 हजार दीपक बनाने का है. ताकि लोग गाय के गोबर के महत्व को जानें. इसके साथ-साथ हवन और यज्ञ में उपयोग होने वाली सुगन्धित धूप और इको फ्रेंडली गो कास्ट भी बनाई जा रही है. गौशाला की ओर से ये दीपक नि:शुल्क बांटे जा रहे हैं.