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राज्यपाल ने लौटाया दंड विधियां संशोधन विधेयक, कहा-केंद्र इसे लेकर बना चुका कानून - Reason of returning amendment bill by Governor

राज्यपाल कलराज मिश्र ने दंड विधियां संशोधन विधेयक 2018 को वापस लौटा दिया है. इसे लौटाते हुए संविधान के अनुच्छेद 200 का हवाला दिया और इसे समवर्ती सूची का विषय बताया.

Governor returned criminal amendment law bill 2018, cites this reason
राज्यपाल ने लौटाया दंड विधियां संशोधन विधेयक, कहा-केंद्र इसे लेकर बना चुका कानून
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Published : Jan 23, 2023, 11:28 PM IST

जयपुर. दंड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2018 को राज्यपाल कलराज मिश्र लौटा दिया है. राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 200 का हवाला दिया और इसे समवर्ती सूची का विषय बताते हुए कहा कि इस विषय पर 2018 में केंद्र सरकार कानून बना चुकी है. IPC और CRPC में जरूरी संसोधन किये जा चुके हैं, इसलिए राज्य में अलग संशोधन की कोई जरूरत नहीं है.

9 मार्च 2018 हुआ था विधेयक पारित: बता दें कि 9 मार्च, 2018 को तत्कालीन बीजेपी सरकार के समय दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2018 ध्वनिमत से पारित कर दिया था. इस संसोधन विधेयक में 12 वर्ष तक की बच्चियों के दुष्कर्म पर मृत्यु दण्ड का प्रावधान किया गया था. तत्कालीन गृह मंत्री गुलाब चन्द कटारिया ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया था, तब उन्होंने विधेयक को सदन में लाने के कारणों एवं उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा था कि 12 वर्ष से कम आयु की अबोध बालिकाओं के साथ बलात्कार जघन्य अपराध है जो पीड़िता के जीवन को नर्क बना देता है. ऎसी बालिकाओं को बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के लिए भयकारी दण्ड लगाना जरूरी है.

पढ़ें: राज्यपाल मिश्र ने लौटाया राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक 2020, जानिए क्यों...

पॉक्सो एक्ट हो चुका लागू: बता दें कि देश में दिल्ली में निर्भया मामले के बाद नाबालिक बच्चियों से दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो एक्ट लाया गया है. इस कानून में कठोर सजा का प्रावधान है. यहां तक कि इसमें नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के आरोपियों पर मृत्युदंड देने जैसी IPC की धाराओं को जोड़ा गया था. प्रदेश और देश अब तक हजारों की संख्या में दुष्कर्मियों को कठोर सजा दी गई है.

जयपुर. दंड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2018 को राज्यपाल कलराज मिश्र लौटा दिया है. राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 200 का हवाला दिया और इसे समवर्ती सूची का विषय बताते हुए कहा कि इस विषय पर 2018 में केंद्र सरकार कानून बना चुकी है. IPC और CRPC में जरूरी संसोधन किये जा चुके हैं, इसलिए राज्य में अलग संशोधन की कोई जरूरत नहीं है.

9 मार्च 2018 हुआ था विधेयक पारित: बता दें कि 9 मार्च, 2018 को तत्कालीन बीजेपी सरकार के समय दण्ड विधियां (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2018 ध्वनिमत से पारित कर दिया था. इस संसोधन विधेयक में 12 वर्ष तक की बच्चियों के दुष्कर्म पर मृत्यु दण्ड का प्रावधान किया गया था. तत्कालीन गृह मंत्री गुलाब चन्द कटारिया ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया था, तब उन्होंने विधेयक को सदन में लाने के कारणों एवं उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा था कि 12 वर्ष से कम आयु की अबोध बालिकाओं के साथ बलात्कार जघन्य अपराध है जो पीड़िता के जीवन को नर्क बना देता है. ऎसी बालिकाओं को बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के लिए भयकारी दण्ड लगाना जरूरी है.

पढ़ें: राज्यपाल मिश्र ने लौटाया राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक 2020, जानिए क्यों...

पॉक्सो एक्ट हो चुका लागू: बता दें कि देश में दिल्ली में निर्भया मामले के बाद नाबालिक बच्चियों से दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो एक्ट लाया गया है. इस कानून में कठोर सजा का प्रावधान है. यहां तक कि इसमें नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के आरोपियों पर मृत्युदंड देने जैसी IPC की धाराओं को जोड़ा गया था. प्रदेश और देश अब तक हजारों की संख्या में दुष्कर्मियों को कठोर सजा दी गई है.

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