जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से राइट टू हेल्थ बिल को मंजूरी देने के बाद राजस्थान इस संबंध में कानून बनाने वाला पहला राज्य बन गया है. हालांकि प्राइवेट डॉक्टर्स में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. उन्होंने ट्वीट कर सरकार को चेतावनी दी है कि यदि समझौते की शर्तों की पालना नहीं हुई तो प्राइवेट अस्पताल सरकारी योजनाओं का बहिष्कार करेंगे.
बीते दिनों 18 दिन तक चली प्राइवेट डॉक्टर्स की हड़ताल के बाद प्रदेश सरकार और डॉक्टर्स के बीच एक समझौता हुआ. इसके तहत सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, सरकारी अस्पताल, पीपीपी मोड वाले अस्पताल, ट्रस्ट के माध्यम से चल रहे ऐसे प्राइवेट अस्पताल जिन्होंने सरकार से मुफ्त और सब्सिडाइज रेट पर जमीन ले रखी है या किसी एमओयू में सरकार का काम करने पर रजामंद हुए हैं, वही अस्पताल राइट टू हेल्थ एक्ट के दायरे में आएंगे.
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ये किया ट्वीट : हालांकि समझौते की इन शर्तों को राइट टू हेल्थ बिल में जोड़ा गया है या नहीं इस पर प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर्स के बीच असमंजस की स्थिति है. ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी के सेक्रेटरी डॉ विजय कपूर ने एक ट्वीट कर सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने लिखा है कि 'राज्यपाल की ओर से हस्ताक्षर के बाद अपेक्षा है कि राजस्थान सरकार आरटीएच बिल में एमओयू के तहत हुए समझौते को लागू करेगी. इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा न होने की सूरत में समस्त प्रदेश में सरकारी योजनाओं का सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा.
आपको बता दें कि राज्य सरकार और डॉक्टर्स के बीच हुए समझौते के बाद भी चिकित्सकों ने ब्यूरोक्रेट्स को निशाने पर लेते हुए उनपर मुख्यमंत्री को गुमराह करने का आरोप लगाए थे और कार्रवाई की भी मांग की थी. यही वजह है कि अब जब राज्यपाल ने बिल को मंजूरी दे दी है, उसके बाद प्राइवेट डॉक्टर्स पशोपेश में हैं. वहीं, इस बिल के लागू होने के बाद प्रदेशवासियों को तो बड़ी राहत मिलने वाली है.