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रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा दे 9 लाख ठगे, 45 दिन नौकरी भी करवाई, ऐसे खुला राज

रेलवे में नौकरी के नाम पर एक युवक के साथ 9 लाख रुपए की ठगी का मामला सामने आया है. पीड़ित युवक का कहना है कि उसे फर्जी नियुक्ति पत्र, जॉइनिंग लेटर देकर वाराणसी में रेलवे के कार्यालय में 45 दिन तक काम करवाया गया. लेकिन जब हकीकत सामने आई तो उसे बड़ा धक्का लगा.

fraud in the name of railway job in Jaipur
रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा
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Published : May 31, 2023, 4:11 PM IST

जयपुर. रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर एक बेरोजगार युवक से 9 लाख रुपए की ठगी करने का एक मामला सामने आया है. शातिर बदमाश ने रुपए लेने के बाद युवक को फर्जी परिचय पत्र और नियुक्ति पत्र दिया और रेलवे के अधिकारियों से मिलीभगत कर उसे करीब 45 दिन तक वाराणसी के ऑफिस में काम भी करवाया. जब वेतन नहीं मिला, तो युवक को कुछ शक हुआ. युवक ने कोर्ट इस्तगासे के जरिए बनीपार्क थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है.

दरअसल, झुंझुनूं जिले के लाडसर गांव के रहने वाले 25 साल के प्रतीक चौधरी ने कर्नाटक के उसीलामपट्ट निवासी ओ. थारमर और रेलवे के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कोर्ट इस्तगासे के जरिए बनीपार्क थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है. इसमें उसने बताया है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के सिलसिले में साल 2016 से उसका जयपुर आना-जाना है. मई, 2019 के पहले सप्ताह में वह जयपुर आया तो कलेक्ट्रेट स्थित कैंडल थीम पार्क में उसे ओ. थारमर मिला. उसने उसे बताया कि वह और उसका पार्टनर बाबू एक्स-सर्विसमैन है और उसीलामपट्ट में एक ट्रैनिंग सेंटर चलाते हैं. उनकी सभी सरकारी विभागों में अच्छी जान पहचान है और कई लोगों को सरकारी नौकरी लगा चुके हैं.

पढ़ेंः झुंझुनू: रेलवे में नौकरी का झांसा देकर रुपए की ठगी करने वाले 4 आरोपी गिरफ्तार

परिवादी का कहना है कि इसके 15-20 दिन बाद ओ. थारमर का उसके पास कॉल आया और बनीपार्क में एक होटल में उसे और पिताजी को मिलने बुलाया. जहां पहुंचने पर उसने 12 लाख रुपए में रेलवे में नौकरी लगवाने की बात कही. बाद में उसने 9 लाख रुपए में उसे रेलवे में नौकरी लगवाने की डील फाइनल कर ली. इस दौरान उसने कई अभ्यर्थियों के मूल दस्तावेज दिखाकर कहा कि उसने पहले भी कई युवाओं की नौकरी लगवाई है. उसकी बातों में आकर उसके पिता ने उसे 1 लाख रुपए दे दिए.

पढ़ेंः रेलवे में नौकरी लगवाने के नाम पर ठगे 15 लाख, आरोपी गिरफ्तार

इसके बाद 27 मई को आरोपी उसे उसीलामपट्ट ले गया. जहां ट्रैनिंग सेंटर पर कई लोगों से मिलाया और बताया कि ये सभी अलग-अलग विभागों में बड़े पदों पर कार्यरत हैं. कुछ दिन बाद उसका कॉल आया तो कहा कि वह उसे रेलवे में वाराणसी में नौकरी लगवा रहा है. इस दौरान उसने एक अन्य व्यक्ति से भी बात करवाई जो खुद को वाराणसी में रेलवे का प्रबंधक बता रहा था. उसकी बातों पर भरोसा करते हुए युवक के पिता ने 13 अगस्त, 2019 को चार लाख रुपए और 9 सितंबर को 2 लाख रुपए आरोपी के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद आरोपी ने युवक को वाराणसी बुलाया और रेलवे के कार्यालय में ले जाकर कई अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलाया.

पढ़ेंः धौलपुर: रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले चार आरोपी गिरफ्तार

नौकरी लगने तक कागजों में ट्रैनिंग का भी झांसाः वाराणसी में रेलवे के अधिकारियों से मिलवाने के बाद ओ. थारमर ने प्रतीक से कहा कि अभी उसकी कागजों में ट्रैनिंग चल रही है और अगले साल जॉइनिंग मिल जाएगी. इसके बाद वह अपने घर गया. मार्च 2020 में कोविड-19 के चलते लॉकडाउन लग गया. ऐसे में वह अपने घर ही रहा. एक साल बाद जून 2021 में उसके पास आरोपी ओ. थारमर का कॉल आया और उसे जॉइनिंग के लिए वाराणसी बुलाया. 4 जून को वह उसे वाराणसी में रेलवे के कार्यालय ले गया और वहां उससे कुछ कागजों पर दस्तखत करवाए. इसके बाद परिचय पत्र, नियुक्ति पत्र और जॉइनिंग लेटर भी दिया.

वेतन नहीं मिलने पर भी बनाया बहानाः मेडिकल व अन्य औपचारिकताओं के बाद उसे ईस्ट सेंटर जोन, वाराणसी का परिचय पत्र देकर काम करवाना शुरू कर दिया और बकाया 2 लाख रुपए मांगे जो उसके पिता ने उसे दे दिए. यह राशि उसने रघुनाथ पी, सौंदयपान और वैरावल पांडी के खातों में जमा करवाए. इसके बाद प्रतीक करीब 45 दिन तक वाराणसी में रेलवे के कार्यालय में काम करता रहा. वेतन नहीं मिलने पर उसने फिर ओ. थारमर को कॉल किया तो नई जॉइनिंग के कारण समय लगने का बहाना बनाया.

इस तरह सामने आई हकीकतः पीड़ित युवक प्रतीक का कहना है कि ओ. थारमर ने जिस व्यक्ति से उसे मिलवाया वह कुछ दिन तक ऑफिस आता रहा. बाद में अचानक ऑफिस आना बंद कर दिया. इसके बाद एक दिन एक व्यक्ति आया और उससे नियुक्ति संबंधी दस्तावेज मांगे. जब उसने उसे अपने दस्तावेज दिखाए तो उसने बताया कि यह सभी दस्तावेज फर्जी हैं और उसके साथ धोखाधड़ी हुई है. यह बात पता चलने पर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. इसके बाद उसके घर आकार अपने परिजनों को पूरा घटनाक्रम बताया. कुछ दिन तक ओ. थारमर को कॉल किया तो उसने कॉल नहीं उठाया अब उसके उसका नंबर ब्लॉक कर दिया है.

मुकदमा दर्ज, कर रहे हैं अनुसंधानः बनीपार्क थानाधिकारी पृथ्वीराज सिंह का कहना है कि प्रतीक चौधरी द्वारा पेश कोर्ट इस्तगासे के जरिए ओ. थारमर व अन्य के खिलाफ नौकरी दिलवाने के नाम पर 9 लाख रुपए की ठगी का मामला आईपीसी की धारा 420, 406, 467, 468, 471 एवं 120 बी के तहत दर्ज किया है. अनुसंधान किया जा रहा है.

जयपुर. रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर एक बेरोजगार युवक से 9 लाख रुपए की ठगी करने का एक मामला सामने आया है. शातिर बदमाश ने रुपए लेने के बाद युवक को फर्जी परिचय पत्र और नियुक्ति पत्र दिया और रेलवे के अधिकारियों से मिलीभगत कर उसे करीब 45 दिन तक वाराणसी के ऑफिस में काम भी करवाया. जब वेतन नहीं मिला, तो युवक को कुछ शक हुआ. युवक ने कोर्ट इस्तगासे के जरिए बनीपार्क थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है.

दरअसल, झुंझुनूं जिले के लाडसर गांव के रहने वाले 25 साल के प्रतीक चौधरी ने कर्नाटक के उसीलामपट्ट निवासी ओ. थारमर और रेलवे के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कोर्ट इस्तगासे के जरिए बनीपार्क थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है. इसमें उसने बताया है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के सिलसिले में साल 2016 से उसका जयपुर आना-जाना है. मई, 2019 के पहले सप्ताह में वह जयपुर आया तो कलेक्ट्रेट स्थित कैंडल थीम पार्क में उसे ओ. थारमर मिला. उसने उसे बताया कि वह और उसका पार्टनर बाबू एक्स-सर्विसमैन है और उसीलामपट्ट में एक ट्रैनिंग सेंटर चलाते हैं. उनकी सभी सरकारी विभागों में अच्छी जान पहचान है और कई लोगों को सरकारी नौकरी लगा चुके हैं.

पढ़ेंः झुंझुनू: रेलवे में नौकरी का झांसा देकर रुपए की ठगी करने वाले 4 आरोपी गिरफ्तार

परिवादी का कहना है कि इसके 15-20 दिन बाद ओ. थारमर का उसके पास कॉल आया और बनीपार्क में एक होटल में उसे और पिताजी को मिलने बुलाया. जहां पहुंचने पर उसने 12 लाख रुपए में रेलवे में नौकरी लगवाने की बात कही. बाद में उसने 9 लाख रुपए में उसे रेलवे में नौकरी लगवाने की डील फाइनल कर ली. इस दौरान उसने कई अभ्यर्थियों के मूल दस्तावेज दिखाकर कहा कि उसने पहले भी कई युवाओं की नौकरी लगवाई है. उसकी बातों में आकर उसके पिता ने उसे 1 लाख रुपए दे दिए.

पढ़ेंः रेलवे में नौकरी लगवाने के नाम पर ठगे 15 लाख, आरोपी गिरफ्तार

इसके बाद 27 मई को आरोपी उसे उसीलामपट्ट ले गया. जहां ट्रैनिंग सेंटर पर कई लोगों से मिलाया और बताया कि ये सभी अलग-अलग विभागों में बड़े पदों पर कार्यरत हैं. कुछ दिन बाद उसका कॉल आया तो कहा कि वह उसे रेलवे में वाराणसी में नौकरी लगवा रहा है. इस दौरान उसने एक अन्य व्यक्ति से भी बात करवाई जो खुद को वाराणसी में रेलवे का प्रबंधक बता रहा था. उसकी बातों पर भरोसा करते हुए युवक के पिता ने 13 अगस्त, 2019 को चार लाख रुपए और 9 सितंबर को 2 लाख रुपए आरोपी के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद आरोपी ने युवक को वाराणसी बुलाया और रेलवे के कार्यालय में ले जाकर कई अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलाया.

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नौकरी लगने तक कागजों में ट्रैनिंग का भी झांसाः वाराणसी में रेलवे के अधिकारियों से मिलवाने के बाद ओ. थारमर ने प्रतीक से कहा कि अभी उसकी कागजों में ट्रैनिंग चल रही है और अगले साल जॉइनिंग मिल जाएगी. इसके बाद वह अपने घर गया. मार्च 2020 में कोविड-19 के चलते लॉकडाउन लग गया. ऐसे में वह अपने घर ही रहा. एक साल बाद जून 2021 में उसके पास आरोपी ओ. थारमर का कॉल आया और उसे जॉइनिंग के लिए वाराणसी बुलाया. 4 जून को वह उसे वाराणसी में रेलवे के कार्यालय ले गया और वहां उससे कुछ कागजों पर दस्तखत करवाए. इसके बाद परिचय पत्र, नियुक्ति पत्र और जॉइनिंग लेटर भी दिया.

वेतन नहीं मिलने पर भी बनाया बहानाः मेडिकल व अन्य औपचारिकताओं के बाद उसे ईस्ट सेंटर जोन, वाराणसी का परिचय पत्र देकर काम करवाना शुरू कर दिया और बकाया 2 लाख रुपए मांगे जो उसके पिता ने उसे दे दिए. यह राशि उसने रघुनाथ पी, सौंदयपान और वैरावल पांडी के खातों में जमा करवाए. इसके बाद प्रतीक करीब 45 दिन तक वाराणसी में रेलवे के कार्यालय में काम करता रहा. वेतन नहीं मिलने पर उसने फिर ओ. थारमर को कॉल किया तो नई जॉइनिंग के कारण समय लगने का बहाना बनाया.

इस तरह सामने आई हकीकतः पीड़ित युवक प्रतीक का कहना है कि ओ. थारमर ने जिस व्यक्ति से उसे मिलवाया वह कुछ दिन तक ऑफिस आता रहा. बाद में अचानक ऑफिस आना बंद कर दिया. इसके बाद एक दिन एक व्यक्ति आया और उससे नियुक्ति संबंधी दस्तावेज मांगे. जब उसने उसे अपने दस्तावेज दिखाए तो उसने बताया कि यह सभी दस्तावेज फर्जी हैं और उसके साथ धोखाधड़ी हुई है. यह बात पता चलने पर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. इसके बाद उसके घर आकार अपने परिजनों को पूरा घटनाक्रम बताया. कुछ दिन तक ओ. थारमर को कॉल किया तो उसने कॉल नहीं उठाया अब उसके उसका नंबर ब्लॉक कर दिया है.

मुकदमा दर्ज, कर रहे हैं अनुसंधानः बनीपार्क थानाधिकारी पृथ्वीराज सिंह का कहना है कि प्रतीक चौधरी द्वारा पेश कोर्ट इस्तगासे के जरिए ओ. थारमर व अन्य के खिलाफ नौकरी दिलवाने के नाम पर 9 लाख रुपए की ठगी का मामला आईपीसी की धारा 420, 406, 467, 468, 471 एवं 120 बी के तहत दर्ज किया है. अनुसंधान किया जा रहा है.

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