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चुनाव परिणाम से सैनी को मिला 'मैदान'...चंद्रशेखर ने दिखाई ताकत

लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 25 सीटों पर क्लीन स्विप करने के बाद प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनीलाल सैनी पर लटकी तलवार हट गई है, माना जा रहा है कि वो अब लंबी अवधि तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने रह सकते हैं.

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Published : May 26, 2019, 3:18 PM IST

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी

जयपुर. राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर आए लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी को जहां अभयदान मिल गया है, वहीं इस चुनाव परिणाम के जरिए भाजपा संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने भी अपनी संगठनात्मक ताकत का परिचय दिया है. विधानसभा चुनाव की हार से निराश इन दोनों नेताओं ने इस लोकसभा चुनाव में जमकर पसीना बहाया और अपने संगठनात्मक कौशल से दिखा दिया कि संगठन को मजबूत रखने में वो किसी से कम नहीं. इस चुनाव परिणाम ने जहां भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी की कुर्सी पर लटकी तलवार को हटा दिया है, वहीं इस बात की संभावना भी अब बढ़ गई है कि सैनी पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पद पर अब लंबे समय तक काम करेंगे.

मदन लाल सैनी अब लंबी अवधि तक बने रह सकते हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष

वहीं, प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा के लिए भी यह लोकसभा चुनाव राजस्थान में किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था, लेकिन चंद्रशेखर ने अपने संगठनात्मक कौशल का परिचय देते हुए पार्टी को बूथ तक मजबूत किया और उसका परिणाम इस चुनाव में देखने को मिला. लिहाजा उनके पद संभालने के बाद से अब तक जितने भी चुनाव भाजपा राजस्थान में हारी है, उन सभी की पूर्ति लोकसभा एनडीए के 25 सीटें जीतने के बाद हो गई है.

विधानसभा चुनाव हार के बाद सैनी के पद पर लटकी थी तलवार
5 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा महज 73 सीटों पर सिमट कर रह गई, जिसके बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के पद पर तलवार लटक गई थी. ऐसे में सुगबुगाहट इस बात की भी थी कि सैनी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर किसी अन्य व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जा सकती है, हालांकि अंतिम समय में पार्टी ने मदन लाल सैनी पर फिर विश्वास जताया और सैनी उस विश्वास पर पूरी तरह इस लोकसभा चुनाव में खरे भी उतरे. यही कारण रहा कि सैनी ने प्रदेश की सभी 25 सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा की स्थिति इतनी मजबूत कर दी कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी ताश के पत्तों की तरह गिर गए. माना जा रहा है कि मदन लाल सैनी प्रदेश अध्यक्ष पद पर अब आगे भी बरकरार रहेंगे.

संगठन महामंत्री पद मिलने के बाद चंद्रशेखर को मिली पहली बड़ी सफलता
राजस्थान भाजपा को लंबे अरसे बाद चंद्रशेखर मिश्रा के रूप में संगठन महामंत्री मिला, लेकिन चंद्रशेखर के इस पद पर काम संभालने के बाद हुए चुनाव में भाजपा को विफलता ही हाथ लगी. फिर चाहे अजमेर और अलवर में हुए लोकसभा उपचुनाव हों या फिर विधानसभा चुनाव. इसके अलावा जयपुर महापौर उपचुनाव में भी पार्टी भीतरघात के चलते महापौर बनाने से चूक गई. इन तमाम असफलताओं के बावजूद चंद्रशेखर मिश्रा ने संगठन को मजबूत करने के लिए अपने प्रयास जारी रखे और हर जिले में बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं की लंबी फौज खड़ी कर दी. लगातार बैठकों और प्रवास कार्यक्रमों के जरिए चंद्रशेखर मिश्रा ने अलग-अलग धड़ों में बटे प्रदेश भाजपा नेताओं को एक साथ रखने करने का प्रयास किया, जिसमें काफी हद तक उन्हें सफलता भी मिली. निचले स्तर के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को उन्होंने एकजुट करके भी दिखाया. यही कारण रहा कि लोकसभा चुनाव में संगठन की मजबूती का लाभ भाजपा और सहयोगी दल को मिला और सभी 25 सीटों पर जीत भी मिली. चंद्रशेखर मिश्रा के कार्यकाल की ये राजस्थान में सबसे बड़ी उपलब्धि है.

जयपुर. राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर आए लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी को जहां अभयदान मिल गया है, वहीं इस चुनाव परिणाम के जरिए भाजपा संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने भी अपनी संगठनात्मक ताकत का परिचय दिया है. विधानसभा चुनाव की हार से निराश इन दोनों नेताओं ने इस लोकसभा चुनाव में जमकर पसीना बहाया और अपने संगठनात्मक कौशल से दिखा दिया कि संगठन को मजबूत रखने में वो किसी से कम नहीं. इस चुनाव परिणाम ने जहां भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी की कुर्सी पर लटकी तलवार को हटा दिया है, वहीं इस बात की संभावना भी अब बढ़ गई है कि सैनी पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पद पर अब लंबे समय तक काम करेंगे.

मदन लाल सैनी अब लंबी अवधि तक बने रह सकते हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष

वहीं, प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा के लिए भी यह लोकसभा चुनाव राजस्थान में किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था, लेकिन चंद्रशेखर ने अपने संगठनात्मक कौशल का परिचय देते हुए पार्टी को बूथ तक मजबूत किया और उसका परिणाम इस चुनाव में देखने को मिला. लिहाजा उनके पद संभालने के बाद से अब तक जितने भी चुनाव भाजपा राजस्थान में हारी है, उन सभी की पूर्ति लोकसभा एनडीए के 25 सीटें जीतने के बाद हो गई है.

विधानसभा चुनाव हार के बाद सैनी के पद पर लटकी थी तलवार
5 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा महज 73 सीटों पर सिमट कर रह गई, जिसके बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के पद पर तलवार लटक गई थी. ऐसे में सुगबुगाहट इस बात की भी थी कि सैनी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर किसी अन्य व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जा सकती है, हालांकि अंतिम समय में पार्टी ने मदन लाल सैनी पर फिर विश्वास जताया और सैनी उस विश्वास पर पूरी तरह इस लोकसभा चुनाव में खरे भी उतरे. यही कारण रहा कि सैनी ने प्रदेश की सभी 25 सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा की स्थिति इतनी मजबूत कर दी कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी ताश के पत्तों की तरह गिर गए. माना जा रहा है कि मदन लाल सैनी प्रदेश अध्यक्ष पद पर अब आगे भी बरकरार रहेंगे.

संगठन महामंत्री पद मिलने के बाद चंद्रशेखर को मिली पहली बड़ी सफलता
राजस्थान भाजपा को लंबे अरसे बाद चंद्रशेखर मिश्रा के रूप में संगठन महामंत्री मिला, लेकिन चंद्रशेखर के इस पद पर काम संभालने के बाद हुए चुनाव में भाजपा को विफलता ही हाथ लगी. फिर चाहे अजमेर और अलवर में हुए लोकसभा उपचुनाव हों या फिर विधानसभा चुनाव. इसके अलावा जयपुर महापौर उपचुनाव में भी पार्टी भीतरघात के चलते महापौर बनाने से चूक गई. इन तमाम असफलताओं के बावजूद चंद्रशेखर मिश्रा ने संगठन को मजबूत करने के लिए अपने प्रयास जारी रखे और हर जिले में बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं की लंबी फौज खड़ी कर दी. लगातार बैठकों और प्रवास कार्यक्रमों के जरिए चंद्रशेखर मिश्रा ने अलग-अलग धड़ों में बटे प्रदेश भाजपा नेताओं को एक साथ रखने करने का प्रयास किया, जिसमें काफी हद तक उन्हें सफलता भी मिली. निचले स्तर के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को उन्होंने एकजुट करके भी दिखाया. यही कारण रहा कि लोकसभा चुनाव में संगठन की मजबूती का लाभ भाजपा और सहयोगी दल को मिला और सभी 25 सीटों पर जीत भी मिली. चंद्रशेखर मिश्रा के कार्यकाल की ये राजस्थान में सबसे बड़ी उपलब्धि है.

Intro:चुनाव परिणाम से सैनी को मिला मैदान चंद्रशेखर ने दिखाई ताकत

मदन लाल सैनी अब बने रह सकते हैं लंबी अवधि तक प्रदेश अध्यक्ष

जयपुर (इंट्रो एंकर)
प्रदेश की 25 सीटों पर आए लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी को जहां अभयदान मिला तो वही इस चुनाव परिणाम के जरिए भाजपा संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने भी अपनी संगठनात्मक ताकत का परिचय दिया। विधानसभा चुनाव की हार से निराश इन दोनों नेताओं ने इस लोकसभा चुनाव में जमकर पसीना बहाया और अपने संगठनात्मक कौशल से दिखा दिया कि संगठन को मजबूत रखने में वो किसी से कम नहीं। इस चुनाव परिणाम ने जहां भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी की कुर्सी पर लटकी तलवार को हटा दिया है तो वही इस बात की संभावना भी अब बढ़ गई है कि सेनी पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पद पर अब लंबे समय तक काम करेंगे। वही प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा के लिए भी यह लोकसभा चुनाव राजस्थान में किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं थे लेकिन चंद्रशेखर ने अपने संगठनात्मक कौशल का परिचय देते हुए पार्टी को बूथ तक मजबूत किया और उसका परिणाम इस चुनाव में देखने को मिला लिहाजा उनके पद संभालने के बाद से अब तक जितने भी चुनाव पार्टी राजस्थान में हारी उनसब की भरपुर्ति लोकसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा व एनडीए को सभी 25 सीटे जीतकर कर दी।

विधानसभा चुनाव हार के बाद सैनी के पद पर लटकी थी तलवार-

5 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा महज 73 सीटों पर सिमट कर रह गई, जिसके बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के पद पर तलवार लटक गई थी। ऐसे में सुगबुगाहट इस बात की भी थी कि सैनी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर किसी अन्य व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि अंतिम समय में पार्टी ने मदन लाल सैनी पर फिर विश्वास जताया और सैनी उस विश्वास पर पूरी तरह इस लोकसभा चुनाव में खरै भी उतरे। यही कारण रहा सैनी ने प्रदेश की सभी 25 सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा की स्थिति इतनी मजबूत कर दी कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी ताश के पत्तों की तरह गिर गए। यही कारण है की अब माना जा रहा है कि मदन लाल सैनी प्रदेश अध्यक्ष पद पर अब आगे भी बरकरार रहेंगे।

संगठन महामंत्री पद मिलने के बाद चंद्रशेखर को मिली पहली बड़ी सफलता-

राजस्थान भाजपा को लंबे अरसे बाद चंद्रशेखर मिश्रा के रूप में संगठन महामंत्री मिला लेकिन चंद्रशेखर के इस पद पर काम संभालने के बाद हुए चुनाव में भाजपा को विफलता ही हाथ लगी। फिर चाहे अजमेर और अलवर में हुए लोकसभा उपचुनाव का मामला हो या फिर विधानसभा चुनाव। इसके अलावा जयपुर महापौर उपचुनाव में भी पार्टी भितरघात के चलते महापौर बनाने से चूक गई। इन तमाम असफलताओं के बाद भी चंद्रशेखर मिश्रा ने संगठन को मजबूत करने के लिए अपने प्रयास जारी रखे और हर जिले में बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं की लंबी फौज खड़ी कर दी। लगातार बैठकों और प्रवास कार्यक्रमों के जरिए चंद्रशेखर मिश्रा ने अलग-अलग धड़ों में बटे प्रदेश भाजपा नेताओं को एक जाजम में खड़ा करने का प्रयास किया जिसमें काफी हद तक उन्हें सफलता भी मिली और निचले स्तर के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को उन्होंने एकजुट करके भी दिखाया। यही कारण रहा कि लोकसभा चुनाव में संगठन की मजबूती का लाभ भाजपा और सहयोगी दल को मिला और सभी 25 सीटों पर जीत भी मिली। चंद्रशेखर मिश्रा के कार्यकाल की राजस्थान में सबसे बड़ी उपलब्धि है।

(Edited vo pkg-mila abhaydaan)




Body:(Edited vo pkg-mila abhaydaan)


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