जयपुर. प्रदेश के बूंदी जिले में किसान ने फसल खराब होने पर आत्महत्या कर ली. किसान की आत्महत्या पर प्रदेश में सियासत भी गरमा गई है. सांसद सीपी जोशी ने रविवार को राजधानी जयपुर में मीडिया से बात करते हुए हाड़ौती के किसान की आत्महत्या पर गहलोत सरकार को कठघरे में खड़ा किया. जोशी ने कहा कि किसान की आत्महत्या के लिए गहलोत सरकार जिम्मेदार है. कर्ज माफी नहीं करने और फसल खराबे की गलत नीतियों के चलते किसानों को आत्महत्या करनी पड़ रही है. जोशी ने नए जिलों की घोषणा पर भी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए.
गलत नीतियों के चलते किसान आत्महत्या को मजबूर : बीजेपी सांसद सीपी जोशी ने कहा कि कांग्रेस सरकार किसानों से धोखा कर रही है. प्रदेश का किसान बदहाल जिंदगी जी रहा है, फसलें खराब होने पर बर्बादी के आंसू रो रहा है. जोशी ने कहा कि राहुल गांधी ने किसानों का सम्पूर्ण कर्जा माफ करने का वादा किया था. कहा था कि 10 दिन में कर्जा माफ नहीं हुआ तो मैं मुख्यमंत्री बदल दूंगा. साढे चार साल में किसानों ने सोचा होगा कि कर्जा माफ हो जाएगा. कर्जा तो माफ नहीं किया, लेकिन जमीन कुर्क हो गई. प्रदेश में किसान आत्महत्या करने को आतुर है. सैंकडों किसानों ने आत्महत्या की है. कांग्रेस सरकार ने किसानों के साथ हमेशा धोखा किया है. प्रदेश में किसान बदहाल है. कितनी बार बारिश-ओलावृष्टि होते हैं, किसान सही गिरदावरी की मांग कर रहा है, लेकिन 33 प्रतिशत से ऊपर किसान का फसल खराबा नहीं जाने दे रहे हैं. दुर्भाग्य है कि राजस्थान में किसानों की बदहाली है. सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है.
केंद्र ने किया मुआवजे का प्रावधान : एसडीआरएफ-एनडीआरएफ के नाॅर्म्स के मामले में सांसद जोशी ने कहा कि देश के इतिहास में ऐसा पीएम आया हो जो किसानों हित चिंतक है. पीएम ने राजस्थान के सांसदों की मांग पर फसल खराबे के सर्वे के प्रावधान को 33 प्रतिशत किया है, जबकि यह पहले 50 प्रतिशत था. पहले भी विधायकों ने विधानसभा को नहीं चलने दिया जब अच्छे से किसान की गिरदावरी हुई है. प्रदेश में 90 प्रतिशत फसल खराबा हो रहा है, लेकिन उसे 30 प्रतिशत से नीचे दिखाया जा रहा है. जिससे किसानों को मुआवजा नहीं देना पड़े.
जाती हुई सरकार की घोषणा : राजस्थान में गहलोत सरकार ने प्रदेश में 19 नए जिले और 3 संभाग बनाने की घोषणा पर भी सांसद जोशी ने सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सरकार अविवेकपूर्ण निर्णय लिया है. जिले की घोषणा पर सरकार की मंशा ठीक होती तो पहले साल में घोषणा कर देते, लेकिन यह महज चुनावी घोषणा है. सरकार के चार 6 महीने बचे हैं, अगर यह सरकार जिला बनाना चाहती थी तो शुरुआती साल में ही घोषणा करती जो अब तक जिले मूर्त रूप ले चुके होते. जिसने चुनावी घोषणा की है, उनका क्या हश्र हुआ सबको पता है. यह सब चुनावी घोषणाएं हैं.