जयपुर. सरकारी योजनाओं की तर्ज पर अब मनरेगा में रैंकिंग के आधार पर जिले का चयन होगा. मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर को स्कोर लेटर लिखकर दिशा निर्देश दिए कि वह मनरेगा के तहत कामकाज पर विशेष फोकस करें. साल के अंत में मनरेगा में किए गए कार्य के आधार पर रैंकिंग निकाली जाएगी. डी.बी गुप्ता ने सभी कलेक्टर को हिदायत दी है कि किसी भी जिले की रैंकिंग बी ग्रेड से नीचे नहीं होनी चाहिए. प्रदेश में करीब 2 लाख 13 हजार लोग मनरेगा में काम कर रहे हैं, इन्हें 145 रूपए औसत रेट से भुगतान किया जाता है. हालांकि उम्मीद की जा रही है कि अब यह रेट 170 तक बढ़ाई जा सकती है.
क्या होगा रैंकिंग पैमाना:
यह रैंकिंग वित्त वर्ष के सरकारी योजनाओं की वर्किंग के आधार पर जारी की जाएगी. इसमें देखा जाएगा कि मनरेगा के तहत किस जिले में बेहतर काम किया गया है. इसमें जिला कलेक्टर सीधे शामिल होते हैं. ट्रैक्टर की परफॉर्मेंस का पैमाना भी मनरेगा से ही आंका जाएगा. दरअसल कलेक्टर ही सब सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग आम तौर पर करते हैं इसमें मनरेगा, पीएम आवास योजना, ग्रामीण विकास परियोजनाएं, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं.
वहीं ग्रामीण विकास एवं पंचायती विभाग ने मनरेगा, पीएम आवास योजना, ग्रामीण विकास योजना सहित कई सरकारी योजनाओं की रैंकिंग जारी कर दी, इसमें अजमेर नंबर वन पर रहा वहीं दूसरे नंबर पर अजमेर और भीलवाड़ा तीसरे नंबर पर की. वहीं बारां और हनुमानगढ़ 11वें पायदान पर हैं. झुंझुनू तीसरे पायदान पर, भीलवाड़ा चौथे पायदान पर, धौलपुर पांचवे पायदान पर, चितौड़गढ़ छठवे पायदान पर, चूरू सातवें, कोटा आठवें, गंगानगर नवें, बाड़मेर 10वें, अलवर 11वें, बारां 11वें, हनुमानगढ़ 12वें, सवाई माधोपुर 13वें, सीकर 14वें, झालावाड़ 16वें पायदान पर है.