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लॉकडाउन में एंटीबायोटिक दवाइयों की मांग में 80 फीसदी की कमी...डायबिटीज और बीपी की दवाइयों की मांग बढ़ी

कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान दवा दुकानों पर डायबिटीज और बीपी की दवाइयों की मांग बढ़ गई है. वहीं खांसी-जुकाम में इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक दवा लेने वालों ग्राहकों में कमी दर्ज की गई है. खांसी-जुकाम की दवाइयों में कमी की वजह इस दौरान सरकारी अस्पतालों की ओपीडी बंद होना मुख्य कारण माना जा रहा है.

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Published : May 22, 2020, 8:37 PM IST

antibiotics Medicines, एंटीबायोटिक दवाई
डायबिटीज और बीपी की दवाइयों की मांग बढ़ी

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े SMS अस्पताल में फिलहाल ओपीडी बंद है. वहीं प्राइवेट अस्पतालों में भी डॉक्टर्स के पास जाना और वहां पर जाकर खुद को दिखाना लोगों को मुश्किल हो रहा है. ऐसे में संक्रामक बीमारियों के मरीज डॉक्टर को दिखाने नहीं पहुंच पा रहे हैं. हलांकि, राज्य सरकार का भी आदेश है कि बिना डॉक्टर्स के प्रिसक्रिप्शन के एंटीबायोटिक दवा ग्राहकों को ना बेची जाए.

डायबिटीज और बीपी की दवाइयों की मांग बढ़ी

फिलहाल, खांसी जुकाम जैसी बीमारियों के मरीज मेडिकल शॉप पर भी दवा लेने नहीं पहुंच रहे हैं. दवा की दुकानों पर एंटीबायोटिक दवाइयों की बिक्री पर 80 प्रतिशन की कमी दर्ज की गई है. हालांकि इस संक्रमण काल में डायबिटीज, हार्ट और बीपी की दवाओं की मांग जरूर बढ़ी है. इस संबंध में मेडिकल स्टोर संचालकों की मानें तो उन तक शुगर और बीपी के मरीज दवा लेने ज्यादा पहुंच रहे हैं.

इन दिनों लोग घर का बना खानाा खा रहेे हैं. ऐसे में एसिडिटी की दवाइयों की बिक्री में भी कमी दर्ज की गई है. जबकि एंटीबायोटिक की बिक्री बिल्कुल खत्म सी हो गई है. उन्होंने बताया कि किडनी के पेशेंट को पुराने प्रिसक्रिप्शन और डॉक्टर से फोन पर बात करने के बाद दवाओं को रिपीट जरूर किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: महाघोटाला: उपभोक्ताओं की आईडी हैक कर 21 जिलों के 137 परिवारों के डकार गए गेहूं, FIR दर्ज

बता दें कि दूसरे व्यापारों की तरह ही दवाइयों का व्यापार भी करीब 30 प्रतिशन कम हो गया है. ऐसा माना जा रहा है कि मरीज डॉक्टर तक नहीं पहुंच रहे हैं, ऐसे में दुकानों पर नए मरीज नहीं आ रहे हैं. महज पुराने मरीजों की पर्चियां ही रिपीट हो रही हैं.

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े SMS अस्पताल में फिलहाल ओपीडी बंद है. वहीं प्राइवेट अस्पतालों में भी डॉक्टर्स के पास जाना और वहां पर जाकर खुद को दिखाना लोगों को मुश्किल हो रहा है. ऐसे में संक्रामक बीमारियों के मरीज डॉक्टर को दिखाने नहीं पहुंच पा रहे हैं. हलांकि, राज्य सरकार का भी आदेश है कि बिना डॉक्टर्स के प्रिसक्रिप्शन के एंटीबायोटिक दवा ग्राहकों को ना बेची जाए.

डायबिटीज और बीपी की दवाइयों की मांग बढ़ी

फिलहाल, खांसी जुकाम जैसी बीमारियों के मरीज मेडिकल शॉप पर भी दवा लेने नहीं पहुंच रहे हैं. दवा की दुकानों पर एंटीबायोटिक दवाइयों की बिक्री पर 80 प्रतिशन की कमी दर्ज की गई है. हालांकि इस संक्रमण काल में डायबिटीज, हार्ट और बीपी की दवाओं की मांग जरूर बढ़ी है. इस संबंध में मेडिकल स्टोर संचालकों की मानें तो उन तक शुगर और बीपी के मरीज दवा लेने ज्यादा पहुंच रहे हैं.

इन दिनों लोग घर का बना खानाा खा रहेे हैं. ऐसे में एसिडिटी की दवाइयों की बिक्री में भी कमी दर्ज की गई है. जबकि एंटीबायोटिक की बिक्री बिल्कुल खत्म सी हो गई है. उन्होंने बताया कि किडनी के पेशेंट को पुराने प्रिसक्रिप्शन और डॉक्टर से फोन पर बात करने के बाद दवाओं को रिपीट जरूर किया जा रहा है.

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बता दें कि दूसरे व्यापारों की तरह ही दवाइयों का व्यापार भी करीब 30 प्रतिशन कम हो गया है. ऐसा माना जा रहा है कि मरीज डॉक्टर तक नहीं पहुंच रहे हैं, ऐसे में दुकानों पर नए मरीज नहीं आ रहे हैं. महज पुराने मरीजों की पर्चियां ही रिपीट हो रही हैं.

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