जयपुर. पूरे देश में कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन चल रहा है. मजदूर, किसान और सभी परेशान हैं. हर कोई सरकार की और आस लगाए बैठा है कि, जब वह लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं तो ऐसे में सरकार उनके खाने-पीने की व्यवस्था करें. सरकार की ओर से भी पूरा प्रयास किया जा रहा है कि, किसी तरीके से हर तबके को फायदा मिले और उसे खाने पीने की कोई दिक्कत ना हो. लेकिन कई तबके ऐसे हैं जो रोजाना कमाने रोजाना खाने वाले तो हैं लेकिन वह सरकार के श्रमिकों की लिस्ट में शामिल नहीं है.
ऐसा ही एक तबका है टैक्सी ड्राइवर है जो ओला और उबर में अपना वाहन चलाता हैं. देश में लॉकडाउन का एक महीना पूरा हो चुका है और यह वाहन जब से लॉक डाउन हुआ है तभी से इनके चक्के जाम है. ऐसे में इनकी कमाई भी पूरी तरीके से बंद है. इन चालकों का कहना है कि उन्हें ना तो अभी तक कोई सरकार से सहायता मिली है. ना ही कंपनी की ओर से ही उन्हें कोई राहत मिली है.
सरकार से कोई सहायता नहीं मिली:
ओला कैब में अपनी टैक्सी चलाने वाले ड्राइवरों ने कहा ओला के ऐप पर उन्हें यह ऑप्शन मिल रहा है कि वह हर सप्ताह में एक बार 500 रुपए निकलवा सकते हैं. यानी कि 1500 रुपए वह निकलवा सकते हैं. जिन्हें 45 दिनों में वापस रिफंड करने होंगे लेकिन वह भी नहीं निकल रहे हैं.
15 से 20 हजार की आती है किश्त:
ड्राइवरों का कहना है कि उनकी गाड़ी की किस्त ही 15 से 20 हजार की आती है जिसके चलते उन्हें रोजाना 500 तो किस्त के लिए चाहिए. ऐसे में 45 दिन में 1500 रुपए से उनका कैसे खर्च चलेगा. जिस बैंक खाते में उनके पैसे पड़े थे वहां से किश्ते काट ली गई है और जहां पैसे नहीं थे वह किस शेट्यूल कर दी गई है. जबकि नियम यह था कि बैंक को इंस्टॉलमेंट 3 महीने के लिए रोकनी चाहिए थी.
आरबीआई की गाइडलाइन का पालन नहीं:
ऐसे में आरबीआई की गाइडलाइन जो बैंकों को दी गई है उसे लेकर भी कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है. इन टैक्सी चालकों का कहना है कि कंपनी की ओर से ड्राइवर रिफंड करीब 25% काटा जाता है, जो यह कहकर काटा जाता है कि आपात स्थिति में उन्हें सहायता मिलेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है.
वहीं टैक्सी चालकों का कहना है कि ऐसी स्थिति में उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. एक ओर तो प्राइवेट कंपनियां उनके लोन पर पैनाल्टी लगा रही है तो दूसरी और उनके परिवार के सामने खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है.